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कैसे बने हिमालय जैसे बड़े-बड़े पहाड़? आठ विशाल शिलाखंडों में बंटी हुई है पृथ्वी की ऊपरी परत

विज्ञानियों ने इन पहाड़ों की उत्पत्ति के बारे में एक नई खोज की है। उनका कहना है कि करीब दो अरब साल पहले समुद्री जीवन में अचानक वृद्धि होने के बाद पहाड़ों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 09:33 AM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 09:33 AM (IST)
कैसे बने हिमालय जैसे बड़े-बड़े पहाड़? आठ विशाल शिलाखंडों में बंटी हुई है पृथ्वी की ऊपरी परत
करीब 2.3 अरब वर्ष पहले पृथ्वी पर आक्सीजन वृद्धि की घटना हुई थी।

[मुकुल व्यास] हमारी पृथ्वी की ऊपरी परत सात या आठ विशाल शिलाखंडों में बंटी हुई है। इन्हें टेक्टोनिक प्लेट भी कहा जाता है। ये प्लेटें धीरे-धीरे सरकती रहती हैं। जब ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं तो पर्वत श्रृंखलाओं की उत्पत्ति होती है। हिमालय जैसे बड़े-बड़े पहाड़ इसी तरह बने। विज्ञानियों ने इन पहाड़ों की उत्पत्ति के बारे में एक नई खोज की है। उनका कहना है कि करीब दो अरब साल पहले समुद्री जीवन में अचानक वृद्धि होने के बाद पहाड़ों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई।

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स्काटलैंड की एबरडीन यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने पता लगाया है कि करीब 2.3 अरब वर्ष पहले आक्सीजन के स्तर में भारी वृद्धि के बाद समुद्रों में पोषक तत्वों की मात्र बढ़ गई। इससे साइनोबैक्टीरिया या प्लैंकटन की उत्पत्ति हुई। ये जीवाणु प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। बाद में जब बड़ी मात्र में प्लैंकटन की मृत्यु हुई तो वे समुद्र के तल पर गिर गए। तल पर जमा प्लैंकटन ने ग्रेफाइट का निर्माण किया। इस ग्रेफाइट ने चिकनाई का काम करते हुए चट्टानों को खंड के रूप में तब्दील किया। विशाल खंड एक-दूसरे पर जमा होते रहे और इस प्रक्रिया के लाखों वर्ष तक चलते रहने के बाद पर्वतों का निर्माण हुआ। इस शोध का नेतृत्व करने वाले विज्ञानी प्रोफेसर जान पार्नेल का कहना है कि पर्वत आज हमारी पृथ्वी के अभिन्न अंग हैं, लेकिन बड़ी पर्वतमालाओं का जन्म धरती के अस्तित्व में आने के ढाई अरब वर्ष बाद ही हुआ। पर्वत निर्माण को टेक्टोनिक प्लेट्स की टक्कर से जोड़ा जाता है, जिसकी वजह से बड़ी-बड़ी शिलाएं ऊंचाई में जमा होने लगती हैं, लेकिन नए अध्ययन में कुदरती संरचनाओं के निर्माण में प्लैंकटन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया है।

करीब 2.3 अरब वर्ष पहले पृथ्वी पर आक्सीजन वृद्धि की घटना हुई थी। इसे ग्रेट आक्सीडेशन इवेंट भी कहा जाता है। इस दौरान वायुमंडल और उथले समुद्र में आक्सीजन के स्तर में वृद्धि हुई। नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार प्लैंकटन में मृत्यु से पहले कई परिवर्तन हुए। उन्होंने अपना आकार बढ़ाने के साथ-साथ एक खास आवरण भी विकसित किया जिससे कोशिका के कार्बन का वजन बढ़ गया। ज्यादातर पर्वत श्रृंखलाएं 1.95 से 1.65 अरब वर्ष पहले प्रकट हुईं। प्रोफेसर पार्नेल का कहना है कि समुद्र में कार्बन की बहुतायत ने पृथ्वी की ऊपरी परत के खंडों के एक दूसरे पर जमा होने की प्रक्रिया को सुगम बनाया। इस प्रक्रिया के प्रमाण स्काटलैंड के उत्तर पश्चिम में मौजूद हैं। वहां टायरी, हैरिस और गैरलाच जैसे स्थानों पर प्राचीन पर्वतों की जड़ों और चिकने ग्रेफाइट को आज भी देखा जा सकता है। यह शोध यह दर्शाती है कि पृथ्वी और उसके जीवमंडल के बीच एक गहरा रिश्ता है जिसे पहले ठीक से नहीं समझा गया था।

(लेखक विज्ञान के जानकार हैं)


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