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18 साल में बदला सात हजार कैदियों का जीवन, अरुणा सिखाती हैं हैप्पीनेस का मंत्र

73 वर्षीय अरुणा सरीन जबलपुर के सुभाषचंद्र बोस सेंट्रल जेल में कैदियों को सिखाती हैं हैपीनेस का मंत्र

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 09:16 AM (IST)Updated: Mon, 28 May 2018 10:32 AM (IST)
18 साल में बदला सात हजार कैदियों का जीवन, अरुणा सिखाती हैं हैप्पीनेस का मंत्र
18 साल में बदला सात हजार कैदियों का जीवन, अरुणा सिखाती हैं हैप्पीनेस का मंत्र

जबलपुर [अनुकृति श्रीवास्तव]। कभी दिन भर गाली-गलौच करने वाले कैदी हैप्पीनेस का मजाक बनाते थे। तनाव तो जैसे उनके जीवन का हिस्सा था, लेकिन आज वे अनुशासित हैं। सुबह की शुरुआत प्रार्थना से करते हैं। साथियों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। बात हो रही है जबलपुर के सुभाषचंद्र बोस सेंट्रल जेल की। कैदियों के जीवन में यह संभव हो सका है अरुणा सरीन की वजह से। वह 2000 से इन कैदियों को खुश रहने का मंत्र सिखा रही हैं।

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शुरुआत में कोई कुछ सीखने-समझने के लिए कोई तैयार नहीं होता था। बहुत कोशिश करके उन्होंने योग व ध्यान से कैदियों को जोड़ा। इन 18 सालों में सात हजार कैदियों ने आनंद का रस समझ लिया। सेवानिवृत्त प्राचार्य अरुणा सरीन की 73 साल की हो चुकी हैं, लेकिन वह सुबह आठ से 10 बजे तक जेल में रोजाना कैदियों को योग और ध्यान सिखाने जाती हैं। इस समय जेल के सभी कैदी इस योग की पाठशाला में शामिल होने आ जाते हैं।

कुछ बंदियों पर ज्यादा ध्यान
आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़ी सरीन कहती हैं जेल में हर तरह के बंदी होते हैं। कई ऐसे हैं जो पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उस समय उन्हें गुस्सा आ गया और उनसे अपराध हो गया। इसके विपरीत कुछ लोग पहले भी कई बार जेल आ चुके रहते हैं। ऐसे में दोनों तरह के कैदियों के बीच सामंजस्य बिठाना होता है। कुछ कैदी तो बड़े ध्यान से बातों को सुनते हैं, लेकिन कुछ आना भी नहीं चाहते। तब उन पर ज्यादा ध्यान देकर व मेहनत करके शिविर में लाया जाता है।

पत्र लिखकर देते हैं धन्यवाद
ऐसे कई कैदी हैं जिनके चेहरे पर मुस्कुराहट भी नहीं आती थी, अब वह मुस्कुराने लगे हैं। समय पर नहीं आते थे समय पर आने गले। बात-बात में झगड़ा करने व झूठ बोलने वाले कैदी भी अब साथियों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। कुछ कैदी तो जेल से छूटने के बाद उन्हें चिठ्ठियां लिखकर अरुणा सरीन को धन्यवाद भी देते हैं कि उनकी बताई बातों ने उनका जीवन बदल दिया। जेल की कल्याण अधिकारी सरिता घारू बताती हैं कि अरुणा सरीन जिस तरह कैदियों को समय देती हैं, उससे प्रेरणा लेकर ही कैदियों ने एक योग गु्रप बनाया है। जेल वैसे भी सुधार गृह जैसा बन चुका है। सुबह से लेकर रात तक अनुशासित जीवन का पालन कैदी करते हैं। हर काम का वक्त तय है। कैदियों के व्यवहार में सकारात्मक अंतर आ चुका है।

पति की कही बात पर कर रही हैं अमल
खमरिया सेंट्रल स्कूल में प्राचार्य रहीं अरुणा सरीन ने बताया कि उनके पति कर्नल आर सी सरीन हमेशा कहते थे कि यदि तुम्हें सेवा करनी ही है जेल में जाकर करना। वह भी आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े थे। 2000 में मेरे पति की निधन हो गया। इसके बाद से जेल में योग व ध्यान लगाने की शुरुआत की। 


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