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Loksabha Exit Polls-2019: दिल्ली की सातों सीटें हार रही है केजरीवाल की AAP, कांग्रेस भी शून्य

Lok Sabha Exit Polls 2019 के नतीजों में दिल्ली की सातों सीटें बीजेपी को। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को शून्य।

By VinayEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 07:22 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 07:27 PM (IST)
Loksabha Exit Polls-2019: दिल्ली की सातों सीटें हार रही है केजरीवाल की AAP, कांग्रेस भी शून्य
Loksabha Exit Polls-2019: दिल्ली की सातों सीटें हार रही है केजरीवाल की AAP, कांग्रेस भी शून्य

नई दिल्ली, जेएनएन। लोकसभा के सातों चरण का चुनाव संपन्न हो जाने के बाद शाम को आए एग्जिट पोल में दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें बीजेपी को जीतने का अनुमान बताया गया। दिल्ली की लोकसभा सीटों के लिए इस बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने पूरा जोर लगाया गया था मगर चुनाव के एग्जिट पोल ने सभी को चौंका दिया। बीजेपी ने यहां कई नए चेहरों को उतारा था। इसमें क्रिकेटर और गायकों को भी उतारा गया। यदि एग्जिट पोल के नतीजों पर यकीन किया जाए तो आम आदमी पार्टी के लिए ये सोचने वाली बात होगी।

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इस बार दिल्ली में 15 सालों तक राज कर चुकी शीला दीक्षित भी मैदान में उतरी थीं। यदि एग्जिट पोल पर यकीन किया जाए तो ऐसा लगता है कि दिल्ली में कांग्रेस की शीला दीक्षित का भी लोगों से मोह भंग हो गया है। इसी वजह से आम जनता ने उनको भी पसंद नहीं किया। इसी तरह से आम आदमी पार्टी के तमाम नेताओं को भी लोगों ने नकार दिया है। विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को यदि यहां से एक भी सीट नहीं मिलती है तो इसका मतलब साफ है कि दिल्ली की जनता अब इनके शासन से मुक्ति चाहती है इसी वजह से लोकसभा में सभी नेताओं को नकार दिया गया है। 

यदि आम आदमी पार्टी यहां से एक भी सीट नहीं जीतती है तो आने वाले विधानसभा चुनाव में भी उनको अपने इसी तरह के रिजल्ट के लिए तैयार रहना चाहिए। किस पार्टी को कितनी सीटें मिलती है ये तो पूरी तरह से 23 मई को ही सामने आ पाएगा मगर एग्जिट पोल के नतीजों ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं की नींद जरूर उड़ा दी है। 

वैसे चुनाव से पहले आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल कांग्रेस से गठबंधन कर चुनाव जीतना चाहते थे मगर सीटों को लेकर बात नहीं बनी। अंतिम समय तक दोनों के बीच सीटों को रजामंदी नहीं बन पाई तब दोनों ने अकेले-अकेले ही चुनाव लड़ना तय किया। कांग्रेस ने अपने कई पुराने नेताओं पर दांव लगाया तो आप ने भी पार्टी के वर्कर उतारे। यदि आप और कांग्रेस को दिल्ली में एक भी सीट नहीं मिलती है तो इसका एक बड़ा कारण दोनों के बीच गठबंधन न होना भी माना जाएगा। साथ ही ये भी तय हो जाएगा कि दिल्ली की जनता विधानसभा चुनाव में तो आम आदमी और कांग्रेस को पसंद कर सकती है मगर लोकसभा में वो मोदी को ही मजबूत करना चाहते है। यदि एग्जिट पोल के नतीजे इससे उलट आते हैं तो ये माना जा सकता है कि यहां के वोटरों का भी मूड अलग-अलग है। इसी वजह से यहां चुनाव लड़ने वाले नेता संसद तक पहुंच पाए हैं। खैर जो भी हो सही रिजल्ट तो 23 मई को ही पता चल पाएगा। 

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