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उच्च शिक्षा की राह का रोड़ा नहीं बनेगी भाषा, छात्रों को अपनी मातृ भाषा में ही उपलब्ध होंगे पसंदीदा कोर्स

कोई भी छात्र अब सिर्फ भाषा की वजह से उच्च शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा बल्कि उन्हें अपनी मातृभाषा में किसी भी पसंदीदा कोर्स में आगे की पढ़ाई का पूरा मौका मिलेगा। सरकार की कोशिश उच्च शिक्षा से जुड़े ऐसे सभी कोर्सों में भाषा की दीवार को तोड़ने की है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 20 Apr 2022 08:17 PM (IST)Updated: Wed, 20 Apr 2022 11:44 PM (IST)
कोई भी छात्र अब सिर्फ भाषा की वजह से उच्च शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। कोई भी छात्र अब सिर्फ भाषा की वजह से उच्च शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा, बल्कि उन्हें अपनी मातृभाषा में किसी भी पसंदीदा कोर्स में आगे की पढ़ाई का पूरा मौका मिलेगा। इंजीनियरिंग के बाद सरकार की कोशिश उच्च शिक्षा से जुड़े ऐसे सभी कोर्सों में भाषा की उस दीवार को तोड़ने की है, जिसके लिए अभी अच्छी अंग्रेजी को जानना जरूरी है। यही वजह है कि नर्सिंग, मैनेजमेंट सहित सभी कोर्सों की पढ़ाई अब अंग्रेजी के साथ उन सभी दूसरी भारतीय भाषाओं में भी कराने की है, जिसमें देश के अलग हिस्सों में अभी स्कूली शिक्षा दी जा रही है।

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छात्रों को भाषा विकल्प मुहैया कराने की तैयारी

हालांकि फिलहाल उच्च गुणवत्तावाले इंजीनियरिंग, मेडिकल व ऐसे दूसरे संस्थानों और कोर्सों को इससे अलग रखा जाएगा जहां यह संभव नहीं होगा। बताया जा रहा है कि प्रयोग सफल होने के बाद दूसरे स्तर पर भी इसे अपनाने पर विचार किया जाएगा। वैसे भी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) आने के बाद सरकार का जोर छात्रों को स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक उनकी मातृभाषा में देने को लेकर है।

अभी अंग्रेजी में पढ़ाई के बाद छात्र अपने क्षेत्र और प्रदेश में काम करने के बजाय पैसे के पीछे भागते है। उन्हें जहां भी अच्छा पैसा आफर किया जाता है, वहां वह काम करने चले जाते है। ऐसे में पहला नुकसान उस क्षेत्र का होता है जहां से वह आते है, क्योंकि वह पढ़ाई के बाद किसी दूसरे क्षेत्र में काम करते है। शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अब तक देश के दस राज्यों के 19 इंजीनियरिंग कालेजों ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से दूसरी भाषाओं में इन कोर्सों को चलाने की अनुमति ली है।

गौरतलब है कि सरकार उच्च शिक्षा से जुड़े कोर्सों को दूसरी भारतीय भाषाओं में कराने की योजना पर एक सधी रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है। इसके हाल ही में उच्च शिक्षा में दाखिले से जुड़ी जेईई, नीट व सीयूईटी जैसी परीक्षा को 13 भाषाओं में कराने का फैसला लिया गया है। सरकार का यह मानना है कि अभी बड़ी संख्या में छात्र सिर्फ इसलिए अपनी पसंद के कोर्सों में दाखिला नही लेते है, क्योंकि उनकी स्कूली शिक्षा दूसरी भाषा में होने के साथ अंग्रेजी उनकी बेहतर नहीं होती है।

ऐसे सभी क्षेत्रों की हो रही है पहचान

मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक उच्च शिक्षा से जुडे ऐसे सभी कोर्सों की पहचान की जा रही है, जिन्हें हिंदी सहित दूसरी भाषाओं में पढ़ाया जा सकता है। या राज्य उसके लिए इच्छुक है। फिलहाल अब तक नर्सिंग और मैनेजमेंट को लेकर सबसे ज्यादा रुझान सामने आया है। अभी नर्सिंग के क्षेत्र में अकेले केरल के छात्रों ही कब्जा है। उन्हें देश के दूसरे हिस्सों में काम करने के दौरान भाषाई दिक्कत होती है।

पाठ्यक्रमों को तैयार करने में एआई की ली जा रही है मदद

इंजीनियरिंग सहित ऐसे क्षेत्रों के पाठ्यक्रमों को दूसरी भाषाओं में तैयार करने की कोशिश काफी तेजी से शुरू हुई है। इसके काम में जुटी एजेंसियां आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस ( एआई) की भी इस काम में मदद ले रही है। इसके साथ ही एक्सपर्ट अनुवादकों की एक टीम भी लगाई गई है।


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