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सरकार की दखलंदाजी से भारतीय प्रबंध संस्थान हुए मुक्त, दे सकेंगे डिग्री-पीएचडी

भारतीय प्रबंध संस्थान विधेयक 2017 ने इन संस्थानों को स्वायत्तता प्रदान कर दी है। इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर को विपक्ष ने भी सराहा है।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Sat, 29 Jul 2017 08:12 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jul 2017 08:28 AM (IST)
सरकार की दखलंदाजी से भारतीय प्रबंध संस्थान हुए मुक्त, दे सकेंगे डिग्री-पीएचडी
सरकार की दखलंदाजी से भारतीय प्रबंध संस्थान हुए मुक्त, दे सकेंगे डिग्री-पीएचडी

नई दिल्ली, एजेंसी। देश के सभी 20 भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) अब सरकार की दखलंदाजी से मुक्त हो गए हैं। इन संस्थानों में सरकार की भूमिका को सीमित करने संबंधी विधेयक लोकसभा ने शुक्रवार को पारित कर दिया। विधेयक पेश करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर को विपक्ष से सराहना मिली।

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भारतीय प्रबंध संस्थान विधेयक 2017 ने इन संस्थानों को स्वायत्तता प्रदान कर दी है। संस्थान अब निदेशकों, फेकल्टी सदस्यों की नियुक्ति करने के अलावा डिग्री और पीएचडी की उपाधि प्रदान कर सकेंगे। पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर सभी 20 आईआईएम बोर्ड ऑफ गनर्वर्स की नियुक्ति भी कर सकेंगे। इन संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषिषत कर विजिटर का पद समाप्त कर दिया गया है।

राष्ट्रपति अभी इन संस्थानों के विजिटर होते हैं। इसके पहले जावडेकर ने विधेयक पेश करते हुए इसे एतिहासिक बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य सरकार का दखल खत्म करना है। इन संस्थानों को सरकार से कोई अनुमति और क्लीयरेंस नहीं लेना होगी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से देश में प्रबंध शिक्षा एक नए युग में प्रवेश करेगी। हालांकि विधेयक के प्रावधानों का जिक्र करते हुए बताया कि स्वायत्तता से इतर इन संस्थानों का भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा ऑडिट किया जाएगा और कैग की रिपोर्ट पर जरूरत महसूस होने पर संसद में चर्चा भी की जाएगी क्योंकि संस्थान देश के करदाताओं के पैसों से चलेंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार प्रबंथ संस्थान चलाए यह अच्छी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के 22 सदस्यों ने स्वायत्तता देने का पक्ष लिया। हम अपने संस्थानों को वास्तविक स्वायत्तता दे रहे हैं। हमे हमारे श्रेष्ठ मस्तिष्कों पर भरोसा करना होगा। विपक्ष ने सराहा कांगे्रस सदस्य शशि थरूर ने कहा कि यह उल्लेखनीय कदम है जिसमें एक मंत्री अपने अधिकार छो़़ड रहा है। अन्य मंत्रियों को जावडेकर से सीख लेना चाहिए।

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