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केरल सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया, आरटी-पीसीआर का कच्चा माल प्राइवेट लैब को दे सकती है केएमएससी

केरल सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया है आरटी-पीसीआर परीक्षणों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति निजी प्रयोगशालाओं को उचित मूल्य पर की जा रही है ताकि निजी प्रयोगशाला 500 रुपये में टेस्ट कर सकें। सरकार ने बताया कि केएमएससी निजी प्रयोगशालाओं को सामग्री दे सकती है।

By Avinash RaiEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 05:05 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 05:05 PM (IST)
केरल सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया, आरटी-पीसीआर का कच्चा माल प्राइवेट लैब को दे सकती है केएमएससी
केरल सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया, आरटी-पीसीआर का कच्चा माल प्राइवेट लैब को दे सकती है केएमएससी

 कोच्चि, पीटीआइ। केरल सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया है आरटी-पीसीआर परीक्षणों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति निजी प्रयोगशालाओं को उचित मूल्य पर की जा रही है ताकि निजी प्रयोगशाला 500 रुपये में टेस्ट कर सकें। साथ ही सरकार ने यह भी बताया कि केरल चिकित्सा सेवा निगम (केएमएससी) निजी प्रयोगशालाओं के अवश्कताओं के अनुसार सामग्री को दे सकता है, खासकर महामारी से पैदा हुई स्थिति के दौरान।

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8 जुलाई को अदालत द्वारा सरकार से पुछे गए सवाल कि क्या केएमएससी निजी प्रयोगशालाओं को आरटी-पीसीआर के लिए कच्चा माल उपलब्ध करा सकता है, इस सवाल के जवाब में न्यायमूर्ति टी आर रवि के समक्ष सरकार ने अपना जवाब दिया। कच्चा माल उचित कीमत पर उपलब्ध करा सकता है ताकि वे 500 रुपये की दर से परीक्षण कर सकें। जिसे राज्य सरकार ने तय किया था।

अदालत का सवाल कई निजी प्रयोगशालाओं द्वारा राज्य सरकार के 30 अप्रैल के आदेश को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर आया था, जिसमें सरकार ने आरटी-पीसीआर परीक्षणों की दर को 1,700 रुपये से घटाकर 500 रुपये कर दिया गया था। अदालत ने निजी प्रयोगशालाओं को केएमएससी के साथ कच्चे माल की आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए कहा है। इसके बाद अदालत ने आगे की सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की है।

किट की लागत और आरटी-पीसीआर टेस्ट करने के उद्देश्य से टेस्ट कम हो गए हैं और इसी तरह के परीक्षणों के लिए हरियाणा, तेलंगाना, उत्तराखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में लगाए गए शुल्क केरल सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य के समान्य थे। हालांकि, निजी प्रयोगशालाओं ने तर्क दिया था कि केएमएससी द्वारा निर्धारित दरें उचित नहीं थीं क्योंकि यह राज्य के लिए थोक में खरीद करती है और इसलिए उन संस्थानों को बहुत कम कीमत पर कच्चे माल दे सकती है जो इतनी बड़ी मात्रा में इनसे कच्चे माल खरीदते है।


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