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जानिए कैसे वाट्सएप पर डिजिटल सलाह से हरीभरी हो रही 20 हजार किसानों की खेती-बाड़ी

छत्तीसगढ़ जैविक खेती के नाम से साल 2016 में डा.गजेंद्र चंद्राकर बताते हैं कि पहले एक ग्रुप बनाया। इसके बाद एक के बाद एक कृषि छात्र और किसान जुड़ते गए। 58 गु्रप में खुद प्रोफेसर एडमिन हैं और बाकी जिलों में कृषि छात्रों ने भी किसानों को जोड़ लिया है

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 09:47 PM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 10:04 PM (IST)
जानिए कैसे वाट्सएप पर डिजिटल सलाह से हरीभरी हो रही 20 हजार किसानों की खेती-बाड़ी
इंटरनेट मीडिया के माध्यम से किसानों को दी जा रही निश्शुल्क सलाह

संदीप तिवारी, रायपुर। अरहर के फूल-फल्ली में कीड़े लग रहे हैं, कुछ उपचार बताएं..। धान की बालियां आने वाली हैं, पर धान का पौधा पीला पड़ रहा है, क्या करें? बैंगन, भिंडी सब्जी का उत्पादन बढ़ाने के लिए कौन-सी खाद डालें? जैविक खेती के लिए क्या किया जा सकता है? वगैरह-वगैरह सवाल वाट्सएप पर पूछ रहे हैं छत्तीसगढ़ के 20 हजार किसान और जवाब दे रहे हैं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कीट विज्ञानी डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ।

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जी हां, डॉ. चंद्राकर पिछले चार साल से इंटरनेट मीडिया के सहारे हजारों किसानों को जोड़कर उन्नत खेतीबाड़ी के लिए निश्शुल्क सलाह दे रहे हैं। वह कहते हैं कि साफ नीति और नियत से किया गया काम कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है। ऐसा करने का जज्बा हर किसी में नहीं होता है। कुछ लोग समग्र समाज और जनहित के लिए खुद को समर्पित कर देते हैं।

किसानों को सलाह देने के लिए बनाया व्हाट्सएप

उनमें से ही एक हैं गजेंद्र चंद्राकर। उन्होंने इंटरनेट मीडिया को हथियार बनाकर किसानों को सलाह देने के लिए 98 वाट्सएप ग्रुब बनाया है। कोराना काल में यह किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। छत्तीसगढ़ के ज्यादातर किसान वाट्सएप ग्रुप से जुड़े हैं और फसलों में किसी भी तरह के कीट-पतंगों की परेशानी हो या कम बारिश से फसल खराब होने की आशंका हो तो समाधान पाकर अपनी फसल बचा रहे हैं। वाट्सएप ग्रुप से कृषि विश्वविद्यालय के अन्य विज्ञानी, कृषि स्नातक के विद्यार्थी, कृषि क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी भी जुड़े हैं। वर्तमान में इसमें करीब 20 हजार किसान और 15 देसी कृषि दवाई विके्रता भी जुड़े हैं।  

एक ग्रुप से शुरू हुआ सिलसिला, फिर बढ़ता गया कारवां

छत्तीसगढ़ जैविक खेती के नाम से साल 2016 में डा.गजेंद्र चंद्राकर बताते हैं कि पहले एक ग्रुप बनाया। इसके बाद एक के बाद एक कृषि छात्र और किसान जुड़ते गए। 58 गु्रप में खुद प्रोफेसर एडमिन हैं और बाकी जिलों में कृषि छात्रों ने भी किसानों को जोड़ लिया है। यूं कहें कि मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।

किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ला, धरसींवा के किसान सौरभ मिश्रा व बिलासपुर के किसान माधोसिंह का कहना है कि कब-कब खाद डालना है और कब दवाई डालना है। इसकी जानकारी मिल रही है। इसके अलावा बाड़ी समाधान, सीजी एग्रो साल्यूशन गु्रप में केवल डिप्लोमा प्राप्त पेस्टीसाइड डीलर भी जुड़कर सलाह ले रहे हैं। 


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