किस आधार पर इंदौर ने पाया स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में पहला स्थान, जानें क्या है इसका आधार
भारत में चलाया जाने वाला स्वच्छता सर्वेक्षण इस क्षेत्र में किया जाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा सर्वेक्षण है। हर कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही किसी शहर को इसका खिताब मिलता है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। 'स्वच्छ सर्वेक्षण 2020' के परिणाम सामने आ चुके हैं और इंदौर लगातार चौथी बार पहली पायदान पर मौजूद है। इंदौर लगातार 2017 से ही इस सर्वेक्षण में शीर्ष पर बना हुआ है। देश के स्वच्छ शहरों में सूरत दूसरे और नवी मुंबई तीसरे स्थान पर रहा है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक वाराणसी गंगा नदी के किनारे पर बसा सबसे साफ शहर है। पंजाब के जालंधर शहर को देश के सबसे स्वच्छ कैंटोंमेंट का खिताब मिला है। वर्ष 2016 में जब इस सर्वेक्षण की शुरुआत की गई थी तब इसका खिताब मैसूर ने हासिल किया था।
दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा 2016 से संचालित स्वच्छ सर्वेक्षण, दुनिया का सबसे बड़ा शहरी सफाई और स्वच्छता सर्वेक्षण है। यह शहरों और महानगरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने में सहायक साबित हुआ है। इस सर्वेक्षण का मकसद नागरिक सेवा वितरण में सुधार, स्वच्छ शहरों का निर्माण और सफाई के प्रति नागरिकों के व्यवहार व सोच में परिवर्तन लाना है। इसके दूसरे लक्ष्यों में जनभागीदारी को प्रोत्साहित करना और समाज के सभी वर्गों के बीच जागरूकता पैदा कर शहरों व महानगरों को रहने के लिए बेहतर बनाना शामिल है। इसके जरिए लोगों, संसाधनों और अधिकारियों को यह साबित करने का मौका मिलता है कि उनका शहर, भारत के सभी शहरों में सबसे साफ और बेहतर है। ये शहरों और वहां पर रहने वाले लोगों के बीच एक प्रतिस्पर्धा को भी जन्म देता है जिसके तहत और बेहतर करने की मानसिकता पैदा होती है।
इस अभियान से जुड़े हैं करोड़ों लोग
स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के लिए करीब एक करोड़ 70 लाख नागरिकों ने स्वच्छता ऐप पर पंजीकरण किया था। इसके अलावा सोशल मीडिया पर 11 करोड़ से अधिक लोग इससे जुड़े थे। साढे पांच लाख से अधिक सफाई कर्मचारी सामाजिक कल्याण योजनाओं से जुड़े और ऐसे 21 हजार स्थानों की पहचान की गई, जहां कचरा पाये जाने की ज्यादा संभावना होती है। 31 जनवरी 2020 तक इसको लेकर आवेदन प्राप्त किए गए थे। इनका आंकलन करने के बाद गुरुवार को इसके नतीजे घोषित कर दिए गए।
क्या है इस सर्वेक्षण का आधार
स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग को कुछ बातों पर आंका जाता है। इसके आधार पर ही उनकी रैंकिंग की जाती है और उन्हें साफ-सुथरा शहर होने का गौरव मिलता है। इसको चुने जाने के प्रमुख घटकों में वहां पर अपशिष्ट संग्रहण अर्थात घरों से कूड़ा एकत्रित करना और परिवहन, प्र-संस्करण एवं निष्पादन (कूड़े को रीसाइकिल करना और उसका सही डिस्पोजल करना), संवहनीय स्वच्छता और नागरिकों की सहभागिता और नवाचार आदि शामिल हैं। इनके आधार पर केंद्र सरकार द्वारा इन्हें नंबर दिए जाते हैं। इसके अलावा इनकी रैंकिंग तय करने में भारत सरकार की तरफ से अधिकृत स्वतंत्र संस्था और मैदानी मूल्यांकन के अलावा जनता से मिलने वाली राय और उनके द्वारा दिए गए परिणाम भी शामिल किए जाते हैं। ये भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में शुरू की गई एक ऐसी गतिविधि है जिसका मकसद राज्यों एवं शहरी स्थानीय निकायों द्वारा लगातार स्वच्छता के प्रयासों को बढ़ाना है।
शहरी क्षेत्रों का मूल्यांकन
शहरी क्षेत्रों में होने वाले इस सर्वेक्षण की जिम्मेदारी मंत्रालय की तरफ से क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) को सौंपी गई है। प्रत्येक जिले का मूल्यांकन चार मापदंडों के आधार पर किया जाता है। मापदंडों में सबसे अधिक अंक स्वच्छ जल और शौचालय की सुलभता को दिए जाते हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण को तीन भागों में विभाजित किया गया है। इसमें वहां सेवा स्तर की स्थिति, स्वतंत्र अवलोकन और नागरिक प्रतिक्रिया शामिल है। इसकी रैंकिग के मामले में शहरों का व्यक्तिगत रूप से प्रदर्शन के साथ ही उनके समग्र प्रदर्शन के आधार पर स्थान दिया जाता है। प्रत्येक शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के प्रदर्शन को भी मूल्यांकन के 6 क्षेत्रों के आधार पर नंबर दिए जाते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों का मूल्यांकन
ग्रामीण क्षेत्र में होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण की जिम्मेदारी पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की है। मई 2016 में शुरू किए गए ग्रामीण स्वच्छ सर्वेक्षण में 22 पहाड़ी जिलों और 53 मैदानी जिलों को शामिल किया गया था। इनके मूल्यांकन के चार आधार हैं। मापदंडों में सबसे अधिक अंक स्वच्छ जल और शौचालय की सुलभता को दिए गए हैं। इसके अलावा घरों और सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा-कचरा न फैलाना, घरों के आसपास जल जमाव न होना शामिल है। 2016 में पहली बार किए इस सर्वेक्षण में मंडी को पहाड़ी इलाकों में सबसे साफ सुथरा शहर होने का गौरव मिला था।
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