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50 साल पुराने कचरे के पहाड़ खत्म करने में जानें कैसे इंदौर बना दूसरे शहरों के लिए रोल मॉडल

ट्रेंचिंग ग्राउंड पर करीब 50-60 साल पुराने कचरे के निपटान की शुरुआत 2016 में की गई थी। वहां करीब 15 लाख टन पुराना कचरा पड़ा हुआ था। 2016 और 2017 में एक-एक लाख टन कचरे का निपटान किया गया।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 07:47 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 07:47 PM (IST)
लैंडफिल साइट पर अब तक करीब एक लाख पौधे लगाकर वहां निगम ने सघन हरियाली कर दी है।

अमित जलधारी, इंदौर। पुराना कचरा साफ करने के मामले में इंदौर देश का रोल माडल बन गया है। यही वजह है कि देश के कई बड़े शहर इंदौर माडल के हिसाब से अपने यहां का वर्षो पुराना कचरा साफ करने का काम कर रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने पुराने कचरे के निपटान की औसत दरें तय करने के लिए 11 सदस्यीय समिति बनाई है, जिसमें इंदौर नगर निगम को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है। समिति इंदौर समेत देशभर में पुराना कचरा खत्म करने का काम करने वाली कंपनियों से उन शहरों का संपर्क कराएगी, जिन्हें ऐसा करने वाली एजेंसियां तलाशने में समस्या आ रही है।

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केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की समिति में इंदौर नगर निगम को मिला प्रतिनिधित्व

स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक बिनय कुमार झा समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं। समिति सदस्यों में इंदौर के अलावा गुरुग्राम, अहमदाबाद, सूरत शहरों के साथ उत्तराखंड, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के प्रतिनिधियों समेत 11 सदस्य होंगे। जानकारों का कहना है कि इंदौर माडल इसलिए सफल हुआ, क्योंकि पूरा काम ठेके पर देने के बजाय रेंटल माडल का इस्तेमाल किया गया। अधिकारियों का कहना है कि रेंटल माडल में निगम हर मशीन का किराया देता है, जो ठेके की तुलना में सस्ता होता है। 2019 में एनजीटी के निर्देश पर शहरी विकास मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इंदौर माडल को देखकर गाइड लाइन बनाई, जिसके आधार पर अब दूसरे शहर काम कर रहे हैं।

इंदौर ने ऐसे खत्म किया कचरे का पहाड़

- ट्रेंचिंग ग्राउंड पर करीब 50-60 साल पुराने कचरे के निपटान की शुरुआत 2016 में की गई थी। वहां करीब 15 लाख टन पुराना कचरा पड़ा हुआ था। 2016 और 2017 में एक-एक लाख टन कचरे का निपटान किया गया।

- 2018 में रोज 16-17 घंटे काम कर बचा 13 लाख टन कचरा सालभर में प्रोसेस कर दिया गया।

- कचरे से निकले मलबे को ईट-टाइल्स बनाने के लिए भेजा गया। मिट्टी वहीं फैला दी गई और मेटल रिसाइकिलिंग के लिए भेजा गया, जबकि प्लास्टिक और सिंथेटिक कपड़ों को सीमेंट प्लांट में ईधन के रूप में जलाने के लिए भेजा गया। इससे कचरे के पहाड़ तेजी से समा हो गए।

- लैंडफिल साइट पर अब तक करीब एक लाख पौधे लगाकर वहां निगम ने सघन हरियाली कर दी है। इससे ट्रेंचिंग ग्राउंड की तस्वीर ही बदल गई है।

यह काम करेगी समिति

शहरी विकास मंत्रालय की समिति में इंदौर नगर निगम की तरफ से सदस्य बने अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा कहते हैं कि अब 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले सभी शहरों को अनिवार्य रूप से अपना पुराना कचरा खत्म करना है। मंत्रालय ने समिति इसलिए बनाई है, ताकि किस शहर में किस दर पर और किस एजेंसी से काम हो रहा है, उस आधार पर औसत रेट तय किए जाएं। फिर दूसरे शहरों को इसकी जानकारी देकर पुराना कचरा खत्म करने में मदद की जाए।

इसलिए लोकप्रिय है इंदौर माडल

निगम के सालिड वेस्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट असद वारसी बताते हैं कि इस समय देश के 500 शहरों में पुराने कचरे को खत्म करुने का काम शुरू हो चुका है। 100 से ज्यादा शहर पूरा काम ठेके पर करा रहे हैं, तो दिल्ली, अहमदाबाद, गुरुग्राम और दक्षिण भारत के कई शहरों ने इंदौर का रेंटल माडल अपनाया है। इंदौर ने 250 रुपये प्रति टन खर्च कर पुराना कचरा साफ किया है, जबकि कांट्रेक्ट माडल में यह खर्च 700 रुपये प्रति टन तक आता है। यही वजह है कि इंदौर मॉडल ज्यादा लोकप्रिय है।


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