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PM मोदी की हत्‍या की साजिश: जैकब से मिले पत्र व नक्सलियों के हालिया बयान एक जैसे

अधिकारियों का मानना है कि मोदी राज में नक्सलियों पर बड़ी कार्रवाई होने से उनमें बौखलाहट है। जैकब से मिले पत्र व नक्सलियों के हालिया बयान एक जैसे हैं।

By Arti YadavEdited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 03:12 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jun 2018 03:31 PM (IST)
PM मोदी की हत्‍या की साजिश: जैकब से मिले पत्र व नक्सलियों के हालिया बयान एक जैसे

रायपुर (संजीत कुमार)। भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में पकड़े गए रोना जैकब विल्सन से मिले पत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का मामला भले ही अब सामने आया हो, लेकिन नक्सली नेताओं के हालिया बयान पत्र की भाषा से मेल खाते रहे हैं। अक्टूबर 2017 में नक्सलियों की तरफ से जारी बयान में ब्राह्मणीय हिंदू फासीवाद के खिलाफ क्रांतिकारी शक्तियों, जनवादियों, प्रगतिशील शक्तियों, संगठनों, धर्मिक अल्पसंख्यकों, धर्मनिरपेक्ष लोगों, अजा लोगों, आदिवासियों व महिलाओं को एकजुट कर व्यापक संयुक्तमोर्चा और मजबूत करने के साथ ही जुझारू आंदोलन के निर्माण की अपील की गई थी। इस तरह की अपील का पर्चा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली पिछले छह माह से चस्पा करते आ रहे हैं।

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नक्सल उन्मूलन अभियान में शामिल अधिकारियों का मानना है कि मोदी राज में नक्सलियों पर बड़ी कार्रवाई होने से उनमें बौखलाहट है। सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव से लाल गलियारा तेजी से सिकुड़ रहा है। बीते चार वर्षो में देश में नक्सलवादी कमजोर पड़े हैं।

44 क्षेत्र हुए नक्सलमुक्त

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर एसआइबी के एक अफसर ने बताया कि केंद्र में एनडीए सरकार आने के बाद से नक्सलियों पर हर तरफ से दबाव बढ़ा है। शहरी क्षेत्रों में काम कर रहे उनके ज्यादातर सहयोगी पुलिस के निशाने पर हैं, इस वजह से वह खुलकर काम नहीं कर पा रहे हैं। इसका असर नक्सलियों की फंडिंग पर पड़ा है। यही कारण है कि नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल 126 में से 44 को नक्सल मुक्त घोषित किया जा सका है। इनमें पांच अति नक्सल प्रभावित जिले शामिल हैं। हालांकि, आठ नए जिलों को सूची में डाला भी गया है, जो नए ठिकानों की तलाश का संकेत है। 

2015 से अब तक लगे बड़े झटके

बीते तीन-चार सालों में नक्सलियों के कई बड़े नेताओं की मौत हुई है। इनमें अधिकांश मुठभेड़ में मारे गए। कुछ रणनीतिकारों की मौत बीमारी से भी हुई। इसमें के. मुरलीधरन उर्फ थॉमस जोसेफ (8 मई 2015), कुप्पा देव राज उर्फ कुप्पा स्वामी उर्फ रमेश उर्फ रामायण (24 नवंबर 2016), बी. नारायाण सान्याल उर्फ नवीन प्रसाद (17 अप्रैल 2017), कोबाड गांधी (16 दिसंबर 2017), जीनगु नरसिम्हन उर्फ जपन्ना आत्मसर्पण (22 दिसंबर 2017) व रमन्ना उर्फ श्रीनिवास उर्फ रवि उर्फ सुरेश (2018) शामिल हैं।

2017 में 140 की मौत स्वीकारी

नक्सलियों ने 2017 में अपने 140 साथियों के मारे जाने की बात स्वीकार की है। नक्सलियों के केंद्रीय सैन्य आयोग की तरफ से जारी एक लिखित बयान में इसका उल्लेख किया गया है। मारे गए नक्सलियों में 30 महिला नक्सली भी शामिल थीं।

भीमा-कोरगांव पर भी आया था बयान

भीमा-कोरगांव की घटना को लेकर नौ जनवरी 2018 को नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के प्रवक्ता अभय ने एक लिखित बयान जारी किया था। इसमें कहा था कि आंबेडकर का नाम लेकर नैतिकता की बात करने वाले लोग अजा लोगों के खिलाफ हैं। ऐसे संगठन के खिलाफ एकजुट हो जाएं। इस सरकार में अजा लोगों के उत्थान के लिए कुछ नहीं हो सकता।


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