कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा- कृषि सुधारों के विरोध ने उजागर किया विपक्षी दलों का दोहरा चरित्र
जनता द्वारा खारिज कर दी गई और पंचायत से संसद तक हार रही पार्टियां अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी आंदोलन में कूद पड़ती हैं। ऐसी पार्टियों के शर्मनाक चेहरे और दोहरे रवैये को उजागर करता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसानों के भारत बंद के समर्थन में आने वाले विपक्षी दलों पर भाजपा ने कृषि सुधारों को लेकर शर्मनाक तरीके से दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। भाजपा के अनुसार कृषि सुधारों का विरोध करने वाले कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल 'केवल सरकार का विरोध करने के नाम पर किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।' भाजपा के वरिष्ठ नेता व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यूपीए सरकार के दौरान किये कृषि सुधारों, उनके नेताओं के बयान और चुनावी घोषणापत्र का हवाला देते हुए बताया कि कृषि सुधारों की बात करने वाली पार्टियां किस तरह अब 'किसानों को गुमराह करते हुए अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने लगी हैं'।
प्रसाद ने कहा- विपक्षी दल किसानों को गुमराह कर सेंक रहे हैं राजनीतिक रोटियां
रविशंकर प्रसाद ने प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग पर बोलने से बचते हुए कहा कि उनकी कुछ आपत्तियां हैं और सरकार से बातचीत चल रही है। सरकार की ओर से किसानों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कृषि सुधारों की बात करने वाले और समर्थन करने वाले दलों का इसके खिलाफ खड़े हो जाना 'ऐसी पार्टियों के शर्मनाक चेहरे और दोहरे रवैये को उजागर करता है।'
निहित स्वार्थों के कारण कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल किसान आंदोलन में शामिल
रविशंकर प्रसाद के अनुसार किसान नेताओं ,ने अपने मंच पर राजनीतिक दलों के नहीं आने की हिदायत दी थी, लेकिन निहित स्वार्थों के कारण कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल जबरन उसमें शामिल हो रही है।
पार्टियां अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी आंदोलन में कूद पड़ती हैं: केंद्रीय मंत्री
रविशंकर प्रसाद के अनुसार जनता द्वारा खारिज कर दी गई और पंचायत से संसद तक हार रही पार्टियां अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी आंदोलन में कूद पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि 'इसके पहले भी सीएए, शाहीन बाग और कई अन्य अवसरों पर ये अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं।'
जो राज्य मंडी कानून में सुधार नहीं करेंगे उन्हें केंद्र से सहयोग नहीं मिलेगा: पूर्व कृषि मंत्री पवार
उन्होंने राकांपा नेता शरद पवार के 2005 के एक साक्षात्कार और केंद्रीय कृषि मंत्री रहते हुए 2010 और 2011 में मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र का हवाला दिया। इनमें शरद पवार कृषि क्षेत्र में सुधारों के लिए राज्य पर दबाव बना रहे थे और अपने साक्षात्कार में तो उन्होंने यहां तक कह दिया था कि जो भी राज्य मंडी कानून में सुधार नहीं करेंगे उन्हें केंद्र सरकार से सहयोग नहीं मिलेगी। साथ ही उन्होंने ऐसे राज्यों पर पेनाल्टी लगाने की बात भी कही थी।
संप्रग सरकार ने 2013 में फलों और सब्जियों को मंडी कानून से बाहर लाने का ऐलान किया था
रविशंकर ने बताया कि संप्रग सरकार के दौरान किस तरह से कांट्रैक्ट फार्मिंग के कानून बनाए गए थे और सभी कांग्रेस शासित राज्यों समेत कई अन्य राज्यों ने इसे लागू भी किया था। इसी तरह कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2013 में फलों और सब्जियों को मंडी कानून से बाहर लाने का ऐलान किया था, ताकि किसान अपनी पैदावार को अपनी मर्जी के अनुसार जहां चाहें बेच सकें। कांग्रेस शासित राज्यों ने इसे तत्काल लागू भी कर दिया।
कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने का वायदा कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में किया था
कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने का वायदा कांग्रेस ने 2019 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया था। अंग्रेजी में छपे घोषणापत्र में मंडी कानून को निरस्त करने और हिंदी में संशोधन करने की बात थी।
किसान बंद के समर्थक केजरीवाल ने नए कृषि सुधारों को दिल्ली में लागू भी कर दिया
रविशंकर प्रसाद ने योगेंद्र यादव को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मोदी सरकार के तीन साल पूरा होने पर स्वराज अभियान ने मंडी कानून में सुधार से हाथ खींचने का आरोप लगाते हुए आलोचना की थी। इसी तरह किसान बंद के समर्थन में आगे आने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नए कृषि सुधारों को दिल्ली में लागू करने की अधिसूचना भी जारी कर चुके हैं।