हिमाचल प्रदेश की लोकप्रिय खजियार झील पर मंडरा रहा अनदेखी का साया
खजियार झील करीब दो हेक्टेयर में फैली है। झील से गाद निकालने के लिए प्रयास हुए, लेकिन इसे पूरी तरह गाद मुक्त नहीं किया जा सका।
चंबा [अंशुमन शर्मा]। जिला चंबा के खजियार को मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है। यहां का मौसम, चीड़, देवदार के पेड़, हरियाली और सुकून देने वाली वादियां पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं। यहां की सुंदरता पर सरकारी तंत्र की अनदेखी भारी पड़ रही है। गाद के कारण खजियार झील सिकुड़ रही है। यह झील करीब दो हेक्टेयर में फैली है। झील से गाद निकालने के लिए प्रयास हुए, लेकिन इसे पूरी तरह गाद मुक्त नहीं किया जा सका।
झील में सड़ रहे घास के कारण दुर्गंध आती है। गाद की समस्या से निजात के लिए कागजों में नेशनल वेटलैंड एक्शन प्लान का छह करोड़ का बजट है। लेकिन, झील के हिस्से कोई कारगर उपाय नहीं आया। विशेषज्ञ टीम भी यहां आई, लेकिन कोई लाभ फायदा नहीं हुआ। खजियार में हर साल चार से पांच लाख पर्यटक पहुंचते हैं।
दुनिया के खूबसूरत स्थलों में से एक
07 जुलाई, 1992 को स्विट्जरलैंड के तत्कालीन वाइस काउंसलर विली टी ब्लेजर ने खजियार को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के खिताब से नवाजा था। स्विस अधिकारी स्विस संसद में लगाने के लिए खजियार से एक पत्थर ले गए थे, ताकि मिनी स्विट्जरलैंड को स्मरण किया जा सके। दुनियाभर के 160 बेहद सुंदर स्थानों को यह खिताब हासिल है।
यह है खजियार की विशेषता
खजियार डलहौजी और चंबा के बीच 1,920 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। देवदारों के गोलाकार दायरे में मखमली घास में स्थित यह झील यहां का मुख्य आकर्षण है। स्विस राष्ट्रीय पर्यटक कार्यालय की ओर से जारी प्रदर्शित एक साइन बोर्ड इसका प्रमाणपत्र है, जिसमें खजियार को हिमाचल के मिनी स्विट्जरलैंड के रूप में घोषित किया गया है। यहां पर बॉलीवुड फिल्मों वजूद, गदर-एक प्रेम कथा, हिमालय पुत्र और लुटेरा की शूटिंग भी हो चुकी है। यहां झील से पानी निकालने के लिए लगी मशीन भी काम नहीं कर रही, जिससे झील के वजूद पर मंडरा रहा खतरा गहरा गया है।
खजियार की खूबसूरती भी युरोप के देश स्विट्जरलैंड से कम नहीं है। यहां का मौसम, चीड़ और देवदार के ऊंचे-लंबे, हरे-भरे पेड़, हरियाली और पहाड़ तथा आत्मिक शांति और मानसिक सुकून देने वाली वादियां आपको स्विट्जरलैंड का एहसास कराती है। यह पर्यटक स्थल छोटा भले ही है लेकिन लोकप्रियता में बड़े-बड़े हिल स्टेशनों से कम नहीं है। हजारों साल पुराने इस छोटे से हिल स्टेशन को खासकर खज्जी नागा मंदिर के लिए जाना जाता है। यहां नागदेव की पूजा होती है। लेकिन पर्यटक मुख्य रूप से इस हिल स्टेशन की आबोहवा का आनंद लेने के लिए आते हैं। खजियार का मौसम दिनभर तो सुहाना रहता है लेकिन शाम ढलने पर यहां का मौसम कुछ इस कदर मनमोहक और रोमांचित करने वाला हो जाता है कि आप खुद को किसी और ही दुनिया में पाने लगते हैं।
खजियार झील
खजियार का आकर्षण चीड़ एवं देवदार के वृक्षों से ढके खज्जियार झील में है। झील के चारों ओर हरी-भरी मुलायम और आकर्षक घास खजियार को सुंदरता प्रदान करती है। झील के बीच में टापूनुमा दो जगहें हैं, जहां पहुंचकर पर्यटक और रोमांचित हो जाता है। वैसे तो खज्जियार में तरह-तरह के रोमांचक खेलों का भी आयोजन किया जाता है लेकिन अगर आप गोल्फ के शौकीन हैं तो आपके लिए यह हिल स्टेशन और भी बेहतर है।
कैसे पहुंचे
अगर आप हिमाचल प्रदेश के चंबा या डलहौजी जाते हैं तो वहां से महज आंधे घंटे की दूरी पर है खजियार यही नहीं, खजियार चंडीगढ़ से 352 और पठानकोट रेलवे स्टेशन से मात्र 95 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए आप शिमला तक रेल और हवाई मार्ग से भी जा सकते हैं जिसके आगे बस या टैक्सी का उपयोग कर आप मिनी स्विट्जरलैंड पहुंच सकते हैं।