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सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग का मजाक उड़ा कर फंसे खुर्शीद

लंदन। विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद इस बार सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग का मजाक उड़ा कर फंस गए हैं। उन्होंने दोनों संवैधानिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली को लेकर मजाकिया और प्रतिकूल टिप्पणियां की है। दागी सांसद, विधायकों की सदस्यता खत्म होने और चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने संबंधी फैसले को लेकर खुर्शीद ने शीर्ष न्यायालय पर निशाना साधा है।

By Edited By: Published: Thu, 13 Mar 2014 08:18 PM (IST)Updated: Thu, 13 Mar 2014 11:55 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग का मजाक उड़ा कर फंसे खुर्शीद

लंदन। विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद इस बार सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग का मजाक उड़ा कर फंस गए हैं। उन्होंने दोनों संवैधानिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली को लेकर मजाकिया और प्रतिकूल टिप्पणियां की है। दागी सांसद, विधायकों की सदस्यता खत्म होने और चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने संबंधी फैसले को लेकर खुर्शीद ने शीर्ष न्यायालय पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि यह फैसला एक जज द्वारा मनमर्जी से बनाए गए कानून जैसा है।

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इसी प्रकार चुनाव आचार संहित को लेकर विदेश मंत्री ने निर्वाचन आयोग पर भी प्रतिकूल टिप्पणी की है। बकौल खुर्शीद आचार संहिता ऐसी है कि आप केवल हारने के लिए पुरजोर कोशिश कर सकते हैं। चुनाव जीत ही नहीं सकते। उनके उपरोक्त बयान की भाजपा, माकपा से लेकर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन गोपालास्वामी ने निंदा की है। जबकि कांग्रेस ने खुर्शीद का बचाव किया है।

विदेश मंत्री बुधवार को स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में आयोजित 'भारत में लोकतंत्र की चुनौतियां' सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। निर्वाचन आयोग पर निशाना साधते हुए खुर्शीद ने कहा, 'आयोग ने हमें निर्देशित किया है कि घोषणा पत्र में सड़क बनाने का वादा नहीं किया जा सकता। चुनावों के दौरान आप किसी को पानी भी नहीं पिला सकते। क्योंकि आयोग की नजर में इससे निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।'

निर्वाचन आयुक्तों का मजाक उड़ाते हुए उन्होंने कहा, 'केवल तीन शख्स ही तय कर सकते हैं कि आप चुनाव अभियान के दौरान कौन-कौन से शब्दों का इस्तेमाल करें।' इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर भी विदेश मंत्री ने सवाल उठाया। खुर्शीद का कहना था, 'भारत में अदालतें लोकतंत्र से जुड़े उन विषयों पर भी दखल देने लगी हैं, जिन पर फैसला लेने का संसद को ही एकमात्र विशेषाधिकार है।

वे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक विषयों पर अपना निर्णय लोगों पर लाद रही हैं।' विदेश मंत्री के मुताबिक, 'सुप्रीम कोर्ट के जज कभी भी दो या तीन से अधिक की बेंच में नहीं बैठते। केवल दो जज ही बैठकर फैसला ले लेते हैं कि क्या होना चाहिए। असल समस्या तब खड़ी होती है जब वे फैसला लेने में कोई गलती कर दें। उस स्थिति में हम कुछ नहीं कर सकते हैं।' भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार मोदी पर उन्होंने राष्ट्रपति प्रणाली जैसा चुनाव प्रचार करने का आरोप लगाया।

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