गंगा सफाई को लेकर सरकार का ढीला रवैया, मंत्री बदलते ही बदल जाता है लक्ष्य
नितिन गडकरी ने मार्च 2020 तक गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने का एलान किया था। वहीं उमा भारती 2020 तक गंगा में सीवेज गिरने से रोकने का लक्ष्य बताया था।
नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। सरकार ने गंगा में सीवेज गिरने से रोकने का लक्ष्य बदल दिया है। जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि 2022 तक गंगा में सीवेज गिरने से रुक जाएगा। उनका कहना है कि सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है।
शेखावत का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके पूर्ववर्ती जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने मार्च 2020 तक गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने का एलान किया था। वहीं उनसे पूर्व इस मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहीं तत्कालीन जल संसाधन मंत्री उमा भारती 2020 तक गंगा में सीवेज गिरने से रोकने का लक्ष्य बताया था।
शेखावत ने शुक्रवार को उद्योग संगठन एसोचैम में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि गंगा नदी में साफ किये बगैर सीवेज का गिरना 2022 तक पूरी तरह रुक जाएगा। सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है। उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड और झारखंड इस लक्ष्य को हासिल कर चुके हैं।
हालांकि शेखावत के इस बयान पर गंगा की सफाई के लिए संघर्ष कर रहे गैर सरकारी संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। गंगा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती का कहना है, 'गंगा की वास्तविक स्थिति का आकलन किये बगैर, हवा-हवाई आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष निकालकर 2020 या 2022 तक निर्मल प्रवाह की बात करना, गंगा के साथ अन्याय है। मंत्री बदलते ही लक्ष्य बदल जाना यह अपरिपक्व कार्यशैली का उदाहरण है। इससे गंगा की सफाई के बारे में संदेह उत्पन्न होता है।'
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 13 मई 2015 को नमामि गंगे योजना को मंजूरी देकर इसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया। इसके बाद तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने 21 जुलाई 2016 को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा था कि एनजीआरबीए फ्रेमवर्क के तहत 2020 तक गंगा नदी में अनट्रीटेड सीवेज को गिरने से रोकने का लक्ष्य है।
हालांकि 2017 में यह विभाग उमा से लेकर गडकरी को सौंप दिया गया। इसके बाद गडकरी ने भी 27 दिसंबर 2018 को कहा था कि मार्च 2019 तक गंगा 70 से 80 प्रतिशत साफ हो जाएगी और मार्च 2020 तक लगभग पूरी तरह प्रदूषण मुक्त हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि तत्कालीन यूपीए सरकार के दौरान राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन अथॉरिटी ने पांच अक्टूबर 2019 को पहली बैठक में लक्ष्य रखा था कि 2020 तक गंगा में साफ किये बगैर म्युनिसिपल सीवेज और इंडस्टि्रयल एफ्लुएंट नहीं डाला जाएगा।