तालिबान को भी अपना दुश्मन मानता है आइएस-के आतंकी ग्रुप, काबुल एयरपोर्ट की ली है जिम्मेदारी, जानें- इसका इतिहास
इस्लामिक स्टेट खोरासन ग्रुप का भले ही इराक और सीरिया के आइएस से कोई सीधा संबंध नहीं है लेकिन ये उसकी ही तहर क्रूर है। इस ग्रुप का तालिबान भी एक दुश्मन रहा है। तालिबान पर हमलों के साथ ही इसकी शुरुआत हुई थी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। काबुल एयरपोर्ट के बाहर गुरुवार को हुए सिलसिलेवार दो आतंकी हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट के खोरासन ग्रुप (आईएस-के) ने ली है। एक समय था जब इस ग्रुप की दहशत से पूरा अफगानिस्तान खौफ खाता था। हालांकि, ये भी सच्चाई है कि इस्लामिक स्टेट हमेशा से ही बेहद क्रूर आतंकी संगठन रहा है।
पहले से थी हमले की आशंका
आपको बता दें कि इस हमले को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन को पहले से आशंका थी। अमेरिका ने पहले ही इस बात की आशंका जताई थी कि आइएस काबुल एयरपोर्ट को अपना निशाना बना सकता है। बीते दो दशकों की बात करें ये ग्रुप अमेरिका की मौजूदगी के बाद काफी सीमित होकर रह गया था। लेकिन अब जबकि अमेरिका ने अपनी वापसी की पूरी कवायद की हुई है और उसका नियंत्रण अन्य इलाकों से खत्म हो गया है, तो ये ग्रुप एक बार फिर से उभर कर सामने आ रहा है।
आईएस-के का इतिहास
इस ग्रुप के इतिहास की बात करें तो इसका सीधा संबंध पाकिस्तान से है, जो खुद आतंकियों की जन्म भूमि है। जानकार मानते हैं कि ये ग्रुप अफगानिस्तान में पाकिस्तान से भागकर आने वाले तालिबानियों द्वारा गठित किया गया था। वर्ष 2014 कें अंत में ये ग्रुप अफगानिस्तान में सामने आया था। इस संगठन की शुरुआत करने वालों में कट्टरपंथी सुन्नी मुस्लिम थे। इस संगठन ने अपने शुरुआत ही पाकिस्तान से लगे सीमाई क्षेत्रों पर नियंत्रण और तालिबान पर हमले से की थी।
अमेरिका ने इस ग्रुप पर फेंका था मदर आफ आल बम
अप्रैल, 2017 में अमेरिका ने आइएस-के को निशाना बनाने के लिए पूर्वी अफगानिस्तान में अचिन जिले के ठिकाने पर मदर आफ आल बम कहे जाने वाला 20,000 पाउंड का बम फेंका था।
इस ग्रुप ने करवाए आत्मघाती धमाके
आइएस-के ग्रुप ने कई इलाकों में आत्मघाती विस्फोट को भी अंजाम दिया है। इसके अलावा सैकड़ों ग्रामीणों और कई रेड क्रास सदस्यों की नृशंस हत्या भी ये ग्रुप कर चुका है। आमतौर पर इस ग्रुप के निशाने पर भीड़ वाले इलाके होते हैं। यह आतंकी संगठन काबुल व अन्य शहरों में सरकारी ठिकानों और अन्य देशों के मिलिट्री बेस पर कई हमले कर चुका है।
तालिबान के खिलाफ भी है ये ग्रुप
आइएस-के ग्रुप तालिबान समेत पश्चिम समर्थित सरकार का भी दुश्मन रहा है। हालांकि इसका सीरिया और इराक में मौजूद इस्लामिक स्टेट से कोई सीधा संबंध नहीं है।