Move to Jagran APP

जानिए कैसे शनि और सूर्य ने खड़ा किया कोरोना संकट, बुध और चंद्र उबारेंगे इस महामारी से

ज्योतिष शास्त्र में नए संवत्सर की शुरुआत सप्ताह के जिस दिन से होती है वही उस वर्ष का राजा होता है और उसी के अनुसार उस वर्ष के फल निर्धारित होते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 26 Mar 2020 09:44 PM (IST)Updated: Thu, 26 Mar 2020 10:02 PM (IST)
जानिए कैसे शनि और सूर्य ने खड़ा किया कोरोना संकट, बुध और चंद्र उबारेंगे इस महामारी से
जानिए कैसे शनि और सूर्य ने खड़ा किया कोरोना संकट, बुध और चंद्र उबारेंगे इस महामारी से

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। भारतीय ज्योतिष के अनुसार शनि एवं सूर्य के योग से खड़ा हुआ विषाणुजनित महामारी का यह संकट इस संवत्सर 2077 में बुध और चंद्र के योग से खत्म होगा। यह गणनाएं गत वर्ष के पंचांगों में देखी जा सकती हैं। अब जब कहा जा रहा है कि 14 अप्रैल के बाद कोरोना की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी, तो यह भी अजब संयोग है कि 21 दिन का लॉकडाउन भी तभी समाप्त हो रहा है।

loksabha election banner

बता दें कि एकाधिक भारतीय पंचांग गत वर्ष मार्च में प्रकाशित कैलेंडरों में इस बात के स्पष्ट संकेत दे चुके थे कि विषाणुजनित वैश्विक महामारी के योग बन रहे हैं। इसका समय भी दर्ज कर दिया गया था कि महामारी कब प्रारंभ होगी और कब समाप्त।

महामारी के प्रकोप की प्रकाशित हुई थी गणना 

पिछले वर्ष के श्री हृषिकेश हिंदू पंचांग में पृष्ठ तीन पर साफ-साफ दर्ज है कि संवत्सर 2076 के दौरान किसी विषाणुजनित महामारी का प्रकोप होगा। श्री हृषिकेश पंचांग ही नहीं पं.बापूदेव शास्त्री दृकसिद्ध पंचांग, या फिर काशी हिंदू विश्वविद्यालय पंचांग, श्रीविश्र्व पंचांग, गणेश आपा जी पंचांग, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पंचांग सरीखे अनेक प्रतिष्ठित पंचांगों में परिधावी संवत्सर में संवत्सर फल में महामारी के प्रकोप होने की गणना प्रकाशित हुई थी।

ज्योतिर्विद आचार्य पवन त्रिपाठी बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र में नए संवत्सर की शुरुआत सप्ताह के जिस दिन से होती है, वही उस वर्ष का राजा होता है और उसी के अनुसार उस वर्ष के फल निर्धारित होते हैं। चूंकि परिधावी नामक पिछला संवत्सर शनिवार को शुरू हुआ था, इसलिए इसके राजा शनि एवं मंत्री सूर्य थे। जिसके कारण दुनिया को विषाणुजनित महामारी कोविड-19 के संकट से गुजरना पड़ रहा है। लेकिन नए संवत्सर 2077 की शुरुआत बुधवार, 25 मार्च 2020 से हुई है। इसलिए प्रमादी नामक इस संवत्सर का राजा बुध है। चंद्र यानी सोम इसके साथ मंत्री के रूप में विराजमान हैं। त्रिपाठी के अनुसार 14 अप्रैल, 2020 को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ ही इस महामारी की तीव्रता कम होने लग जाएगी।

2020 में अनेक प्रकार के दुखों की जताई गई थी संभावना

पंडित गोपीकांत झा और संपादनकर्ता पं. मुक्ति कुमार झा के संयोजकत्व में निकलने वाले मैथिली पंचांग के वर्ष 2020 के भविष्य फल में वर्षारंभ से ही अनेक प्रकार के दुखों की संभावना जताई गई है, जिसमें शारीरिक दुखों का उल्लेख किया गया है। आगे इसे खास चैत्र महीने में स्पष्ट किया गया और कहा गया कि इस महीने प्रकोप रहेगा। रोगादि से जनता को कष्ट होगा। वैशाख माह में इसकी तीव्रता में कमी आएगी। संकट कुछ लंबा खिंच सकता है।

रूपेश ठाकुर प्रसाद पंचांग के भविष्यफल में महामारी का संकेत

रूपेश ठाकुर प्रसाद पंचांग के भविष्यफल में महामारी का संकेत मिलता है। जनवरी के फलाफल में लिखा गया कि रोग और शत्रु से राष्ट्र में परेशानी पैदा होगी। फिर फरवरी के भविष्यफल में लिखा गया कि किसी महामारी का प्रकोप होगा। अप्रैल के लिए कहा गया कि प्राकृतिक प्रकोप से हानि का प्रभाव यहां व्यापार के क्षेत्र में भी पड़ेगा।

कामेश्र्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्र्वविद्यालय की ओर से जारी विश्र्वविद्यालय पंचांग के प्रधान संपादक पं. रामचंद्र झा ने कहा कि भविष्य गणना में इसी काल अवधि में देश में बीमारी के प्रकोप का अनुमान किया गया था।

मिथिला के प्रसिद्ध ज्योतिषी व समस्तीपुर निवासी डा. प्रभात कुमार वर्मा कहते हैं कि भारत मे 30 मार्च के बाद महामारी का प्रकोप कम होगा। हालांकि, विश्र्व स्तर पर यह सितंबर में पूरी तरह नियंत्रित होगा।

कामेश्र्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्र्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और विश्र्वविद्यालय पंचांग के प्रधान संपादक सेवानिवृत्त पंडित रामचंद्र झा का कहना है कि 13 अप्रैल को मेष संक्रांति है। इसके बाद सूर्य का उच्च राशि में गमन होगा। तब शनि की दृष्टि सूर्य से हट जाएगी। ऐसे में 13 अप्रैल के बाद हमें स्थितियां अनुकूल होने की आशा करनी चाहिए।

16 फरवरी को हुआ शनि का परिवर्तन

पंडित रामचंद्र झा के अनुसार बीते साल 26 नवंबर से दिसंबर के आखिर तक षडग्रह योग बना, जो अनिष्टकारी था। जनवरी 2020 में भी इनका योग बरकरार रहा। मार्च में पांच शनिवार होने के कारण यह दोषकारक हुआ। यह स्थिति 15 मार्च से 15 अप्रैल तक की है। 16 फरवरी को शनि का राशि परिवर्तन हुआ। वे धनु से मकर राशि में आ गए। वहीं 17 मार्च को बृहस्पति मकर राशि में आ गए। इस तरह राहु-केतु का संयोग और दृष्टि जो धनु राशि में थी, इससे दोनों ग्रह आगे बढ़ गए। मंगल इस वर्ष का मंत्री है। मंगल का राशि परिवर्तन 26 मार्च से होगा। वे अपने उच्च स्थान मकर में चले आएंगे। इसलिए उसके बाद स्थिति अनुकूल होने की संभावना है।

काशी हिंदू विश्विद्यालय के ज्योतिष विभाग के चंद्रमौलि उपाध्याय ने बताया कि विज्ञान की दुनिया आश्चर्य में है कि भला भारतीय ज्योतिष विज्ञानियों ने यह भविष्यवाणी साल भर पहले कैसे कर दी थी कि दुनिया को विषाणुजनित महामारी का प्रकोप झेलना होगा। कैसे यह गणना कर ली गई? अब वह समझ सकेंगे कि भारत को विश्व गुरु क्यों कहा जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.