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राजीव गांधी हत्याकांड में सीबीआइ पर उठी अंगुली

राजीव गांधी की हत्या की साजिश के देशी-विदेशी विभिन्न पहलुओं की जांच करने वाले जैन आयोग से जुडे़ एक वकील ने दावा किया है कि सीबीआइ की जांच में कई खामियां हैं। वकील ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि सीबीआइ की नेतृत्ववाली मल्टी डिसप्लनेरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) को तीन माह की समयसीमा के

By Edited By: Published: Sun, 15 Sep 2013 09:54 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2013 09:57 PM (IST)

नई दिल्ली। राजीव गांधी की हत्या की साजिश के देशी-विदेशी विभिन्न पहलुओं की जांच करने वाले जैन आयोग से जुडे़ एक वकील ने दावा किया है कि सीबीआइ की जांच में कई खामियां हैं। वकील ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि सीबीआइ की नेतृत्ववाली मल्टी डिसप्लनेरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) को तीन माह की समयसीमा के भीतर जांच पूरी कर अंतिम रिपोर्ट दे देनी चाहिए।

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न्यायमूर्ति मिलाप चंद जैन की समिति के समक्ष पेश हुए अहम गवाह रमेश दलाल ने पिछले हफ्ते के शुरू में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मुख्य सचिव पुलक चटर्जी को चिट्ठी लिखी है। जैन आयोग की जांच को आगे बढ़ाने के लिए अगस्त 1998 में निगरानी एजेंसी एमडीएमए का गठन किया गया था। इसमें सीबीआइ, आइबी, रॉ, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राजस्व खुफिया निदेशालय आदि शामिल हैं।

पत्र में रमेश दलाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को हुई हत्या से जुड़े मामले की जांच में कई गंभीर खामियां हैं। दलाल ने सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा को भी पत्र लिखा है। इसमें उसने राजीव गांधी के हत्यारोपी जे रंगनाथन से जुड़े मामले की दोबारा जांच की गुजारिश की है। साथ ही लिट्टे के शीर्ष सदस्य कुमारन पद्मनाथन उर्फ केपी के भारत प्रत्यर्पण की कोशिश तेज करने को भी कहा है। इन दोनों ने चर्चित धर्मगुरु चंद्रास्वामी के बारे में सनसनीखेज बयान दिए थे। वहीं, जैन आयोग ने भी पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या का षड्यंत्र रचने में चंद्रास्वामी की कथित संलिप्तता की ओर इशारा किया था। हालांकि सीबीआइ के नेतृत्व वाली निगरानी समिति इसकी जांच कर रही है।

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