Move to Jagran APP

Life expectancy in india: छह दशक में 28 साल बढ़ गई जीने की उम्र

Independence Day Life expectancy in India आज भारत अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इतने वर्षों में कई मामलों में भारत ने नई इबारतें लिखी हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 11:42 AM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 01:17 PM (IST)
Life expectancy in india: छह दशक में 28 साल बढ़ गई जीने की उम्र
Life expectancy in india: छह दशक में 28 साल बढ़ गई जीने की उम्र

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/पीयूष अग्रवाल। Life expectancy in india:  आज भारत अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इतने वर्षों में कई मामलों में भारत ने नई इबारतें लिखी हैं। हमें गर्व है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, यहां की सभ्यता तकरीबन दस हजार वर्ष पुरानी है। वहीं अंग्रेजों के कदम रखने से पहले यह विश्व का सबसे धनी देश था और यही नहीं दुनिया को विज्ञान से लेकर चिकित्सा तक का इल्म समझाने का काम किया। पर अंग्रेजों ने हमारे देश को जमकर लूटा। गुलामी की जंजीरों से मुक्त होने के बाद भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता यही थी कि कैसे भारत को उसका पुराना गौरव वापस दिलाया जाए। आजादी के बाद से आज तक के सफर में हम अपने इस मकसद में काफी हद तक कामयाब हुए हैं।

loksabha election banner

भारत में पिछले कई दशकों के दौरान जीवन प्रत्याशा में काफी बढ़ोतरी हुई है। 1970-75 के दौरान भारत में जीवन प्रत्याशा जहां करीब 51 वर्ष थी, वहीं 2015-19 में यह बढ़कर 69 वर्ष तक पहुंच गई। औसत जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार निवेश का परिणाम है।

विश्व बैंक की रिपोर्ट बताती है कि शुरुआती दशक (1960-70) में जीवन प्रत्याशा दर 41 से बढ़कर 50 हुई थी, जिसमें उत्तरोतर बढ़त जारी है। 1980 से 1990 में जीवन प्रत्याशा दर में 4 साल की बढ़ोतरी हुई। 1980 में जहां यह 54 साल थी, वह 1990 में बढ़कर 58 साल हो गई। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, जीवन प्रत्याशा दर का मतलब है कि कोई भी नौनिहाल तत्कालीन पैटर्न के अनुसार कितने साल तक जीता है।

लैंसेंट में कुछ समय पहले प्रकाशित अध्ययन के सह लेखक और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के डॉ. जीमोन पेन्नीयाम्मकाल द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सभी आयु वर्ग में हृदय रोग, फेफड़े संबंधी रोग और लकवा आदि से 30 फीसद लोगों की मौत हुई है। डॉक्टर जीमोन ने अपने लेख में लिखा था कि बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण दिमागी संक्रमण (एंसेफेलोपैथी) रहा। इसकी वजह से पांच साल तक के 2.12 लाख बच्चों की जान गई।

कुछ समय पहले आई नेशनल हेल्थ प्रोफाइल की रिपोर्ट की मानें तो भारतीयों की संभावित आयु में बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन डेंगू, चिकनगुनिया और वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आए हैं। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस रिपोर्ट की मानें तो प्रदूषण को लेकर देश में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। दिल्ली और हरियाणा और उससे सटे प्रदेशों की हालत खराब है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड में सांस की बीमारी से हुई मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि आई है। दिल्ली में वर्ष 2016 से 2018 के बीच मौतों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, कुल मौतों में 68.47 फीसदी हिस्सा एयर पॉल्यूशन से होने वाली मौतों का है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.