जानिए बिहार में कब एक ही साल के अंदर दो बार कराने पड़े थे विधानसभा चुनाव, लगा था राष्ट्रपति शासन
जब-जब बिहार के चुनाव की बात होती है तब-तब ये बात भी याद की जाती है कि वो कौन सा साल था जिसमें जनता ने किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं दिया और वहां कुछ माह तक राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।
नई दिल्ली, जेएनएन। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे आ रहे हैं। बिहार का चुनाव कई मायनों में खास रहता है, एक तो यहां विधानसभा सीटों की संख्या अधिक है और आबादी के लिहाज से भी प्रदेश की गिनती टॉप 5 प्रदेशों में होती है। जब-जब बिहार के चुनाव की बात होती है तब-तब ये बात भी याद की जाती है कि वो कौन सा साल था जिसमें जनता ने किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं दिया और वहां कुछ माह तक राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा, उसके बाद फिर चुनाव हुआ और जिस दल को बहुमत मिला या बाकी दलों ने आपसी सहमति से वहां पर सरकार बनाई।
2005 में बहुमत न मिलने पर दो बार हुए थे विधानसभा चुनाव
साल 2005 में ऐसा पहली बार हुआ था जब बिहार में एक ही साल के अंदर दो बार विधानसभा चुनाव कराने पड़े। दरअसल उस दौरान हुए चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। फरवरी 2005 में हुए इन चुनावों में राबड़ी देवी के नेतृत्व में राजद ने 215 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें से उसे 75 सीटें मिल पाईं। वहीं, जदयू ने 138 सीटों पर चुनाव लड़ 55 सीटें जीतीं और भाजपा 103 में से 37 सीटें लेकर आई। बिहार में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस इन चुनावों में 84 में से 10 सीटें ही जीत पाई थी। इन चुनावों में 122 सीटों का स्पष्ट बहुमत ना मिल पाने के कारण कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया और कुछ महीनों के लिए यहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया। इसके बाद अक्टूबर-नवंबर में यहां फिर से विधानसभा चुनाव हुए, दूसरा चुनाव बिहार से झारखंड के अलग हो जाने के बाद हुआ था।
दूसरे विधानसभा चुनावों में जदयू 88 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जदयू ने 139 सीटों पर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने 102 में से 55 सीटें हासिल की थीं। वहीं, राजद ने 175 सीटों पर चुनाव लड़कर 54 सीटें जीतीं थीं, लोजपा को 203 में से 10 सीटें मिलीं और कांग्रेस 51 में से नौ सीटें ही जीत पाई। साल 2000 में ही लोजपा का गठन हुआ था। इन चुनावों में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
लालू ने अपनी जगह राबड़ी को बनाया था बिहार का सीएम
बिहार में साल 2000 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब बिहार में 324 सीटें हुआ करती थीं और बहुमत के करीब पहुंचने के लिए 162 सीटों की जरूरत होती थी। इन चुनावों में राजद ने 293 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 124 सीटें मिली थीं। वहीं, भाजपा को 168 में से 67 सीटें हासिल हुई थीं। इसके अलावा समता पार्टी को 120 में से 34 और कांग्रेस को 324 में से 23 सीटें हासिल हुई थीं। 2000 के चुनाव में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थीं। इन चुनावों से पहले बिहार में काफ़ी उथल-पुथल हुई थी। लालू यादव ने राबड़ी देवी को अपनी जगह बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था।
झारखंड के अलग होने से पहले तक थी 324 सीटें
साल 2000 में बिहार से अलग करके झारखंड को प्रदेश बनाया गया। उसके बाद नए बिहार में चुनाव शुरू हुआ। 324 सीटें होने की वजह से उस समय बहुमत के लिए 162 सीटें जीतने आवश्यक हुआ करती थीं। साल 2000 में जब बिहार से झारखंड अलग हो गया उसके बाद यहां पर विधानसभा की 243 सीटें हो गई, फिर उसके हिसाब से बाकी चीजें तय की गई।