किसान संगठन ने कहा-सरकार के राहत पैकेज का लाभ चीनी उद्योग को मिलेगा, किसानों को नहीं
चीनी उद्योग के लिए सरकार के राहत पैकेज पर किसान संगठनों ने कई सवाल उठाये हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीनी उद्योग के लिए सरकार के राहत पैकेज पर किसान संगठनों ने कई सवाल उठाये हैं। उनका कहना है कि राहत पैकेज से गन्ना किसानों के बकाया भुगतान से कोई सीधा ताल्लुक नहीं है। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने कहा कि सरकार के राहत पैकेज का लाभ चीनी उद्योग को मिलेगा, जिसके पास नगदी का भारी संकट है, लेकिन इससे किसानों को कुछ नहीं मिलने वाला है।
- बकाया गन्ना एरियर के साथ मांगा 15 फीसद का ब्याज
- किसानों के हितों का ध्यान नहीं रखती चीनी मिलें
चीनी का भारी उत्पादन मुश्किल दौर में है, क्योंकि बाजार में चीनी का मूल्य उत्पादन लागत के मुकाबले बहुत कम है। चीनी का उत्पादन 3.15 करोड़ टन हुआ है, जबकि चीनी की घरेलू खपत 2.50 करोड़ टन है। जबकि चीनी मिलों पर किसानों का 22 हजार करोड़ रुपये बकाया है। संगठन के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि गन्ना किसानों के भुगतान का संकट साल दर साल बढ़ता जा रहा है। चीनी मूल्य के घटने व बढ़ने से इसका कोई संबंध नहीं होता है।
चीनी मिलों और संबंधित राज्य सरकारों का यह वैधानिक दायित्व है कि वे 14 दिनों के भीतर भुगतान करायें। ऐसा नहीं कर पाने की दशा में 15 फीसद के ब्याज सहित भुगतान करना होगा, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है। गन्ना रकाब का आरक्षण और आवंटन राज्य सरकार वैधानिक तौर पर करती हैं तो गन्ने का भुगतान कराने का हक भी राज्यों को लेना चाहिए। सिंह यहां आयोजित एक प्रेसवार्ता में बोल रहे थे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि चीनी का मूल्य कम होने से गन्ने के भुगतान का कोई संबंध नहीं हो सकता है। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या चीनी के मूल्य जब अधिक होते हैं तो कभी मिलों ने गन्ने का भुगतान समय पर किया है? मिले हुए चीनी के पैसे को कहीं और निवेश होता है।
उत्तर प्रदेश सरकार के कई फैसलों पर आपत्ति जताते हुए सिंह ने कहा कि कई बार ब्याज को माफ कर दिया गया। इसका नुकसान सिर्फ किसानों को हुआ है। राहत पैकेज की घोषणा पर सिंह ने कहा कि लग तो ऐसा रहा है कि केंद्र सरकार किसानों के एरियर भुगतान के लिए ही राहत राशि मंजूर की है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है।