22 परिवार के पास है ये है शीशे बनाने की अनोखी कला, बाढ़ की त्रासदी ने कर दिया तबाह
यह कला सिर्फ अरनमुला के 22 परिवारों को आती है और केवल ये परिवार इस तरह के शीशे बना सकते हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। केरल में इस बार कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई। हालांकि अब ज्यादातर क्षेत्रों में पानी कम हो गया है, लेकिन आम जनता की परेशानियां अब भी बरकरार है, जिन्हें शायद खत्म होने में सालों लग जाएं। इस बाढ़ ने हजारों लोगों के घर और जिंदगी तबाह कर दी। ऐसा ही कुछ केरल के अरनमुला में रहने वाले शिल्पकारों के साथ हुआ।
ये शिल्पकार एक खास तरह के शीशे 'अरनमुला कन्नड़ी' बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। इनके शीशों की देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मांग है। अरनमुला के इन शीशों के पास यूनेस्को का जीआई (जिऑग्रफिकल इंडिकेशन) टैग है। जीआइ का टैग केवल उन्हीं वस्तुओं या कलाओं को मिलता है, जिनका अधिकार सिर्फ एक क्षेत्र विशेष के पास होता है।
बाढ़ के बाद आई तबाही के बाद ये कलाकार बेबस हो गए हैं। इन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे फिर से नई शुरुआत की जाए। ऐसे ही एक शिल्पकार पी गोपाकुमार ने अपने दर्द को बयां करते हुए कहा, ' उस दिन मैं पागल सा हो गया था। पानी मेरी वर्कशॉप में घुसता जा रहा था। मैं एक शीशे को पकड़ता तो दूसरा बहा जा रहा था। पानी गर्दन तक आ गया था और तब तक कई शीशे पानी में बह चुके थे।'
केवल 22 परिवार ही बना सकते हैं शीशे
अगर आपको ऐसा लगा रहा है कि ये शीशे आम शीशों की तरह हैं और इन्हें कोई भी बना सकता है, तो आप गलत सोच रहे हैं। ये शीशे कोई साधारण शीशे नहीं हैं बल्कि केरल की सबसे पुरानी कलात्मक विरासतों में से एक हैं। ये शीशे टिन और कॉपर को गलाकर विशेष तरह से बनाए जाते हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि यह कला सिर्फ अरनमुला के 22 परिवारों को आती है और केवल ये परिवार इस तरह के शीशे बना सकते हैं। इतना ही नहीं इन शीशों को केवल ये 22 परिवार ही परिवार बेच सकते हैं। इनके अलावा किसी को भी इन्हें बेचने का अधिकार नहीं है।
ऑफिशियल गिफ्ट के तौर पर जाने जाते हैं
अरनमुला कन्नड़ी के नाम से मशहूर ये शीशे केरल के ऑफिशल गिफ्ट के तौर पर जाने जाते हैं। इन शीशों को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, प्रिंस चार्ल्स और भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तक को गिफ्ट किया जा चुका है। मगर केरल की बाढ़ ने इन शिल्पकार परिवारों को लगभग तबाह कर दिया है। एक शिल्पकार केपी अशोकन ने बताया, 'हमें विदेश से बड़ी मात्रा में शीशे के ऑर्डर मिले थे। कई विदेशी टूरिस्ट केरल आने पर अरनमुला से ये शीशे खरीदना चाहते थे।'
बाढ़ में 1.5 करोड़ का नुकसान
बाढ़ ने अरनमुला कन्नड़ी बनाने वाले शिल्पकारों की दुकानों और कारखानों को भारी नुकसान पहुंचाया है। एक अनुमान के मुताबिक, शिल्पकारों ने इस बाढ़ में करीब 6000 शीशे और कच्चा माल खो दिया है, जिनकी कीमत लगभग 1.5 करोड़ रुपए है। अशोकन ने बताया, 'अरनमुला की खत्म हो रही शिल्पकला को बचाए रखने के लिए सरकार ने हमें इसे बनाने और बेचने का पूरा अधिकार दिया है।'
कुदरत की मार झेल रहे आम लोग
कुदरत की मार झेल रहे एक स्थानीय नागरिक हरि एस ने कहा, 'इस साल हम बोट और साध्या का आयोजन नहीं कर रहे हैं। यह ऐसी जगह है जहां एक समय सब कुछ भारी मात्रा में था, मगर आज हमारे पास पीने के लिए पानी तक नहीं है। जितने कुएं थे, उन सबमें पानी भर चुका है।'