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जानिए- क्या है CAA? क्यों इस बिल से मचा देश में बवाल

CAA को लेकर देश में कोहराम मचा है। असम West Bengal दिल्ली यूपी कर्नाटक महाराष्ट्र और भी देश में कई जगहों पर इस बिल को लेकर बवाल मचा हुआ है। पढ़ें CAA की पूरी जानकारी..

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 19 Dec 2019 02:07 PM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 08:16 AM (IST)
जानिए- क्या है CAA? क्यों इस बिल से मचा देश में बवाल
जानिए- क्या है CAA? क्यों इस बिल से मचा देश में बवाल

नई दिल्ली, एजेंसी। CAA (नागरिकता संशोधन कानून, 2019) को लेकर देश भर में कोहराम मचा हुआ है। CAA को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया, जिसमें 125 मत पक्ष में थे और 105 मत विरुद्ध। राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी भी दे दी गई। मोदी सरकार और उसके समर्थक जहां इसे ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं, वहीं विपक्ष, मुस्लिम संगठन द्वारा इसका विरोध किया जा रहा हैं। हालांकि, इस बिल को लेकर कई विश्वविद्यालयों में छात्र भी विरोध प्रदर्शन करने लगें, लेकिन जामिया मिलिया इस्लामिया में शुरू हुआ विरोध संघर्ष में बदल गया। जहां इसके बाद तो पूरे देश में काफी सारी विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।

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CAA के पारित होने के साथ ही उत्तर-पूर्व, पश्चिम बंगाल और नई दिल्ली सहित पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। छात्र, नेता और साथ में कुछ अन्य लोग भी, जिनपर हिंसा भड़काने के आरोप है। हालांकि, इससे राष्ट्रीय राजधानी ठप पड़ गई। जामिया मिलिया इस्लामिया बवाल के बाद दिल्ली के कई और इलाकों में उपद्रवियों ने हंगामा मचाया। इनमें सीलमपुर और जाफराबाद इलाकों में पुलिस पर भारी पत्थरबाजी की गई। इससे पहले भी झड़पें हुईं और सार्वजनिक बसों में आग तक लगाई गई। वहीं, गुरुवार को भी दिल्ली में प्रदर्शन चल रहा है। कई इलाकों में धारा 144 लगाई गई और इंटरनेट भी बंद है। मेट्रो भी प्रभावित है। इसके अलावा लखनऊ में भी आगजनी हुई है। तो आइए समझते हैं कि CAA?और इस मुद्दे पर देश में उबाल क्यों है।

CAA और CAB

नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA का फुल फॉर्म Citizenship Amendment Act है। ये संसद में पास होने से पहले CAB यानी (Citizenship Amendment Bill) था। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद ये बिल नागरिक संशोधन कानून (CAA, Citizenship Amendment Act) यानी एक्ट बन गया है।

CAA क्या है?

CAA नागरिकता संशोधन कानून 2019, तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है, जिन्होंने लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी मजहब का हो, की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है।

CAA में कौन से धर्म शामिल हैं?

CAA में तीनों पड़ोसी मुल्कों के छह समुदायों - हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इन्हें भारतीय नागरिकता तब मिलेगी जब वे 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर गए हों।

पिछली नागरिकता के मानदंड क्या थे?

इस संशोधन बिल के आने से पहले तक, भारतीय नागरिकता के पात्र होने के लिए भारत में 11 साल तक रहना अनिवार्य था। नए बिल में इस सीमा को घटाकर छह साल कर दिया गया है।

इसलिए हो रहा है प्रदर्शन

कानून में हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाने की बात की गई है। इससे भारतीय मुस्लिमानों को कोई परेशानी नहीं होगी। बावजूद इस तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है कि ये कानून मुस्लिम विरोधी है। भारतीय मुस्लमानों को ये डर दिखाकर भरमाया जा रहा है कि इस कानून से उनकी नागरिकता भी खतरे में पड़ सकती है। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह समेत सरकार के तमाम मंत्री बयान दे चुके हैं कि ये कानून शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है। इसमें किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। किसी भी भारतीय मुस्लिम अथवा नागरिक को इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

इसलिए नहीं जोड़ा गया मुसलमानों को

गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर संसद में बताय दिया था कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम देश हैं। वहां धर्म के नाम पर बहुसंख्यक मुस्लिमों का उत्पीड़ित नहीं होता है, जबकि इन देशों में हिंदुओं समेत अन्य समुदाय के लोगों को धर्म के आधार पर उत्पीड़न किया जाता है। इसलिए इन देश के मुस्लिमों को नागरिकता कानून में शामिल नहीं किया गया है। हांलाकि, इसके बाद भी वह नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिस पर सरकार विचार कर फैसला लेगी।


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