सड़क सुरक्षा की तरफ सरकार की सुस्ती आमजीवन पर इस तरह पड़ रही भारी
सरकार की ओर से न तो बड़े स्तर पर चालक तैयार करने की कोई योजना है और न ही इन्हें अनुशासित रखने के लिए कड़े कानून जैसे उपाय अपनाए गए हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। व्यावसायिक वाहन चालकों को कभी सम्मानजनक नजरिए से नहीं देखा गया। सरकार ने कभी इसे जरूरी रोजगार देने वाला क्षेत्र माना ही नहीं। आज ट्रांसपोर्ट उद्योग योग्य चालकों की भारी कमी से जूझ रहा है। हालात यह हैं कि आज देशभर में जरूरत के मात्र 72 फीसद योग्य चालकों के ऊपर पूरा मालवाहक उद्योग निर्भर है। 28 फीसद चालकों की कमी के कारण यह क्षेत्र पूरी रफ्तार के साथ देश की प्रगति में योगदान नहीं दे पा रहा है। ट्रांसपोर्ट का देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है। देश में लाखों चालक रोजाना माल यहां से वहां पहुंचाते हैं। अगर कुछ दिन किसी इलाके में वाहनों का पहिया थमता है तो वहां का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। तब भी सरकारों ने इसपर विशेष ध्यान नहीं दिया है। यही कारण है कि न तो बड़े स्तर पर चालक तैयार करने की कोई योजना है और न ही इन्हें अनुशासित रखने के लिए कड़े कानून जैसे उपाय अपनाए गए हैं। जबकि कौशल विकास अभियान के तहत जगह-जगह ट्रेनिंग सेंटर स्थापित कर ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्र के युवाओं को वाहन चलाने के रोजगार से जोड़ा जा सकता है।
चालकों की कमी के कारण ट्रक चलाते चालकों की परेशानी बढ़ जाती है। उन्हें अधिक घंटे ट्रक चलाना पड़ता है। इससे उनकी नींद पूरी नहीं होती है और यह हादसों का बड़ा कारण है। ट्रकों में चालक की सहायता के लिए हेल्पर होते हैं। तो भी उनकी ज्यादा सहायता चालक को नहीं मिल पाती है, क्योंकि उन्हें गाड़ी की कमान पार्किंग या लोडिंग-अनलोडिंग के समय मिलती है। ऐसे में यह गलत है कि सहायक चालक हाईवे पर स्टेयरिंग संभाल लेते हैं, क्योंकि कोई वाहन मालिक या चालक जान-माल की हानि नहीं चाहता है। कुछ मामले अपवाद हो सकते हैं। मौजूदा सरकार में कुछ साल पहले राजमार्गों पर ट्रक चालकों की सुविधा के लिए हर 50 से 100 किमी पर हब बनाने का प्रस्ताव था, जिसमें चालकों को सोने व नहाने के साथ माल लदे ट्रकों की सुरक्षा की व्यवस्था करने का विचार था। लेकिन अभी तक वह जमीन पर नहीं उतर पाया है। हालत यह कि मौजूदा समय में ढाबों और पेट्रोल पंप पर चालक इस डर से गहरी नींद में नहीं सोते हैं कि ट्रकों पर लदा सामान चोरी हो जाएगा।
हाईवे किनारे शराब के ठेकों पर तो पाबंदी लगा दी गई, लेकिन अब दूसरे नशीले पदार्थ धड़ल्ले से बिक रहे हैं। इनपर रोक जरूरी है। हादसों को बढ़ाने में सख्त कानून का न होना भी बड़ा कारण है। अगर दुर्घटना करते कोई चालक पकड़ा जाए तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड या निरस्त नहीं होता है। अधिक सजा का प्रावधान भी नहीं है। अगर चालक शिक्षित और समझदार होगा तो वह यातायात नियमों को लेकर ज्यादा सजग होगा। तकनीकी का इस्तेमाल कर अपनी मंजिल पर आसानी से पहुंच सकेगा। इसपर भी ध्यान देने की जरूरत है।
सरकार की ओर से न तो बड़े स्तर पर चालक तैयार करने की कोई योजना है और न ही इन्हें अनुशासित रखने के लिए कड़े कानून जैसे उपाय अपनाए गए हैं।
राजेंद्र कपूर अध्यक्ष, दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट आर्गनाइजेशन