पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के घुटने ज्यादा खराब
यह बात सामने आई कि घुटना खराब होने की बीमारी से ज्यादातर महिलाएं पीडि़त होती हैं।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली । घुटना प्रत्यारोपण तकनीक में डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने के मकसद से एम्स में शनिवार से दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हुई। पहले दिन एम्स सहित देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे डॉक्टरों ने घुटना प्रत्यारोपण की तकनीक, कृत्रिम घुटनों की गुणवत्ता में हो रहे सुधार व नए कृत्रिम घुटनों के फायदे नुकसान पर चर्चा की। साथ ही घुटना खराब होने से बचाव पर भी चर्चा हुई।
यह बात सामने आई कि घुटना खराब होने की बीमारी से ज्यादातर महिलाएं पीडि़त होती हैं। व्यायाम व शारीरिक कार्य में सक्रियता से घुटने को खराब होने से बचाया जा सकता है।
एम्स के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के प्रोफेसर व कार्यशाला के कोर्स डायरेक्टर डॉ. सीएस यादव ने कहा कि संस्थान में 10 साल में जितने मरीजों के घुटने प्रत्यारोपित हुए हैं उनमें 60 से 70 फीसद महिलाएं हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुष मरीजों की संख्या कम है। उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाओं की तुलना में गृहिणी इस बीमारी से अधिक जूझ रही हैं। इसका कारण व्यायाम नहीं करना है। शरीर का वजन अधिक होना भी घुटना खराब होने का कारण बनता है। इसलिए नियमित व्यायाम, संतुलित खानपान और शरीर का वजन कम करके बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि गठिया भी घुटना खराब होने का करण बन रहा है। गठिया की दवा जल्दी शुरू कर घुटने को खराब होने से बचाया जा सकता है। घुटना खराब होने पर कृत्रिम घुटने का प्रत्यारोपण ही विकल्प है। कई तरह के अत्याधुनिक कृत्रिम घुटने उपलब्ध हो गए हैं। फिर भी प्राकृतिक घुटने को स्वस्थ रखना सबसे बेहतर विकल्प है।
कार्यशाला के दूसरे दिन रविवार को देश के विभिन्न शहरों से पहुंचे करीब 70 डॉक्टर 10 मुर्दो पर कृत्रिम घुटना प्रत्यारोपण करेंगे, ताकि घुटना प्रत्यारोपण सीख सकें। डॉ. सीएस यादव ने कहा कि पहले डॉक्टरों को प्लास्टिक की हड्डी पर घुटना प्रत्यारोपण सिखाया जाता था। वह बेहतर विकल्प नहीं था। मुर्दो पर अभ्यास से डॉक्टर ऑपरेशन में दक्ष बन सकेंगे।