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Chhattisgarh: जानिए कैसे टीसीओसी में फेल रही नक्सलियों की रणनीति, फोर्स ने कसा शिकंजा

बीते चार महीने में बीजापुर जिले में दो और दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल इलाके में चार बार फोर्स को घेरने की कोशिश की गई।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 10:32 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 10:35 PM (IST)
Chhattisgarh: जानिए कैसे टीसीओसी में फेल रही नक्सलियों की रणनीति, फोर्स ने कसा शिकंजा
Chhattisgarh: जानिए कैसे टीसीओसी में फेल रही नक्सलियों की रणनीति, फोर्स ने कसा शिकंजा

अनिल मिश्रा, जेएनएन। जगदलपुर देशभर में सक्रिय माओवादी रणनीति के तहत गर्मी के मौसम में टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं। फरवरी से जून के बीच बड़ी नक्सल घटनाओं का रिकार्ड रहा है। हालांकि बीते दो वर्षो से फोर्स वारदातों पर लगाम लगाने में सफल रही है। खुफिया विभाग के अफसरों को अंदेशा है ऊपरी कैडर को बताने के लिए नक्सली मुखबिरी का आरोप लगाकर आदिवासियों की हत्या कर सकते हैं। बस्तर ही नहीं देश के दूसरे नक्सल प्रभावित इलाकों में भी इस बार बड़ी हिंसक वारदात दर्ज नहीं की गई है।सुकमा जिले के मिनपा में 23 मार्च को नक्सलियों ने डीआरजी (डिस्टि्रक्ट रिजर्व गार्ड) पर हमला किया। इसमें 17 जवान शहीद हुए। 14 मार्च को नारायणपुर जिले के मालेवाही में एंबुश की चपेट में सीएएफ के दो जवान आए थे।

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खुफिया सूत्रों का कहना है कि बीते चार महीने में बीजापुर जिले में दो और दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल इलाके में चार बार फोर्स को घेरने की कोशिश की गई। बस्तर में नक्सलियों के दक्षिण बस्तर, दरभा, उत्तर बस्तर, पश्चिम बस्तर, पूर्व बस्तर और माड़ डिवीजन हैं। दक्षिण बस्तर डिवीजन को छोड़ टीसीओसी में कोई अन्य डिवीजन वारदात नहीं कर सकी।

टीसीओसी के दौरान बड़ी वारदात का रहा है रिकार्ड

- 15 मार्च 2008 को बीजापुर के रानीबोदली में सीएएफ और विशेष सुरक्षा बल के 55 जवानों की हत्या

- 06 अप्रैल 2010 को सुकमा जिले के ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 75 जवानों की हत्या। इसी साल कोर्रा में बस उड़ाने से सुरक्षाबल के जवानों समेत 30 लोग मारे गए

- 08 मई 2010 को बीजापुर में सीआरपीएएफ की बुलेट प्रूफ गाड़ी को उड़ा दिया गया। इसमें आठ जवान शहीद - 29 जून 2010 को नारायणपुर में सीआरपीएफ के 26 जवानों की हत्या

-25 मई 2013 को झीरमकांड हुआ था। इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष समेत 25 नेता और कुछ सुरक्षाकर्मी मरे

- 28 फरवरी 2014 को दंतेवाड़ा में ब्लास्ट किया। इसमें थानेदार समेत छह जवान शहीद

- 11 मार्च 2014 को सुकमा में 15 जवानों की हत्या

- 25 अप्रैल 2017 को सुकमा के बुरकापाल में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद

- 2019 में नौ अप्रैल को दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी व उनके चार सुरक्षाकर्मियों की हत्या की थी।

बस्तर के आइजी सुंदरराज पी ने बताया कि इसी साल 27 जुलाई को जगदलपुर के पास तिरिया के जंगल में फोर्स ने 12 नक्सलियों को मार गिराया वर्जन फोर्स मुस्तैद है। जवानों ने हर बार उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया। इसलिए वे टीसीओसी में कामयाब नहीं हो पाए। मिनपा में आमने-सामने की लड़ाई में हमारे 17 जवान शहीद हुए, पर नक्सलियों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। 


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