मेघालय: खदान में फंसे मजदूरों के बचाव अभियान 17 दिन से जारी, जानें इसकी 10 प्रमुख बातें
खदान में पानी भर जाने के कारण 13 दिसंबर से मजदूर फंसे हुए हैं। खदान से पानी निकालने के लिए किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड और कोल इंडिया के पंप और नौसेना के गोताखोर लगे हुए हैं।
By TaniskEdited By: Published: Sun, 30 Dec 2018 06:42 PM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 06:42 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। मेघालय की पूर्वी जयंतिया हिल जिले के लुमथारी गांव में स्थित कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों के बचाव अभियान का आज 17वां दिन है। खदान में पानी भर जाने के कारण 13 दिसंबर से मजदूर फंसे हुए हैं। 370 फीट गहरी खदान से पानी निकालने के लिए किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड और कोल इंडिया ने संयुक्त रूप से 18 पंपों की व्यवस्था की है। बचाव कार्य में नौसेना के गोताखोर भी लग गए हैं। गोताखोरों का यह दल विशाखापत्तनम से शनिवार को पहुंचा।
बचाव अभियान की अब तक की दस प्रमुख बातें
- नौसेना की ओर से जारी एक बयान में शनिवार को कहा गया कि उनके गोताखोर के पास लोगों के बचाने के लिए कृत्रिम उपकरणों के साथ ही पानी के अंदर तलाशी में सक्षम रिमोट आपरेटेड वाहन भी है।
- नौसेना की टीम को पहले विशाखापट्टनम से गुवाहाटी ले जाया गया। फिर, एक हेलिकॉप्टर से टीम को खलीहिरत के निकटतम हेलीपैड पर उतारा गया। इसके बाद उन्हें सड़क मार्ग से खदान के पास ले जाया गया। भारतीय नौसेना में गोताखोर दुनिया के सबसे बेहतरीन गोताखोरों में से एक हैं। यह खदान पेड़ों से ढके हुए एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।
- इससे पहले नौसेना ने एक सर्वेक्षण दल भेजा था, जिसमें बचाव अभियान की प्रकृति का आकलन करने के लिए एक अधिकारी और दो गोताखोर शामिल थे। किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड की एक टीम - बचाव प्रयासों में सहायता करने के लिए सहमत हो गई है । उन्हें भी स्थिति का जायजा लेने के लिए भेज दिया गया है।
- बचाव अभियान में सहायता के लिए शनिवार को उच्च तकनीकी उपकरणों से लैस ओडिशा के अग्निशामक भी घटना स्थल पर पहुंच गए हैं।
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के सहायक कमांडेंट संतोष कुमार सिंह ने बचाव अभियान पर नौसेना के गोताखोरों और ओडिशा फायर सर्विसेज के मुख्य अग्निशमन अधिकारी को इस बचाव अभियान को लेकर कुछ जानकारियां साझा की। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ कर्मियों के साथ नौसेना के गोताखोर खदान में पानी की सतह तक चले गए हैं। हमने एक सर्वेक्षण किया है। मुझे बताया गया है कि उन्हें इसे लेकर संक्षिप्त में जानकारी दी गई है और इसमें थोड़ा समय लगेगा।
- सिंह ने कहा कि मैंने उन्हें (भारतीय नौसेना और ओडिशा अग्निशमन सेवा) अपने बचाव कार्यों और उपकरणों में अपडेट किया है, जिसमें सोनार प्रणाली भी शामिल है। इसका इस्तेमाल हम फंसे खनिकों का पता लगाने के लिए किया, लेकिन इससे सकारात्मक परिणाम नहीं मिले।
- अधिकारियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती खदान के नक्शा और ब्लू प्रिंट की अनुपलब्धता है। कोल इंडिया लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी जे बोराह ने कहा, 'हमारे पास खनन का नक्शा नहीं है। यह हम सभी के लिए बहुत कठिन चुनौती है।'
- यह दुर्घटना 13 दिसंबर को हुई थी। अवैध खदान में प्रवेश करने वाले खनिकों की टीम के एक जीवित सदस्य ने कहा कि 22 लोग इस चूहे की बिल जितने छोटे से खदान में घुस गए थे। इसमें मुश्किल से एक आदमी जा सकता है। असम के चिरांग जिले के साहिब अली ने दावा किया कि वह उन पांच लोगों में से एक है जो पास की एक नदी के पानी आने से ठीक पहले खदान से बाहर आने में कामयाब रहे थे।
- मैं कोयले से भरी गाड़ी को खींचते हुए खदान के अंदर करीब 5 से 6 फीट अंदर था। कुछ अज्ञात कारणों से, मैं खदान के अंदर एक हवा महसूस कर सकता था जो असामान्य था। साहिब अली ने कहा, 'यह पानी में घुसने की आवाज थी। मैं बड़ी मुश्किल से इसे गड्ढे से बाहर निकले।" कोई व्यक्ति कितने समय तक अपनी सांस रोककर रख सकता है?'
- हादसे की सूचना मिलते ही कोयला खदान के मालिक जरीन उर्फ कृप चुलेट को नरवन गांव से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने कहा कि वे अवैध कोयला खदान के प्रबंधक सहित और लोगों की तलाश कर रहे हैं।
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