जानें- भारत में टीकाकरण को रफ्तार देने के लिए क्या है रोडमैप और सरकार के सामने चुनौतियां
भारत में कोरोना वायरस की वैक्सीन के टीकाकरण की शुरुआत हो चुकी है। इसके लिए सभी सरकारों और महकमों ने अपनी कमर कस ली है। हालांकि ये भी सच है कि सरकार के सामने इसको लेकर चुनौतियां भी कम नहीं हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। कोविड-19 की वैक्सीन आने के बाद अब देश में टीकाकरण के आगाज की घोषणा हो चुकी है। लोहड़ी, मकर संक्रांति और पोंगल जैसे त्योहारों के बाद टीकाकरण कार्यक्रम 16 जनवरी से शुरू होगा।आइए जानते हैं कि देश में टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्र और राज्य सरकारों की क्या भूमिका है, उनके सामने कौन सी चुनौतियां हैं और यह कार्यक्रम कैसे रफ्तार पकड़ेगा।
काम में जुटे केंद्रीय मंत्रालय
केंद्र सरकार के 20 मंत्रालय टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत के लिए कमर कस चुके हैं। इन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें रेलवे, ऊर्जा, रक्षा और नागरिक उड्डयन जैसे मंत्रालय शामिल हैं। टीकाकरण का शुरुआती लक्ष्य 30 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ उच्च जोखिम वाली आबादी है।
राज्यों का भी होगा बड़ा योगदान
राज्यों के सार्वजनिक निर्माण विभागों को टीकाकरण केंद्रों को चिह्नित करने और पीने के पानी की आपूर्ति का काम सौंपा गया है। साथ ही राज्य पुलिस वैक्सीन को सुरक्षा प्रदान करेगी और टीकाकरण केंद्रों पर भीड़ को नियंत्रित करेगी। शिक्षा विभाग जागरूकता अभियान शुरू करेगा, जिसके जरिये बताया जाएगा कि क्यों बच्चों को पहले चरण में वैक्सीन नहीं लगेगी। पंचायत स्तर पर स्वास्थ्यकर्मियों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।
हर मंत्रालय का अलग काम
केंद्र सरकार ने टीकाकरण कार्यक्रम के लिए हर मंत्रालय की भूमिका तय कर दी है। रेलवे अपने अस्पतालों और अन्य परिसरों में टीकाकरण सत्रों का आयोजन करेगा, इसके अलावा रेलवे टिकट पर भी अभियान का प्रचार किया जाएगा। साथ ही वैक्सीन भंडारण स्थल और टीकाकरण के स्थान पर ऊर्जा विभाग निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। इसके अतिरिक्त रक्षा विभाग को दूर-दराज के इलाकों में वैक्सीन की आपूर्ति को सुनिश्चित करना होगा। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय अपने गांवों में स्थित सार्वजनिक सेवा केंद्रों को वैक्सीन रजिस्ट्रेशन की सुविधा के लिए काम में लेगा। साथ ही टेलीकॉम कंपनियों द्वारा वैक्सीन को लेकर एसएमएस और वॉयस मैसेज भेजे जाएंगे। साथ ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय का काम उचित तापमान में वैक्सीन को लाने-ले जाने की व्यवस्था करना होगा।
ये हैं चुनौतियां
टीकाकरण के पहले चरण में वैक्सीन की आपूर्ति में कमी सबसे बड़ी चुनौती है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने स्वीकारा है कि आपूर्ति में कमी 2021 के पहले छह महीनों में महसूस होगी, लेकिन उसके बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी। उनकी कंपनी ने कोविशील्ड वैक्सीन का निर्माण किया है। इंटरनेट की कम स्पीड अनिवार्य ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की राह में बड़ी चुनौती है। टीकाकरण केंद्र पर रजिस्ट्रेशन की अनुमति नहीं है। इनके अलावा कोल्ड चेन सुविधा की कमी, वैक्सीन लगवाने में लोगो की झिझक जैसी कई और चुनौतियां भी सरकार के सामने हैं। (मीडिया इनपुट)