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Makar Sankranti 2020: 14 नहीं 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति

याज्ञिक आचार्य श्रीराम शास्त्री ने बताया कि तिथि के अनुसार मकर संक्रांति का योग 14 की बजाय 15 जनवरी को बन रहा है।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 08:36 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 08:46 AM (IST)
Makar Sankranti 2020: 14 नहीं 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति
Makar Sankranti 2020: 14 नहीं 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति

नई दिल्ली, जेएनएन। मकर संक्रांति की तारीख को लेकर भम्र की स्थिति बनी हुई है। कुछ जगहों पर आज (14 जनवरी) तो कुछ जगहों पर कल (15 जनवरी) मनाई जाएगी। ऐसे में लोग असमंजस में हैं कि वो मकर संक्रांति किस दिन मनाएं। अगर आप भी परेशान हैं तो खबराएं नहीं मकर संक्रांति किस दिन मनाई जानी चाहिए इसकी पूरी जानकारी यहां मिलेगी।

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मकर संक्राति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस त्योहार के दिन स्नान, दान के साथ भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। हालांकि कहीं-कहीं ये त्योहार 14 जनवरी को भी मनाया जाएगा। दो दिन के असमंजस पर याज्ञिक आचार्य श्रीराम शास्त्री ने बताया कि आमतौर पर लोग मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाते हैं। लेकिन तिथि के अनुसार मकर संक्रांति का योग 14 की बजाय 15 जनवरी को बन रहा है।

कब बनता है मकर संक्रांति का योग

आचार्य श्रीराम शास्त्री ने यह भी बताया कि धनु राशि जब मकर राशि में प्रवेश करती है, तब मकर संक्रांति का योग बनता है। इस बार धनु राशि मकर राशि में 14 जनवरी की अर्धरात्रि के बाद ढाई बजे प्रवेश कर रही है। यही कारण है कि अधिकतर जगहों पर मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी। 

बुधवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक पुण्यकाल

रात्रि में संक्रांति लगने के कारण (चूंकि रात्रि में पुण्यकाल का निषेध होता है) संक्रांति का पर्व 15 जनवरी बुधवार को मनाना धर्मसम्मत है। बुधवार 15 जनवरी को प्रात: सूर्योदय से 08.32 बजे तक संक्रांति का विशेष पुण्यकाल तथा इसके बाद सूर्यास्त तक संक्रांति का सामान्य पुण्यकाल रहेगा, कुल मिलाकर बुधवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक पुण्यकाल होगा। 

सूर्यदेव के उत्तरायण होते ही शुरू होंगे मंगल कार्य 

संक्रांति का शाब्दिक अर्थ सूर्य या किसी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश या संक्रमण है। मकर संक्रांति भगवान सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का संधि काल है। उत्तरायण में पृथ्वीवासियों पर सूर्य का प्रभाव तो दक्षिणायन में चंद्र का प्रभाव अधिक होता है। सूर्यदेव छह माह उत्तरायण (मकर से मिथुन राशि तक) व छह माह दक्षिणायन (कर्क से धनु राशि तक) रहते हैं। उत्तरायण देवगण का दिन तो दक्षिणायन रात्रि मानी जाती है।

खरमास का समापन

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी की कुंडली में आठों ग्रह प्रतिकूल हों तो उत्तरायण सूर्य आराधना मात्र से सभी मनोनुकूल हो जाते हैं। इसके साथ ही एक मास से चले आ रहे खरमास का समापन होगा और शादी-विवाह समेत मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। इस बार जनवरी से लेकर जून तक 67 लगन-मुहूर्त मिल रहे हैं। इसमें जनवरी में 9, फरवरी में 17, मार्च में 8, अप्रैल में 5, मई में 19 व जून में 9 हैं। नवंबर में 2 व दिसंबर में 8 लगन मिलेंगी।


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