Move to Jagran APP

EXCLUSIVE : जीवनभर की गाढ़ी कमाई भी चली गई और पहुंच गए मौत के मुहाने पर

आए दिन बिंल्डिग में खरीदारों और बिल्डर के बीच पैसे वापस मांगने को लेकर विवाद होता रहता है। कई बार मारपीट की नौबत भी आ गई थी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 10:54 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 12:29 PM (IST)
EXCLUSIVE : जीवनभर की गाढ़ी कमाई भी चली गई और पहुंच गए मौत के मुहाने पर
EXCLUSIVE : जीवनभर की गाढ़ी कमाई भी चली गई और पहुंच गए मौत के मुहाने पर

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। शाहबेरी गांव में बने दर्जनों फ्लैट के निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी की गई है। आरोप है कि इस मामले को लेकर जिला प्रशासन से कई बार शिकायत की गई है। प्रशासन के ओर से कोई सकारात्मक पहल आज तक नहीं की गई है। यहां रहने वाले लोगों का आरोप है कि बिल्डर ने उन्हें ग्रेटर नोएडा वेस्ट की प्राइम लोकेशन व सस्ते मकान का हवाला देकर जाल में फंसा लिया। मकान में प्रवेश के बाद उन्हें अपने साथ हुई ठगी का अहसास हुआ।

loksabha election banner

आरोप है कि खराब गुणवत्ता के कारण कई फ्लैट में दरारें आ गई है। हर समय हादसे की आंशका सताती रहती है। एक सोसायटी में रहने वाली एक महिला बबली ने बताया कि उन्होंने करीब छह माह पूर्व 13 लाख रूपये में एक बेडरूम का फ्लैट खरीदा है। इसके दीवार में दरारें आ गई है। बिल्डर से शिकायत के बाद इसे ठीक कराया गया, लेकिन दोबारा दरार आने लगी है। एक अन्य सोसायटी में रहने वाले संतोष ने बताया कि उनके फ्लैट व सीढ़ियों में दरारें आ गई हैं। दीवार गिरने की आशंका सताती रहती है। शिकायत के बाद बिल्डर अपने सहयोगियों के साथ मिल कर कई बार धमकी भी दे चुका है। हालांकि मंगलवार रात की घटना के बाद लोग खुल कर विरोध जताने लगे हैं।

लोगों ने बताया कि बिंल्डिग में बने सभी 46 फ्लैटों की बुकिंग हो चुकी है। खरीदारों को जब पता चला कि यह बिंल्डिग चार इंच जमीन में धंस गई है तो उन्होंने फ्लैटों पर कब्जा लेने से इंकार कर दिया और बिल्डर से अपने पैसे मांगने शुरू कर दिए। आए दिन बिंल्डिग में खरीदारों और बिल्डर के बीच पैसे वापस मांगने को लेकर विवाद होता रहता है। कई बार मारपीट की नौबत भी आ गई थी। 

रात में नहीं आती है नींद
अखिलेश कुमारी ने अपना दर्द बयां करते हुए दैनिक जागरण को बताया कि जब से यह पता चला है कि बिंल्डिग चार इंच जमीन में धंस चुकी है, तब से रात में नींद नहीं आती। चौबीस घंटे परिवार के लोग डरे सहमें रहते हैं। मंगलवार रात को दो गली दूर बिंल्डिग गिरने की घटना के बाद परिवार के लोगों ने डर के मारे खाना नहीं खाया।

गृह मंत्रालय की नजर शाहबेरी पर
शाहबेरी में छह-छह मंजिल की दो नव निर्मित इमारत धराशायी होने व नौ लोगों के मरने की गूंज दिल्ली में गृह मंत्रालय तक पहुंच गई है। मामले में मंत्रालय पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों से पल-पल की जानकारी ले रहा है। कहीं न कहीं मामला मंत्रालय तक पहुंचने के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के आइएएस स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई की गई। साथ ही घटना के 40 घंटे बाद तेजी दिखाते हुए मेरठ मंडल कमिश्नर अनीता मिश्राम ने भी पूरे प्रशासनिक अमले के साथ घटना स्थल का मुआयना किया और अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए। मामले में मंत्रालय की नाराजगी के बाद दोषियों पर शिकंजा कस सकता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान ग्रेटर नोएडा वेस्ट क्षेत्र में बिल्डरों के द्वारा बनाए जाने वाले फ्लैटों का गढ़ बन चुका है। क्षेत्र में अब तक लगभग पांच लाख फ्लैट बन चुके हैं। साथ ही हजारों की संख्या में अवैध फ्लैट भी बने हैं। इन फ्लैटों में लगभग पंद्रह लाख लोग रहेंगे।

पिछले कुछ वर्षों से फ्लैट-बायर्स का मुद्दा लगातार राष्ट्रीय स्तर पर छाया हुआ है। यहां नई इमारत गिरने का संज्ञान गृह मंत्रालय ने ले लिया है। मंत्रालय के अधिकारी लगातार पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के संपर्क में हैं। मंत्रालय की ओर से हर कुछ घंटे बाद मामले में मलबे से शव मिलने, काम की तेजी, आरोपितों की गिरफ्तारी, क्षेत्र में इस प्रकार के हुए निर्माण सहित अन्य चीजों के बारे में जानकारी की जा रही है। इस कारण पुलिस व प्रशासन के अधिकारी सतर्क हो गए हैं।

तीन दिन में बनेगी अवैध निर्माणाधीन इमारतों की सूची
शाहबेरी हादसे के बाद जीडीए की नींद टूटी है। बृहस्पतिवार को सभी प्रवर्तन जोन के इंजीनियरों को अवैध बन रही बहुमंजिला इमारतों को चिह्नित करने के लिए क्षेत्र में भेजा गया। जीडीए उपाध्यक्ष रितु माहेश्वरी ने सभी जोन प्रभारियों से तीन दिन में निर्माणाधीन अवैध बहुमंजिला इमारतों की रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने निर्देश में कहा है कि बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अवैध इमारतों को ध्वस्त किया जाए। एक सप्ताह में बन चुकी अवैध बहुमंजिला इमारत, अवैध कॉलोनी और छोटे मकानों को चिह्नित करने का वक्त दिया है।

जिले में अवैध निर्माण धड़ल्ले से चल रहा है। हर गली-मुहल्ले में 50 से 300 वर्ग मीटर भूमि पर बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही हैं। कुछ जगह तो 35 वर्ग मीटर में तीन-तीन मंजिला फ्लैट बन रहे हैं। इनका निर्माण शुरू करते वक्त न मिट्टी की जांच कराई जाती है, न मजबूत डिजाइन विशेषज्ञ से तैयार कराया जाता है। जैसा डिजाइन दिमाग में आया, वैसा खाका खींच कर बिल्डर इमारत खड़ी कर देते हैं। निर्माण सामग्री की जांच भी नहीं करवाते। ऐसे में यह इमारतें खतरे से खाली नहीं। जीडीए उपाध्यक्ष ने आठों प्रवर्तन जोन प्रभारियों से कहा है कि नये सिरे से निर्माणाधीन अवैध बहुमंजिला इमारत को चिह्नित किया जाए।

...तो सिर्फ दस घंटे में साफ हो जाता मलबा
शाहबेरी गांव में हुए हादसे में मलबे को हटाने का काम तीसरे दिन भी जारी रहा। विशेषज्ञों की मानें तो यदि आसपास पर्याप्त जगह व रास्ता होता तो महज दस घंटे में पूरे मलबे को साफ कर दिया जाता। इससे कई लोगों की जिंदगी भी बचाई जा सकती थी। अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है। राहत कार्य में जुटी टीम को अधिक समय आसपास रास्ता बनाने में लग गया जहां से मशीन व जेसीबी की मदद से मलबा हटाया गया। घटनास्थल के आसपास दो बेसमेंट की जगह भी खोदी गई थी वहां मलबा डाला गया। बेसमेंट को पूरी तरह से ढक दिया गया है।

एनडीआरएफ की टीम हर तरह के संसाधन से लैस बताई गई है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या है कि उनको मलबे में घुसने के लिए रास्ता नहीं मिल पा रहा है। रास्ता बनाने का कार्य जेसीबी मशीन का है, लेकिन मशीन खड़ी करने के लिए जगह ही नहीं है। जगह बनाने के लिए बेसमेंट को ढका गया और आसपास मौजूद अवैध निर्माण को गिराया गया।

पोस्टमार्टम में देरी का आरोप लगा परिजनों ने किया हंगामा
सेक्टर 94 स्थित पोस्टमार्टम हाउस में गुरुवार को शाहबेरी हादसे मे जान गंवाने वाले 9 लोगों का पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर बड़ी संख्या में मृतकों के परिजन मौजूद थे। परिजन अपनों को याद कर विलाप कर रहे थे। इस दौरान सुबह के समय कुछ परिजनों ने पोस्टमार्टम में देरी होने का आरोप लगाकर हंगामा भी किया। परिजन का आरोप था कि मृतकों के शव रात में ही जिला अस्पताल में पहुंच चुके थे, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते पोस्टमार्टम सुबह करीब 9 बजे किया गया। जबकि सीएमओ डॉ. अनुराग भार्गव ने बताया कि उन्हें पुलिस की तरफ से पंचनामा नहीं मिला था और बिना इसके किसी भी शव का पोस्टमार्टम नहीं कर सकते हैं। इसी वजह से पोस्टमार्टम में देरी की हुई।

परिजन ने बताया कि मैनपुरी निवासी राजकुमारी पत्नी सुरेंद्र द्विवेदी, शिव कुमार पुत्र सुरेंद्र द्विवेदी, प्रियंका पत्नी रामकुमार और एक वर्षीय सृष्टि पुत्री रामकुमार द्विवेदी का पोस्टमार्टम चिकित्सकों ने करीब 9 बजे किया। इसके अलावा शाहबेरी हादसे की टीवी पर खबर देखने के बाद चांदनी चौक से पहुंची शाहीन बानो अपने दोनों भाइयों की डेड बॉडी लेने के लिए दर दर भटकती रही। उन्होंने बताया कि पहले पुलिस की कार्रवाई उसके बाद जिला अस्पताल और फिर पोस्टमार्टम हाउस के चक्कर में ही घूमती रही। हादसे को दो दिन बीत जाने के बावजूद भी पोस्टमार्टम हाउस में भी घंटों का इंतजार।

फ्लैट की गुणवत्ता का आकलन कराएंगे शाहबेरी गांव के लोग
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में दो इमारतों के जमींदोज होने के बाद अन्य फ्लैटों में रहने वाले लोग अपनी सुरक्षा को लेकर सकते में आ गए हैं। उन्हें हर पल अनहोनी की आशंका सता रही है। इससे उबरने के लिए लोगों ने खुद पहल कर भवन के सुरक्षा मानकों की जांच कराने का फैसला किया है। इस मामले को लेकर बृहस्पतिवार रात को फ्लैट खरीदारों के साथ एक बैठक भी प्रस्तावित हैं। इस बैठक में एजेंसी के चयन पर निर्णय लिया जाना है।

शाहबेरी गांव में छोटे-छोटे बिल्डरों ने छह से सात मंजिला इमारतें खड़ी कर इसमें दर्जनों की संख्या में फ्लैट बना दिए हैं। इनके निर्माण में गुणवत्ता को दरकिनार किया गया। इसका परिणाम मंगलवार रात शाहबेरी गांव में देखने को मिला। इसमें अब तक नौ लोग काल के गाल में समा चुके हैं। इस प्रकरण ने यहां रहने वाले लोगों को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया है। लोगों ने सुरक्षा मानकों की जांच को लेकर बिल्डर को घेरना शुरू किया। बिल्डर से सुरक्षा मानकों की जांच के प्रमाण पत्र मांगे।

बिल्डर ने इस तरह के किसी भी जांच से इन्कार कर दिया। यह सुनकर यहां रहने वाले लोगों के पैरों तले की जमीन खिसक गई है। बिल्डर के जवाब के बाद यहां के लोगों को परिवार के सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। जीवन भर की कमाई मकान के लगाने के बाद अब लोग खुद ही सुरक्षा का खाका तैयार करने में जुटने लगे हैं। वह जल्द ही सुरक्षा मानक एजेंसियों से यहां के फ्लैटों के गुणवत्ता की जांच कराएंगे।

शाहबेरी के फ्लैट होंगे सील
शाहबेरी गांव में अवैध रूप से बनाए गए हजारों फ्लैटों को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सील कराएगा। गांव की जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव पिछले एक वर्ष से लंबित है। उसे भी आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। मंगलवार को छह मंजिला दो इमारतों जमींदोज होने से नौ लोगों की जिंदगी उसमें दफन हो गई। अभी आधा दर्जन और लोगों के मलबे के नीचे दबे होने की आशंका है। इस घटना के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कुंभकर्णी नींद भी टूटी है। जो कार्रवाई प्राधिकरण को आठ वर्ष पहले करनी चाहिए थी, उसके लिए अब कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ पार्थ सारथी सेन शर्मा एसीईओ बाल कृष्ण त्रिपाठी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी शाहबेरी जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएगी।

बृहस्पतिवार को प्राधिकरण के आला अफसरों ने परियोजना और नियोजन विभाग के प्रबंधक, सर्किल प्रभारी व महाप्रबंधकों के साथ बैठक की। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार प्राधिकरण ने शाहबेरी गांव में अवैध रूप से बनाए गए फ्लैटों को सील कराने का निर्णय लिया है। इसका प्रस्ताव दो-तीन दिन में शासन को भेजा जाएगा। चूंकि काफी फ्लैटों में लोगों ने रहना शुरू कर दिया है। प्राधिकरण शासन को इससे अवगत कराएगा। अवैध फ्लैटों में रह रहे लोगों को बाहर निकालना भी मुश्किल होगा। इससे कानून व्यवस्था भी बिगड़ सकती है। इसलिए अधिकारी अभी इस मुद्दे पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार बैठक में काफी देर विचार-विमर्श करने के बाद तय किया गया कि शाहबेरी और आसपास के गांवों में दीवारों पर प्राधिकरण का संदेश लिखवाया जाए। संदेश में लोगों से अवैध इमारतों में फ्लैट न खरीदने की अपील की जाएगी।

जांच कराएगा प्राधिकरण
शाहबेरी गांव की काफी जमीन पर तहसील स्तर से धारा 143 के तहत आबादी घोषित कर दी गई है। प्राधिकरण इसकी जांच कराएगा। प्राधिकरण की अनुमति के बिना धारा 143 के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती। शाहबेरी में कैसे आबादी घोषित कर दी गई। इसके पीछे कौन लगे है।

एजेंसी के लिए बैठक
शाहबेरी गांव के एक फ्लैट में रहने वाले लोग एजेंसी के चयन के लिए आज बैठक करेंगे। एजेंसी से इमारत की नींव, ऊंचाई, मैटेरियल की गुणवत्ता आदि की जांच कराई जाएगी।

मिला एक और शव, दो अन्य हुए गिरफ्तार
ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित शाहबेरी गांव में मंगलवार रात धराशायी दो इमारतों के मलबे से एक और शव निकाला गया। मामले में पुलिस ने दो अन्य रोपितों को भी गिरफ्तार किया है। एनडीआरएफ की टीम को मलबे में अब किसी के जिंदा होने की उम्मीद नहीं बची है। जिसे देखते हुए बृहस्पतिवार को मलबा हटाने के काम में तेजी लाई गई। मेरठ मंडल कमिश्नर अनीता मेश्राम व जिलाधिकारी बीएन सिंह ने घटनास्थल पर पहुंचकर मुआयना किया। मामले में दोषी लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

एनडीआरएफ की टीम का बचाव अभियान लगातार तीसरे दिन जारी रहा। दिन में लगभग बाहर बजे तक टीम को यह उम्मीद थी कि मलबे में कोई व्यक्ति जिंदा दबा हो सकता है। इस कारण टीम बहुत ही एहतियात से अभियान चला रही थी। लेकिन जैसे-जैसे दिन ढलता गया मलबे में किसी के जिंदा होने की उम्मीद कम होती गई। इसके बाद टीम ने अभियान में तेजी लाई। मलबा हटाने के लिए चार जेसीबी व एक पोकलेन मशीन लगाई गई थी। बाद में एक पोकलेन मशीन और मंगाई गई। जिसके बाद मलबा हटाने के काम में तेजी आई। शाम तक लगभग सत्तर फीसद तक मलबा हट गया। टीम ने शुक्रवार सुबह तक पूरा मलबा हट जाने की उम्मीद जताई है।

इस मामले में पुलिस ने अबतक 24 लोगों के खिलाफ नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया था। बुधवार तक तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया था। बृहस्पतिवार को पुलिस ने दो अन्य आरोपित कासिम व श्याम जी पाठक को गिरफ्तार किया। दोनों ब्रोकर हैं। अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम विभिन्न स्थानों पर दबिश दे रही है।

एक और अवैध इमारत धराशायी होने की कगार पर ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में एक और बिल्डर प्रोजेक्ट जमींदोज होने के कगार पर है। एक माह पहले इसकी इमारत चार इंच जमीन में धंस गई। इससे फ्लैटों में चारों तरफ दरार पड़ गई। निर्माण कार्य में लगे मजदूर काम छोड़कर भाग गए। इमारत के एक फ्लैट में हरियाणा का परिवार रहता है। पिछले कई दिनों से परिवार खौफ के साये में जी रहा है। मंगलवार रात दो गली दूर इमारत गिरने की घटना से यह परिवार सकते में आ गया। बिल्डर से फोन पर बात करने का प्रयास किया तो उसने फोन नहीं उठाया। उन्होंने फ्लैट को खाली करने का मन बना लिया है।

मंगलवार रात को जमींदोज हुई इमारत से दो गली छोड़कर जितेंद्र पाल मान बिल्डर ने जेपी हाइटस के नाम से छह मंजिला में 46 अवैध फ्लैट बनाएं हैं। फ्लैटों के निर्माण में बिल्डर ने घटिया सामग्री का प्रयोग किया है। भवन निर्माण के लिए बनाए गए पिलर हल्के हैं। वह छह मंजिला भवन का भार झेलने की स्थिति में नहीं है। लेंटर में ढाई सूत की सरिया का इस्तेमाल किया गया है। जबकि कम से कम चार सूत की सरिया का इस्तेमाल होना चाहिए। इसी तरह पिलर में छह सूत की आठ सरिया लगनी चाहिए, लेकिन चार सूत की पांच सरिया लगाई गई हैं।

कमजोर बुनियाद होने की वजह से एक माह पहले यह बिंल्डिग चार इंच जमीन में धंस गई। अवैध इमारत बनाने वाले बिल्डरों को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने एक साथ मिलकर जितेंद्र पाल मान के साथ बैठक की। बिंल्डिग धंसने के पांच दिन बाद यह बैठक बगल की एक अन्य बिंल्डिग में हुई थी। यह बात पड़ोस की बिंल्डिग में रहने वाले लोगों ने बताई। अन्य बिल्डरों ने जितेंद्र पाल मान को लताड़ते हुए कहा भी था कि बिंल्डिग की बुनियाद बेहद कमजोर है। आशंका थी कि बरसात के दौरान यह बिंल्डिग गिर सकती है।

उन्होंने जितेंद्र पाल से कहा भी था कि यदि बिंल्डिग गिरी तो शाहबेरी में बनाए जा रहे फ्लैटों को खरीदने के लिए कोई नहीं आएगा। इससे बदनामी होगी। इसके बाद जितेंद्र पाल ने भवन के पिलर को मजबूत करने के लिए उनकी सपोर्ट में लोहे के पिलर लगाए। सीमेंट के पिलर और लोहे पिलर में करीब छह इंच का फासला है। उसमें सीमेंट, रोडी और बदरपुर भरा जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.