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जानिए किस नई परमाणु मिसाइल से भारत की सैन्य शक्ति होगी और मजबूत

डीआरडीओ ने दुश्मन पर परमाणु हथियार से हमला करने के लिए नई मिसाइल तैयार की है। इसे के-4 नाम दिया गया है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 05:36 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 08:24 AM (IST)
जानिए किस नई परमाणु मिसाइल से भारत की सैन्य शक्ति होगी और मजबूत
जानिए किस नई परमाणु मिसाइल से भारत की सैन्य शक्ति होगी और मजबूत

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। देश लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने में लगा हुआ है। इसी दिशा में डीआरडीओ ने एक कदम और बढ़ाया है। भारत एक और परमाणु मिसाइल परीक्षण के लिए तैयार है। शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के तट से पनडुब्बी के जरिए के-4 परमाणु मिसाइल का परीक्षण करने जा रहा है।

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इस परमाणु मिसाइल की मारक क्षमता 3500 किलोमीटर है। इस मिसाइल के परमाणु परीक्षण के बाद भारत पनडुब्बियों से अपने दुश्मन के ठिकानों को मार गिराने की क्षमताओं को और मजबूत कर पाएगा। यह मिसाइल प्रणाली रक्षा एवं अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) द्वारा अरिहंत श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों के लिए विकसित की जा रहा है। अरिहंत परमाणु पनडुब्बियां भारत द्वारा विकसित की जा रही हैं। यह पनडुब्बियां भारत के परमाणु परीक्षण का मुख्य आधार होंगी।

परीक्षण का लक्ष्य

डीआरडीओ आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम कट से एक अंडरवाटर प्लेटफॉर्म से के-4 परमाणु मिसाइल का परीक्षण करेगा। इस परीक्षण के दौरान डीआरडीओ मिसाइल प्रणाली में उन्नत प्रणालियों का टेस्ट करेगा। के-4 दो परमाणु पनडुब्बी मिसाइलों में से है, जिसे भारत द्वारा विकसित किया गया है। एक अन्य मिसाइल B0-5 भी है जिसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से भी अधिक है।

कई और मिसाइलों के परीक्षण की तैयारी

डीआरडीओ ने के-4 मिसाइल के परीक्षण की योजना पिछले महीने बनाई थी, लेकिन किन्हीं वजहों से इसे स्थगित कर दिया गया था। डीआरडीओ आने वाले कुछ हफ्तों में कुछ और मिसाइलों का भी परीक्षण करने की तैयारी कर रहा है। भारत ने अग्नि -3 और ब्रह्मोस मिसाइलों के परीक्षण की योजना बना रखी है।

पानी के भीतर होगा परीक्षण

K-4 मिसाइल का परीक्षण पानी के भीतर के पंटून से किया जाएगा। अभी मिसाइल का परीक्षण किया जा रहा है और एक पनडुब्बी से लॉन्च केवल एक बार किया जाएगा।

K-4 शौर्य पनडुब्बी परमाणु मिसाइल

के-4 एक परमाणु क्षमता सम्पन्न मध्यम दूरी का पनडुब्बी से प्रक्षेपित किया जाने वाला प्रक्षेपास्त्र है जिसे भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा बनाया गया है। यह प्रक्षेपास्त्र मुख्यत: अरिहंत श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों का हथियार होगा।

क्यों किया गया के-4 का विकास

के-4 का विकास तब शुरु हुआ जब इसी तरह की क्षमताओं वाली अग्नि-3 मिसाइल को आईएनएस अरिहंत में लगाने में तकनीकी समस्याएं उतपन्न हुईं। अरिहंत का व्यास 17 मीटर है जिसमें अग्नि 3 फिट नहीं हो पाती, इसलिए के-4 का विकास शुरु किया गया जिसे अग्नि-3 जैसी क्षमताओं के साथ ही अरिहंत में फिट होने जैसा बनाया गया। के-4 के गैस प्रक्षेपक का 2010 में एक पंटून (छोटी पनडुब्बी) से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

के-4 खासियत

के-4 पनडुब्बी 12 मीटर लंबी है। इसका ब्यास 1.3 मीटर का है। इसका वजन लगभग 17 टन है। ठोस ईधन के रॉकेट से चलने वाला यह प्रक्षेपास्त्र लगभग 2 टन भार का विस्फोटक ले जा सकता है। डीआरडीओ के अनुसार इस मिसाइल का लक्ष्य अचूक मारक क्षमता हासिल करना है। 

अंडरवॉटर मिसाइल तैयार कर रहा है डीआरडीओ

के-4 उन दो अंडरवॉटर मिसाइलों में से एक है, जिसे भारत द्वारा विकसित किया गया है। दूसरा मिसाइल 700 किलोमीटर रेंज का है, जिसे बीओ-5 कहा जाता है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि शुक्रवार को डीआरडीओ मिसाइल की पूरी रेंज पर टेस्ट करेगा या कम रेंज पर ही इसे फायर किया जाएगा।  

परीक्षण

इसका परीक्षण पहले 2013 में होना था लेकिन अनजान कारणों से इसे टाल दिया गया। इसका पहला परीक्षण 2014 में 30 मीटर की गहराई से हुआ था। परीक्षण सफल रहा था और पनडुब्बी हिंद महासागर में 3000 किमी की दूरी तक पहुंची थी। यह परीक्षण विशाखापत्त्नम के किनारे हुआ था। मई 2014 के अनुसार , नौसेना को सौंपने से पहले मिसाइल के और परीक्षणों की घोषणा की गई थी। 7 मार्च 2016 को के-4 का एक बार फिर एक पंटून से बंगाल की खाडी में परीक्षण किया गया जो कि बेहद सफल रहा। इस परीक्षण ने के-4 के सभी मानकों को पूरा किया। अप्रैल 2016 में फिर जानकारी आई कि इस पनडुब्बी का सफलतापूर्वक परीक्षण 31 मार्च 2016 को आईएनएस अरिहंत से विशाखापत्तनम के तट से 45 नॉटिकल मील की दूरी पर किया गया। मिसाइल इस परीक्षण में सभी मानकों पर खरी उतरी और शून्य त्रुटि के साथ लक्ष्य भेदने में सफल रही।[

भारत द्वारा विकसित मिसाइलों की एक सूची

1- सतह से सतह में मार करने वाले मिसाइल

2- सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल

3- हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल

4-हवा से सतह में मार करने वाले मिसाइल


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