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अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, प्रशांत भूषण ने किया ट्वीट का बचाव

चर्चित वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपने ट्वीट का बचाव करते हुए कहा कि उनसे न्याय प्रशासन में कोई व्यवधान आने की संभावना नहीं थी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 06:04 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 06:04 AM (IST)
अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, प्रशांत भूषण ने किया ट्वीट का बचाव
अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, प्रशांत भूषण ने किया ट्वीट का बचाव

नई दिल्ली, पीटीआइ। चर्चित वकील प्रशांत भूषण ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने दो कथित अवमानना भरे ट्वीट का बचाव करते हुए कहा कि वे जजों के आचरण को लेकर उनके खिलाफ जरूर थे लेकिन उनसे न्याय प्रशासन में कोई व्यवधान आने की संभावना नहीं थी। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने दो अपमानजनक ट्वीट के जरिये न्यायपालिका की कथित अवमानना के लिए 22 जुलाई को भूषण को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

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कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हमने इस मामले में वरिष्ठ वकील को सुना। तर्क-वितर्क के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। शीर्ष अदालत ने इस संदर्भ में भूषण द्वारा दायर एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में 22 जुलाई के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी। इस आदेश के तहत ही भूषण के खिलाफ न्यायपालिका की कथित अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई है।

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ की ओर से दायर उस याचिका को दस अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया है, जिसमें शिमला पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था। यह मामला उनके खिलाफ यू-ट्यूब में केंद्र सरकार की आलोचना करने को लेकर किया गया था। जस्टिस उदय उमेश ललित की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मामले को दस अगस्त को दोपहर दो बजे अंतिम रूप से निस्तारण के लिए स्थगित कर दिया है।

इससे पहले सर्वोच्च अदालत ने विनोद दुआ को गिरफ्तारी से बचने के लिए अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। साथ ही हिमाचल प्रदेश में दुआ के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट में कोई कार्रवाई करने से रोका गया था। दुआ पर आरोप है कि उन्होंने अपने यू-ट्यूब कार्यक्रम में कुछ विवादास्पद बयानबाजी की है। द विनोद दुआ शो नाम के कार्यक्रम में उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली बातें कहीं हैं। इससे पहले हिमाचल पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में पत्रकार दुआ के खिलाफ राजद्रोह के मामले संबंधी अपनी जांच रिपोर्ट को सौंपा था।


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