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Coronavirus News: जानें इन छह महीनों में कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई कहां तक पहुंची

Coronavirus News वूलहाउस के मुताबिक एक व्यक्ति जो 75 साल से अधिक उम्र का है उसे 15 साल की उम्र के व्यक्ति की तुलना में इस संक्रमण से मृत्यु का खतरा 10 हजार गुना अधिक है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 09:16 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 09:16 AM (IST)
Coronavirus News: जानें इन छह महीनों में कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई कहां तक पहुंची
Coronavirus News: जानें इन छह महीनों में कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई कहां तक पहुंची

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Coronavirus News चीन में व्यापक पैमाने पर निमोनिया सरीखे रोग से मरने की सूचना जब विश्व स्वास्थ्य संगठन को पता चली, तब से अब तक छह माह का वक्त बीत चुका है। इन 180 दिनों में दुनिया 360 डिग्री घूम चुकी और बदल चुकी है। सदियों से चली आ रही हर व्यवस्था बदल चुकी है। कोविड-19 ने पहले चीन और इसके बाद दुनिया के लगभग सभी देशों को प्रभावित किया है।

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गार्जियन के अनुसार इस महामारी से दुनिया में एक करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और मरने वालों का आंकड़ा 5 लाख को पार कर चुका है। इन परिस्थितियों में बॉर्डर बंद कर दिए गए, लॉकडाउन लगा दिया गया और कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। आइए जानते हैं कि इन छह महीनों में इस महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई कहां तक पहुंची है और इसे हराने में हमारी राह कितनी आसान हुई है।

बढ़ती उम्र में कोरोना का बढ़ता खतरा : वूलहाउस के मुताबिक, एक व्यक्ति जो 75 साल से अधिक उम्र का है उसे 15 साल की उम्र के व्यक्ति की तुलना में इस संक्रमण से मृत्यु का खतरा 10 हजार गुना अधिक है। वृद्धों में वायरस का प्रभाव घातक होता है। इससे बचने के लिए घरेलू जैव सुरक्षा की अवधारणा का आविष्कार करना होगा। गार्जियन के अनुसार यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में महामारी विज्ञान की प्रोफेसर एनी जॉनसन ने कहा कि कोविड-19 को ट्रैक करने और नियंत्रित करने में सबसे बड़ी समस्या बिना लक्षण वाले लोग हैं। पहले हमें यह बात पता ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि महामारी डाटा एकत्रित करना आगामी महीनों में हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। आयु, लिंग आदि के आधार पर तथ्यों को स्थापित कर बीमारी को खत्म करने में बड़ा अंतर लाया जा सकता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़े शोध की जरूरत : लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में संक्रामक रोगों के प्रोफेसर मार्टिन हिबर्ड ने कहा, अध्ययन में पता चलता है कि संक्रमित होने के बाद मरीजों के खून में एंटीबॉडीज बढ़ जाते हैं और ये भविष्य में कोविड-19 के कारण होने वाले संक्रमण से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। एंटीबॉडीज यदि लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करते हैं तो बीमारी धीमी गति से फैलेगी। गार्जियन के अनुसार हिबर्ड का कहना है कि जो व्यक्ति पहले संक्रमित हुए थे, उनके रक्त के नमूने और उनके एंटीबॉडी स्तर की संख्या स्थिर है या कुछ महीनों के बाद वे नीचे जाने लगे हैं। यह महत्वपूर्ण शोध है जिसे अब करने की आवश्यकता है। विंग्सफील्ड ने कहा कि रक्त परीक्षण, ऑक्सीजन के स्तर और श्वसन दर का डाटा हम हर समय एकत्र कर रहे हैं। इससे यह अनुमान लगाने में मदद मिलेगी कि वायरस ने किस पर सबसे खराब प्रभाव डाला है और गहन उपचार सबसे अधिक किसे दिया जाना चाहिए।

महामारी के साथ गुजारना होगा लंबा वक्त, कोरोना वायरस बना रहेगा जीवन का हिस्सा : वैज्ञानिकों ने कहा है कि हम कोविड-19 को लेकर बिलकुल भी तैयार नहीं थे। इंपीरियल कॉलेज लंदन में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रोफेसर डेविड नाबारो ने कहा कि पहली बार हमें लगा कि यह श्वसन बीमारी है। अब स्पष्ट है कि यह साइनस की बीमारियों का कारण बन सकती है, रक्त वाहिकाओं की परत को प्रभावित कर सकती है और रक्त के थक्कों को विकसित कर सकती है। साथ ही यह बीमारी किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है और इसे हार्ट अटैक से भी जोड़ा गया है। यह कम करके आंका जाने वाला रोग नहीं है। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग महामारी विज्ञान के प्रोफेसर मार्क वूलहाउस कहते हैं कि हमें छह महीने कोविड-19 के साथ रहते हो चुके हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसके साथ हमें अब काफी लंबे वक्त तक रहना होगा।

उम्मीदें भी कम नहीं हैं : लंबी अवधि में एक टीका इस महामारी से निजात दिला सकता है। हालांकि, कई वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें काफी वक्त लग सकता है। नबारो ने कहा कि हमें इस भ्रम से बाहर आना चाहिए कि वर्ष के अंत में वैक्सीन खोज लिए जाने पर सभी को सुरक्षित किया जाएगा। हम वैक्सीन प्राप्त करते हैं, तब भी यह सवाल है कि दुनिया के 7.8 अरब लोगों तक इसे कैसे पहुंचाएंगे। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि टीके से एंटीवायरल थैरेपी बड़ी उम्मीद नजर आती है। हिबर्ड के अनुसार, कई एंटीवायरल दवाओं के परीक्षण चल रहे हैं, जो अन्य बीमारियों से निपटने के लिए विकसित किए गए थे। अब इनका इस्तेमाल कोविड-19 से निपटने के लिए किया जा सकता है। कुछ महीनों में परिणाम आने की उम्मीद है। कोविड-19 के लिए बेहतर परीक्षण, हमारी प्रतिरक्षा प्रणालियों और एंटीबॉडी स्तर की प्रतिक्रियाओं की अधिक समझ के साथ हम छह महीनों में खुद को बहुत अलग, बहुत बेहतर स्थिति में पाएंगे।


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