पायलट ने अपनी जान देकर बचा ली कई लोगों की जान, छोटा रनवे और खराब हालात में लैंडिंग होती है मुश्किल
एयरपोर्ट का छोटा रनवे अक्सर विमानों की लैंडिंग में मुश्किलें पैदा करता है। उस पर यदि मौसम साथ न दे तो ये और खतरनाक हो जाता है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। केरल के कोझिकोड इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर शुक्रवार शाम को एक विमान दुर्घटना का शिकार हो गया। ये विमान एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट संख्या 1344 थी जो बोइंग 737-800 का हिस्सा था। डीजीसीए प्रमुख की मानें तो इस विमान में क्रू मैंबर्स समेत कुल 195 यात्री सवार थे। विमान जिस वक्त कोझिकोड के रनवे पर लैंडिंग की कोशिश कर रहा था उस वक्त बारिश हो रही थी। ऐसे में वहां के हालात सामान्य नहीं थे। ऐसे में पायलटों को बेहद सूझबूझ के साथ फैसला लेना होता है। आपको बता दें कि केरल के एयरपोर्ट का रनवे अन्य एयरपोर्ट्स के मुकाबले काफी छोटे हैं। ऐसे में बोइंग 737 जैसे विमान को यहां पर उतरना, वो भी बारिश के दौरान काफी जोखिम भरा होता है।
केाझिकोड एयरपोर्ट पर केवल एक ही रनवे है जिसके एक तरफ गहरी खाई है। शुरुआत जानकारी के मुताबिक ये विमान बारिश की वजह से रनवे से फिसलकर एयरपोर्ट के अंतिम छोर को पार करते हुए करीब 30 फीट नीचे गहरी खाई में गिरा था। जिसके बाद ये दो हिस्सों में बंट गया। भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि यदि पायलट अपनी सूझबूझ का परिचय नहीं देते तो बड़ा हादसा हो सकता था, जिससे मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा बड़ी हो सकती थी। उनके मुताबिक खराब मौसम की वजह से इस एयरपोर्ट के छोटे रनवे पर विमान को उतारना कभी आसान नहीं होता है। इसके बाद भी पायलट ने विपरीत हालातों में इस विमान को लैंड करने का फैसला लिया और बड़े हादसे से भी बचा लिया। हालांकि इस हादसे में जहां एक पायलट की जान चली गई है वहीं दूसरे की हालत नाजुक है। विमान का कॉकपिट इस हादसे में बुरी तरह से तबाह हो गया जिसकी वजह से पायलट की मौत हुई।
कोझिकोड एयरपोर्ट को 13 अप्रैल 1988 को खोला गया था। 2 फरवरी 2006 को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का दर्जा हासिल हुआ। ये एयरपोर्ट केरल का तीसरा और भारत का 11वां सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है। छोटा रनवे होने की ही वजह से इस एयरपोर्ट पर जंबो प्लेन के अलावा बोइंग 777 और बोइंग 747 विमानों के उतरने पर मई 2015 में रोक लगा दी गई थी। इसके बाद इन विमानों को कोच्चि एयरपोर्ट पर उतारने की इजाजत दी गई थी। एयरपोर्ट ऑथरिटी ऑफ इंडिया के मुताबिक बड़े विमानों को उतारने के लिए 240 मीटर आरईएसए यानि (रनवे एंड सेफ्टी एरिया) जरूरी है, जबकि कोझिकोड एयरपोर्ट पर ये केवल 90 मीटर था। 2017 में इसको 240 मीटर किया जा सका था।
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