प्रशिक्षु वकील का मामला न्याय व्यवस्था में भटकाव का संकेत
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम ने सेवानिवृत्त जज पर प्रशिक्षु वकील द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को न्याय व्यवस्था में भटकाव का संकेत करार दिया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि मामले में हर पहलू से न्याय किया जाएगा। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट में आने वाली यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम ने सेवानिवृत्त जज पर प्रशिक्षु वकील द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को न्याय व्यवस्था में भटकाव का संकेत करार दिया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि मामले में हर पहलू से न्याय किया जाएगा। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट में आने वाली यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
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प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम ने 'सुप्रीम कोर्ट लिंग संवेदीकरण एवं आंतरिक शिकायत समिति' का गठन किया, जिसमें अध्यक्ष के अतिरिक्त छह अन्य महिलाएं शामिल हैं। समिति में शीर्ष अदालत से संबंध नहीं रखने वाले दो लोगों को भी शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा मामले में दिए फैसले में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निस्तारण के लिए खास दिशा-निर्देश दिए थे। इस समिति को इन दिशा-निर्देशों के तहत ही बनाया गया है। समिति में सात महिलाओं के अतिरिक्त शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, वरिष्ठ अधिवक्ता एलएन राव और राजीव गांधी समसामायिक अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जी. मोहन गोपाल भी हैं। महिला सदस्यों में वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा, अधिवक्ता बीना माधवन, बी. सुनीता राव, मधु चौहान और शीर्ष अदालत से संबंध नहीं रखने वाली भारती अली शामिल हैं। अतिरिक्त रजिस्ट्रार रचना गुप्ता समिति की सदस्य सचिव हैं। इस समिति का गठन प्रशिक्षु वकील द्वारा हाल में सेवानिवृत्त हुए सुप्रीम कोर्ट के जज पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने के बाद किया गया है। जजों का तीन सदस्यीय पैनल आरोपों की जांच कर रहा है, जिसका गठन 12 नवंबर को किया गया था।
विधि दिवस समारोह के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एमएन कृष्णमणि ने न्यायाधीशों के चैंबर में सीसीटीवी कैमरे लगाने की वकालत की। हालांकि, कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने इससे असहमति जताते हुए कहा कि हमारे जज आज भी उतने ही अच्छे हैं, जितने 25 साल पहले थे।
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