बब्बर शेर के लिए बढ़ेगा कुनो पालपुर अभ्यारण्य का क्षेत्र, केंद्र को भेजा जाएगा प्रस्ताव
जनवरी, 2017 में वन्य प्राणी विशेषज्ञों की समिति ने कुनो का दौरा किया था। तब समिति ने अभ्यारण्य में जगह की कमी और राष्ट्रीय उद्यान नहीं होने का मुद्दा उठाया था।
मनोज तिवारी, भोपाल। बब्बर शेर (एशियाटिक लॉयन) का इंतजार कर रही मध्य प्रदेश सरकार को समझौते के 26 साल बाद कुनो पालपुर अभ्यारण्य का क्षेत्र बढ़ाना पड़ रहा है। वन्य प्राणी विशेषज्ञों की समिति की सिफारिश पर वन विभाग की वन्य प्राणी शाखा ने अभ्यारण्य का क्षेत्र 413 वर्ग किमी बढ़ाने और इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है, जो इसी माह राज्य कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इसे मिलाकर पार्क का क्षेत्र 1288 वर्ग किमी हो जाएगा।
सरकार शिवपुरी के करैरा सोनचिडि़या अभयारण्य (202 वर्ग किमी) और ग्वालियर के घाटीगांव सोनचिडि़या अभयारण्य के करीब 80 वर्ग किमी क्षेत्र को डि-नोटिफाई करने जा रही है। इसी क्षेत्र को जोड़कर कुनो पालपुर में 413 वर्ग किमी क्षेत्र बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही अभ्यारण्य को नेशनल पार्क का दर्जा भी दिया जाना है। मध्य प्रदेश को बब्बर शेर देने के लिए यह गुजरात सरकार की बड़ी शर्त थी, जो पिछले साल ही रखी गई थी। सरकार ने इस शर्त को पूरा कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि शेरों की यह प्रजाति देश में सिर्फ गुजरात के गिर अभ्यारण्य में पाई जाती है। संक्रमण से इस प्रजाति के खत्म होने की आशंका के चलते केंद्र सरकार ने 1991 में इन्हें दूसरी जगह शिफ्ट करने का निर्णय लिया था। तब मध्य प्रदेश में कुनो पालपुर का चयन हुआ और 1993 से इस योजना पर काम शुरू हुआ। 2003 में अभ्यारण्य शेरों के लिए तैयार भी हो गया, लेकिन तभी से गुजरात सरकार शेर देने में आनाकानी कर रही है। राज्य सरकार जब भी तैयारी पूरी होने की बात करती है, गुजरात सरकार कमी निकाल देती है। इसी को लेकर जनवरी, 2017 में वन्य प्राणी विशेषज्ञों की समिति ने कुनो का दौरा किया था। तब समिति ने अभ्यारण्य में जगह की कमी और राष्ट्रीय उद्यान नहीं होने का मुद्दा उठाया था।
केंद्र को भेजा जाएगा प्रस्ताव
अभ्यारण्य का क्षेत्र बढ़ाने और इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने का प्रस्ताव राज्य कैबिनेट से मंजूरी के बाद केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा जाएगा। इसे राष्ट्रीय वन्य प्राणी मंडल (नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड) के समक्ष रखा जाएगा और अंतिम फैसला मंत्रालय ही लेगा।
प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है। वह राज्य कैबिनेट में जाएगा। कैबिनेट के फैसले के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
- शाहबाज अहमद, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन