रिटायरमेंट के बाद ट्रेन के डिब्बों का होता है गजब उपयोग, आखिर ICF और NFG कोच में क्या है अंतर?
Life Span of Coaches of Indian Railways ट्रेन के डिब्बे यानी बोगी जनरल हो स्लीपर हो या एसी हो सभी की एक समय सीमा होती है। आइए आज हम बात करेंगे की ट्रेन को कब सेवा से हटा दिया था और ट्रेन की लाइफ कितने सालों की होती है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Life Span of Coaches of Indian Railways: भारत में रेलवे की स्थापना 8 मई 1845 को हुई थी। तकरीबन 178 सालों से भारत में रेलवे सबसे प्रमुख परिवहन का जरिया है। जानकारी के मुताबिक, भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा और दूसरा सबसे व्यस्ततम रेल नेटवर्क है। रेल के जरिए सलाना 8.09 बिलियन (809 करोड़) यात्रियों और 1.20 बिलियन (120 करोड़) टन माल ढुलाई करता है।
समय के साथ भारतीय रेल नए बदलावों के साथ गुजरती रही। एक जमाना था जब ट्रेन को चलने के लिए कोयले की जरूरत होती थी, लेकिन आज के समय भारतीय रेलवे इलेक्ट्रिक के जरिए तेज रफतार के साथ पटरी पर सरपट दौड़ती है। माना जा रहा है कि कुछ सालों के बाद भारत में बुलेट ट्रेन भी चलने वाली है। हालांकि, ट्रेन के डिब्बे यानी बोगी जनरल हो स्लीपर हो या एसी हो, सभी की एक समय सीमा होती है।
आइए आज हम बात करेंगे की ट्रेन के डिब्बों को कब सेवा से हटा दिया था और ट्रेन कोच की लाइफ कितने सालों की होती है।
25 साल है कोच की कोडल लाइफ
मीडिया रिपोर्टस की जानकारी के अनुसार यात्रियों को सेवाएं देने वाली आईसीएफ (Integral Coach Factory) कोच की कोडल लाइफ (Codal Life) 25 साल होती है। पैसेंजर ट्रेन ज्यादा से ज्यादा 25 साल तक सेवा में रहती है। इस अवधि के दौरान कोच की हर पांच और दस सालों में एक बार मरम्मत और मेंटेनेंस की जाती है।
आइसीएफ को एनएमजी में किया जाता है तब्दील
पैसेंजर कोच की जब अवधि पूरी हो जाती है यानी कोच जब 25 साल पुराना हो जाता है तो फिर उसे ऑटो करियर में बदल दिया जाता है। इस ट्रेन को एनएमएजी (Newly Modified Goods वैगन) रेक का नाम दिया जाता है। अंदर की सभी सोटें खोलकर हटा दिया जाता है। वहीं, कोच में मौजूद दूसरे सामान जैसे पंखे,लाइट और अन्य सामान खोले जाते हैं। इस वैगन में के जरिए एक राज्य से दूसरे राज्यों में माल ढुलाई की जाती है।