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Positive India: लॉकडाउन में दिखी व्‍यापारी की क्रिएटिविटी, बेकार चीजें लगा बेडरूम को मिनी थियेटर में बदला

कोरोना वायरस को बढ़ते संक्रमण को रोकने के मकसद से देश में जब लॉकडाउन हुआ तो लोग घरों में कैद हो गए। कुछ ने इसे सजा समझा तो कुछ ने क्रिएटिविटी दिखाने का सही मौका।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 07:42 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 07:42 PM (IST)
Positive India: लॉकडाउन में दिखी व्‍यापारी की क्रिएटिविटी, बेकार चीजें लगा बेडरूम को मिनी थियेटर में बदला

मुंबई, जेएनएन। कोरोना वायरस को बढ़ते संक्रमण को रोकने के मकसद से देश में जब लॉकडाउन हुआ तो लोग घरों में कैद हो गए। कुछ ने इसे सजा समझा तो कुछ ने  क्रिएटिविटी दिखाने का सही मौका। इसी का सीधा असर साउथ मुंबई के एक गारमेंट मेन्‍युफेक्‍चर पर भी पड़ा, जिसके तीन बेडरूम के फ्लैट का रेनोवेशन कार्य लॉकडाउन के कारण बीच में ही लटक गया। कपड़ा व्‍यापारी मकान मालिक ने हार नहीं मानी और फिर सामने आई उनकी क्रिएटिविटी। उन्‍होंने खुद ही काम खत्‍म करने का फैसला लिया और सात दिन में अपने बेडरूम को गैर जरूरी चीजों के इस्‍तेमाल से शानदार मिनी थियेटर में बदल दिया। 

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हमारे सहयोगी अखबार मिड डे से मिली जानकारी के अनुसार ग्रांट रोड पर स्‍थित Pannalal Terrece निवासी राजू गढा का गारमेंट मेन्‍युफेक्‍चर का बिजनेस है। दो महीने पहले गढा ने अपने फ्लैट को रेनोवेशन के लिए ठेकेदार को दिया था, लेकिन रेनोवेशन का काम अभी आधा ही हो पाया था कि लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया। गढा ने खुद रेनोवेशन काम काम पूरा करने का फैसला किया और अपने बेडरूम को थिएटर में बदल दिया।

मिड डे के साथ बात करते हुए राजू गढा ने कहा, "मेरी प्‍लानिंग फ्लैट पर एक सुंदर बेडरूम बनाने की थी। इस बीच मुझे कई पुराने रीलों, ऑडियो कैसेट, ऑडियो प्रोजेक्टर, कैमरे और कई और बेकार चीजें मिलीं, इसलिए मैंने अपने बेडरूम को स्पीकर के साथ मिनी थियेटर में बदलने की योजना बनाई। 

मैने 36 कैसेट को रोशनी के साथ जोड़ झूमर बनाया और दो प्रोजेक्टर इंस्‍टाल किए। मैंने कुली, शोले जैसे पुरानी फिल्मों के पोस्टर डाउनलोड किए और उनके प्रिंट आउट दीवारों पर चिपका दिए। अपने व्यवसाय के अलावा मुझे डॉक्‍यूमेंट्री और फिल्में बनाने में गहरी दिलचस्पी है। मैंने इस कमरे में दीवार को भी चित्रित किया और ब्लूटूथ स्पीकर लगाया। अब मेरा बेडरूम बिल्‍कुल मिनी होम थियेटर जैसा दिखता है। ”

गौरतलब है कि राजू गढा को फिल्में बनाने का शौक है और उन्होंने पहले 10 अलग-अलग डॉक्‍यूमेंट्री बनाई हैं। उनकी दो फिल्‍में, एक गुजराती भाषा में 'तृप्ती' और हिंदी भाषा में 'मेरे जिनी अंकल' भी रिलीज हो चुकी हैं। गढ़ा ने आगे कहा कि उनकी क्रिएटिविटी वेस्‍ट को बैस्‍ट बनाने की है।


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