कल था नेताओं का जमघट, अब कूड़ा-करकट
'भारत स्वच्छता अभियान' के अंतर्गत गुरुवार को शहर में जगह-जगह नेताओं का जमघट लगा हुआ था, साफ-सफाई अभियान चल रहा था, नेताओं व अफसरों ने झाड़ू थामी हुई थी। ऐसा लग रहा था मानों रोजाना यह नजारा दिखेगा। मगर, महज 24 घंटे बाद ही इस अभियान की पोल खुल गई। शुक्रवार को यहां नेताओं व अफसरों का जमघ
देहरादून (जागरण संवाददाता)। 'भारत स्वच्छता अभियान' के अंतर्गत गुरुवार को शहर में जगह-जगह नेताओं का जमघट लगा हुआ था, साफ-सफाई अभियान चल रहा था, नेताओं व अफसरों ने झाड़ू थामी हुई थी। ऐसा लग रहा था मानों रोजाना यह नजारा दिखेगा। मगर, महज 24 घंटे बाद ही इस अभियान की पोल खुल गई। शुक्रवार को यहां नेताओं व अफसरों का जमघट तो दूर, किसी सफाई कर्मी ने भी नहीं झांका। हर जगह गंदगी पसरी हुई थी। सड़क पर किसी ने आइसक्रीम खाकर उसका रेपर फेंक दिया तो किसी ने डिस्पोजल गिलास और किसी ने केले का छिलका। टॉफी व गुटखे के खाली पैकेट तो जगह-जगह पड़े हुए थे।
शायद 'स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत' का सच सिर्फ नेताओं के फोटो-सेशन तक ही सीमित था। तभी तो गुरुवार को स्वच्छ भारत के नारे लगाकर सफाई की शुरुआत करने वाले चेहरे शुक्रवार को गायब मिले। गुरुवार को सूबे के मुखिया हरीश रावत ने गांधी पार्क से स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी, मगर गांधी पार्क में शुक्रवार को गंदगी का ढेर लगा मिला। इसे साफ करने न तो कोई नेता आया, न वरिष्ठजन न सरकारी कर्मी, न ही स्वयंसेवी संगठन। इतना ही नहीं हद तो तब हो गई जब गांधी पार्क के सामने से एक शोभायात्रा गुजरी। यात्रा में समिति के सदस्यों ने आतिशबाजी की तो उसका सारा कूड़ा गांधी पार्क के सामने जमा हो गया।
वहीं, परेड ग्राउंड में दशहरे मेले का आनंद लेने आए लोगों ने चाट-ठेली के स्टाल पर खाने-पीने के बाद पत्तल, गिलास आदि वहीं फेंक दिए। किसी को यह समझ नहीं थी कि पत्तल आदि कूड़ेदान में डाल दें। लोगों की भीड़ में कूड़ा इधर से उधर ठोकरें खाकर पूरे ग्राउंड में फैल गया। कुछ यही हाल प्रेमनगर में आइएमए के पास भी रहा। सड़क के किनारे कूड़े का अंबार लगा रहा, लेकिन किसी ने सफाई की जहमत नहीं उठाई। शहर का पॉश इलाका वसंत विहार भी गंदगी से अछूता नहीं है। यहां हर वर्ग के लोग रहते हैं, मगर किसी ने भी स्वच्छता की कोशिश नहीं की। ऐसा ही हाल पटेलनगर में पॉम सिटी के समीप रहा। यहां भी गंदगी व कूड़े के ढेर लगे मिले, जबकि इसी इलाके में शुक्रवार रात मुख्यमंत्री हरीश रावत एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। नगर निगम तक ने यहां सफाई की जहमत नहीं उठाई। शहर के बीचो-बीच राजपुर रोड स्थित लोकल बस अड्डे का हाल तो और भी दयनीय मिला। गंदगी और कूड़े के हालात बयां कर रहे थे कि शायद ही यहां किसी को इसकी परवाह है।
यह तो महज बानगीभर है। हालांकि, शुक्रवार को दशहरे की वजह से सरकारी अवकाश था, मगर आमजन खुद ही केंद्र सरकार के स्वच्छता अभियान को लेकर जागरूक नहीं होना चाह रहे। यही कारण है कि गुरुवार को चेहरा चमकाने के लिए जरूर शहर में झाड़ू लगाने के लिए लोगों की भीड़ नजर आई थी, मगर एक दिन बाद ही लोगों के जेहन से स्वच्छ भारत का सपना हवा हो गया।
नगर निगम परिसर में कूड़े का ढेर
शहर में सफाई अभियान की जिम्मेदारी भले ही नगर निगम के कंधे पर है, लेकिन नगर निगम परिसर के हालात देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि, शहर में सफाई व्यवस्था के हाल क्या होंगे। यहां शुक्रवार को भी गंदगी का ढेर लगा मिला, जबकि शहरभर से गंदगी उठाने के संसाधन नगर निगम के पास हैं। जब निगम अपने परिसर में ही इन संसाधनों का उपयोग नहीं कर रहा तो शहर में क्या करता होगा। हालांकि, मेयर ने गुरुवार को दावा किया है कि वह आगामी मंगलवार से निगम परिसर में साफ सफाई अभियान चलाएंगे।
तालाब में फेंकी पॉलीथिन और बोतलें
दो अक्टूबर को जिस तरह से स्वच्छ भारत अभियान चला, उससे लगा था कि अब सब कुछ साफ रहेगा। लेकिन, ये खुमारी एक दिन बाद ही उतर गई। तालाब श्री झंडा साहिब में हुए लंका दहन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे। तालाब के चारों ओर बैठे लोग साथ में पानी की बोतलें, चिप्स के पैकेट और अन्य खाद्य सामग्री भी लाए थे। जाते वक्त चिप्स के खाली पैकेट और बोतल लोगों ने तालाब में डाल दिए। रामलीला कला समिति के विजेंद्र कुमार बंसल ने बताया कि इतने बड़े कार्यक्रम में किसी को गंदगी करने से रोकना और डस्टबिन का इंतजाम करना मुमकिन नहीं है। लोगों को खुद भी सफाई के बारे में सोचना चाहिए।