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दिल के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है चिलचिलाती धूप, ऐसे रखें ध्यान

शोले बरसाने वाली गर्म हवाएं और तपतपाती धूप दिल के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। आइए जानते हैं, मौजूदा मौसम में दिल को कैसे रखा जाए दुरुस्त...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 02:00 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jun 2018 02:56 PM (IST)
दिल के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है चिलचिलाती धूप, ऐसे रखें ध्यान
दिल के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है चिलचिलाती धूप, ऐसे रखें ध्यान

[डॉ.पुरुषोत्तम लाल]। गर्मियों में हृदय रोगियों को धूप में अधिक समय तक रहने और अधिक श्रम करने से बचना चाहिए। इस मौसम में अधिक शारीरिक गतिविधियां स्वस्थ लोगों में भी थकावट या हीट स्ट्रोक (लू) के लक्षण पैदा कर सकती हैं। इन दिनों युवा वर्ग भी प्रतिस्पर्धा के मौजूदा दौर में अपने कॅरियर को बनाने के मानसिक दबाव में हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हो रहा है। हाई ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होने पर हृदय संबंधी अनेक समस्याएं पैदा करता है।

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मानव शरीर आमतौर पर लगभग 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट के तापमान को बनाए रखता है। तापमान के थोड़ा भी अधिक बढ़ने पर पसीना पैदाकर और रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसेल्स) को डाइलेट कर शरीर स्वयं को ठंडा करने की कोशिश करता है, लेकिन जब पसीना शरीर को ठंडा नहीं कर पाता है और रक्त वाहिका के आकार के बड़े हो जाने के कारण दिल की धड़कन तेज हो जाती है और रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) कम हो जाता है, तब हृदय रोगियों के लिए समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

यह स्थिति हृदय की कार्यप्रणाली पर बहुत तनावपूर्ण असर पैदा कर सकती है। कमजोर दिल वाले लोग अपने शरीर को ठंडा रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त को पंप करने में असमर्थ होते हैं। इसलिए वे ब्लड प्रेशर को भी सामान्य रखने में असमर्थ होते हैं। इस कारण उनके शरीर का तापमान नुकसानदेह स्तर तक बढ़ सकता है।

हानिकारक है बढ़ता तापमान
बाहर का बढ़ता तापमान हमारे दिल पर बहुत प्रभाव डालता है। शरीर को ठंडा करने के लिए पसीने की जरूरत होती है। इस कारण हमारा शरीर स्वत: ठंडा हो जाता है, लेकिन अगर किसी कारणवश शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता है, तब हमारे दिल को रक्त को पंप करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम के तापमान में बढ़ रही गर्मी के कारण पिछले चंद सालों से दिल से जुड़ी बीमारियां- खास तौर पर हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं।

आम तौर पर माना गया है कि सर्दियों में दिल के दौरे पड़ने के खतरे बढ़ जाते हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार न केवल कंपकंपाने वाली ठंड बल्कि झुलसाने वाली गर्मी भी दिल के दौरे के खतरे को बढ़ा सकती है। इसलिए दिल के मरीजों को दोनों स्थितियों में सावधानी बरतनी चाहिए। दिल का दौरा पड़ने की संभावना तब और बढ़ जाती है, जब कुछ दिनों तक लगातार धूप तेज होती है और तेज गर्मी होती है। इसका कारण संभवत: यह है कि शरीर की चयापचय प्रणाली (मेटाबॉलिज्म) को शरीर को 37 डिग्री सेल्सियस (98.6 डिग्री फॉरेनहाइट) के अपने सामान्य तापमान को बनाए रखने के लिए कठिन मेहनत करनी पड़ती है, जिससे दिल पर दबाव पड़ता है।

लक्षणों की अनदेखी न करें
गर्मी के कारण होने वाले अन्य प्रकोपों के शुरुआती चेतावनी भरे लक्षणों की अनदेखी करना नुकसानदेह हो सकता है। इन चेतावनी भर लक्षणों में सिर दर्द

होना बहुत अधिक पसीना आना।

- त्वचा का ठंडा और नमी युक्त होना।

- ठंड लगना और चक्कर आना।

- जी मिचलाना।

- उल्टी और कमजोरी महसूस करना।

- थकान महसूस करना।

- नाड़ी का तेज चलना।

- मांसपेशियों में ऐंठन और सांस का तेज चलना।

यदि आप इन चेतावनी भरे संकेतों को शुरुआती दौर में ही पहचान लेते हैं, ठंडे वातावरण में आराम करते हैं और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करते हैं तो पीड़ित शख्स की स्थिति में सुधार हो सकता है, अन्यथा पीड़ित व्यक्ति के लक्षण गंभीर हो सकते हैं और आपको चिकित्सकीय मदद की जरूरत पड़ सकती है।

गर्मी के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए हाई ब्लड प्रेशर वालों और हृदय रोगियों को इन बातों पर अमल करना चाहिए ...

- अत्यधिक गर्मी के कारण अगर आप बेचैनी या स्वयं को असहज महसूस करते हों, तब अपना ब्लड प्रेशर चेक करें या कराएं। अगर ब्लड प्रेशर हाई है, तो डॉक्टर के परामर्श से दवा लें।
- तेज धूप या गर्मी में बाहर जाने से बचें। दोपहर में घर के अंदर वातानुकूलित वातावरण में रहने की कोशिश करें।
- यदि दोपहर के दौरान बाहर जाना जरूरी हो तो पैदल चलते समय छाते का इस्तेमाल करें और छांव में खड़े हों। गर्मी के मौसम में सुबह या शाम को ही घर या दफ्तर से बाहर निकलें।
- यदि मनोरंजन के लिए घर से बाहर जाना चाहते हों तो शॉपिंग सेंटर, पुस्तकालय या सिनेमाघर जैसे वातानुकूलित या शांत स्थानों पर जाएं।
- दोपहर के समय घर की धूप वाली दिशा में खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें और उन पर मोटे पर्दे लगाकर रखें। यदि जरूरी न हो, तो कमरे में लाइट भी न जलाएं।
- अधिक गर्मी होने पर ठंडे पानी से नहाएं या स्पंज करें।
- गर्मियों में हल्के रंग के ढीले कपड़े पहनें।
- आउटडोर गतिविधियों में भाग न लें।
- बार-बार पानी और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें। चाय-कॉफी और शराब के सेवन से बचें।

ध्यान दें बुजुर्ग
हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी के दिनों में बुजुर्गों को खास तौर पर सावधानी बरतनी चाहिए। विशेषकर वैसी स्थिति में जब उन्हें उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर), कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा हुआ हो, मोटापा हो या फिर डायबिटीज हो।

डिहाइड्रेशन और दिल का दौरा
पिछले साल अस्पतालों में दिल के दौरे के मरीजों के आने का सिलसिला तुलनात्मक रूप से बढ़ गया था और इसका कारण गर्मी का तेजी से बढ़ना था। तपतपाती गर्मी में दिल के दौरे अधिक बढ़ने का मुख्य कारण डिहाइड्रेशन है, जिसे लोग आमतौर पर नजरअंदाज करते हैं, लेकिन यह जानलेवा बन सकता है।

अधिक गर्मी के दिनों में डिहाइड्रेशन से ग्रस्त व्यक्तियों को दिल का दौरा पड़ने की आशंका बहुत अधिक होती है। बहुत अधिक समय तक तेज धूप या गर्मी में रहने पर ब्लड प्रेशर में गिरावट आ जाती है। हाल के दिनों में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण गर्मी के दिनों में दिल के मरीजों के लिए खतरे और बढ़ गए है। डिहाइड्रेशन की वजह से हमारे शरीर में सोडियम और पोटैशियम की मात्रा में गड़बड़ी पैदा हो जाती है।

इन लोगों को है खतरा ज्यादा
गर्म मौसम का खतरा सबसे अधिक बुजुर्गों को होता है। उनके मेटाबॉलिज्म और उनके हृदय के समक्ष मौसम के अनुकूल अपने आप को ढालने की क्षमता युवाओं की तरह नहीं होती है। बुजुर्गों में डिहाइड्रेशन की वजह से इलेक्ट्रोलाइट डिस्टर्बेंस बहुत ज्यादा हो जाता है। इस कारण कोरोनरी आर्टरी की समस्या और बढ़ जाती हैं। इसीलिए बहुत जरूरी है कि गर्मी के मौसम में खुद को हाइड्रेटेड रखें।

कुछ दवाओं से होने वाली समस्याएं
हृदय रोगियों द्वारा ली जाने वाली कुछ दवाएं भी अत्यधिक गर्मी में समस्या पैदा कर सकती हैं। हृदय रोगियों द्वारा सामान्य रूप से ली जाने वाली बीटा-ब्लॉकर्स दवाइयां (इस मौसम के दौरान दिल को जिस तेजी से धड़कने की जरूरत होती है) दिल की धड़कन को कम करती हैं। इस कारण शरीर को ठंडा करने की क्षमता प्रभावित होती है। वस्तुत: दिल का दौरा पड़ने की संभावना अत्यधिक ठंड या अत्यधिक गर्मी के मौसम में अधिक होती है। यह समस्या 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को अधिक प्रभावित करती है।
[सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट चेयरमैन-मेट्रो हार्ट इंस्टीट्यूट, नोएडा] 


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