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कोलंबिया यान के वो आखिरी आठ मिनट

भारतीय मूल की अंतरिक्ष वैज्ञानिक कल्पना चावला समेत अन्य छह अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की मौत से दस साल बाद जो पर्दा उठा है वह बेहद दर्दनाक है। कोलंबिया स्पेस शटल के प्रोग्राम मैनेजर रहे वेन हेल ने यह दावा किया है कि नासा को अंतरिक्ष यान में आई खराबी का पहले ही पता था, बावजूद इसके कुछ नहीं किया गया। यह उस वक्त अ

By Edited By: Published: Sun, 03 Feb 2013 03:11 PM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2013 03:11 PM (IST)
कोलंबिया यान के वो आखिरी आठ मिनट

नई दिल्ली। भारतीय मूल की अंतरिक्ष वैज्ञानिक कल्पना चावला समेत अन्य छह अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की मौत से दस साल बाद जो पर्दा उठा है वह बेहद दर्दनाक है। कोलंबिया स्पेस शटल के प्रोग्राम मैनेजर रहे वेन हेल ने यह दावा किया है कि नासा को अंतरिक्ष यान में आई खराबी का पहले ही पता था, बावजूद इसके कुछ नहीं किया गया। यह उस वक्त और भयावह लगने लगता है कि जब नासा के कंट्रोल रूम में बैठे लोगों के सामने हर चीज एक बड़ी सी स्क्रीन पर उभर कर आती है।

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वेन का दावा है कि उन्होंने यान में खराबी की बात जब अन्य लोगों को बताई तो उन्होंने इसको कल्पना चावला और अन्य छह यात्रियों को न बताने की सलाह तक दे डाली थी। ऐसे में जब कंट्रोल रूम में बैठे अन्य लोगों के सामने यह घटना तो भले ही उनके लिए यह नई बात नहीं रही होगी लेकिन दुनिया के लिए यह बेहद दुखद घटना थी और नासा के लिए अब यह एक काला धब्बा बन गई है।

इस घटना पर एक बार नजर डालें तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। किस तरह से कोलंबिया में बैठे सात अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से अलग होने के बाद धरती की ओर तेजी से आगे बढ़ते हैं और पृथ्वी के वायुमंडल में आने के बाद अचानक उनका यान एक आग के गोले का रूप ले लेता है औ सभी का खेल खत्म हो जाता है। इस नजारे को कई लोगों ने अपनी आंखों से देखा और कोई खामी समझ कर शांत हो गए। लेकिन हम आज आपको उस वक्त जो कुछ हुआ उसका विस्तृत विवरण दे रहे हैं। आइए जानते हैं इस हादसे से जुड़ी कुछ अहम सच्चाई :-

कोलंबिया स्पेस शटल को मिशन एसटीएस 107 के तहत 11 जनवरी 2001 को अंतरिक्ष स्टेशन में भेजा जाना था। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। 16 जनवरी 2003 को जब यह मिशन अंतरिक्ष की ओर रवाना हुआ उससे पहले इस मिशन को करीब बारह बार रद करना पड़ा था। इसके पीछे कई तकनीकी खामियां जुड़ी थी।

जिस वक्त कोलंबिया यान केनेडी स्पेस स्टेशन से रवाना हुआ उसके 81 सैकेंड के बाद ही यान से लगे एक्सटरनल टैंक पर लगा एक फॉम का हिस्सा टूट कर गिर गया था। यान की रफ्तार बेहद तेज होने की वजह से यह इतनी तेजी से यान के पिछले विंग से टकराया की वह टूट गया। लेकिन इसको यान में बैठे अंतरिक्ष यात्री नहीं जान पाए। बावजूद इसके नासा को यह बात पता चल चुकी थी। उन्हें इस बात का अंदाजा हो चुका था कि अब इस मिशन का वापस लौटना नामुकिन है। दरअसल यान पर एक विशेष धातु से बनी टाइल्स की मोटी परत होती है जिसमें एक परत फार्म की भी होती है। फार्म के कई सारे टुकडे़ मिलकर यान पर एक परत बनाते हैं जो यान को पृथ्वी के वायुमंडल में वापस आने और बाहर जाने के वक्त उस पर पड़ने वाले दबाव को कम करते हैं। साथ ही इसका काम उस वक्त घर्षण से पैदा होने वाली गर्मी से यान को बचाना भी होता है। लेकिन एक्सटरनल टैंक से लगी फॉम के हटने और यान के विंग के क्षतिग्रस्त हो जाने की वजह से ऐसा नहीं हो सका।

जिस वक्त यान ने वायुमंडल में दोबारा प्रवेश किया उस वक्त इस फॉम के हटने वाली जगह पर बने छेद से जो दबाव और गर्मी अंदर गई उससे यान आग के गोले में तब्दील हो गया और अमेरिका में टैक्सास के आसमान में बिखर गया। फॉम का यह टूटा हुआ टुकड़ा 24 गुणा 15 सेंमी का था। और यह 530 मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यान के पिछले विंग से टकराया था।

13:52:05 बजे :- कैलिफोर्निया से करीब तीन सौ मील की दूरी पर कोलंबिया यान का पिछले विंग खराब हो गया।

13:53:10 बजे :- विंग के खराब हो जाने के साथ ही इसका हाइड्रोलिक सिस्टम फेल।

13:53:26 बजे :- कोलंबिया ने कैलिफोर्निया को क्रॉस किया।

13:53:46 बजे पहली बार यान के पिछले विंग के हिस्सा अपनी जगह से निकल कर हवा में बिखर गए।

13:53:46 बजे :- यान में लगे सिस्टम ने यान में खराबी को इंगित न करते हुए सब कुछ ठीक बताया।

13:54:25 बजे :- यान ने कैलिफोर्निया के नवादा बॉर्डर को क्रास किया।

13:58:39 बजे :- यान में टायर का प्रेशर कम होने की जानकारी मिली।

13:59:06 बजे :- यान ने लेफ्ट गियर डाउन होने और इसके लॉक हो जाने की जानकारी दी।

13:59:36 बजे :- यान के मास्टर अलार्म सिस्टम ने यान के हाइड्रोलिक सिस्टम के फेल होने की जानकारी दी।

13:59:49 बजे :- लेफ्ट विंग के डेमेज होने के बाद यान की सतह की जानकारी देने और खराबी की सूचना देने वाला अलार्म सिस्टम खराब हो गया। यान के पिछले हिस्से में चिंगारी उठी।

13:59:37 बजे :- यान में बैठे सभी अंतरिक्ष यात्रियों को आने वाले दुखद समय का अहसास हो चुका था। यान इस वक्त भी ऑटो पायलेट मोड पर ही था।

14:00:02 बजे :- यान के अलार्म ने इसमें गंभीर तकनीकी खराबी की सूचना दी।

14:00:05 बजे :- पायलेट ने दोबारा इसके कुछ सिस्टम को चालू करने की कोशिश की।

14:00:18 बजे :- यान के पिछले हिस्से में आग तेज होने के बाद कॉकपिट का प्रेशर कम हो गया जिससे यात्री बेहोशी की हालत में हो गए।

14:00:53 बजे :- धमाके के साथ कॉकपिट यान से अलग हो गया और आग के गोले में तब्दील हो गया।

इसके बाद यान के टुकड़े टैक्सास के आसमान में पंद्रह किमी. दूर तक बिखर गए। इसमें अंतरिक्ष वैज्ञानिक रिक डी., विलियम सी., माइकल पी. एंडरसन, कल्पना चावला, डेविड एम. ब्राउन, लॉरेल क्लार्क, और इलान रेमन की मौत हो गए।

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