कावड़ यात्रा के दौरान धार्मिक आस्था के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की सीख देंगे बेल के नन्हें पौधे
मध्य प्रदेश के युवाओं की यह पहल धार्मिक आस्था के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की सीख भी दे रही है। गत महाशिवरात्रि श्रद्धालु युवाओं ने मिट्टी से अनेक शिवलिंग से बेल क पौधे उगाए थे।
बुरहानपुर [युवराज गुप्ता]। गत महाशिवरात्रि श्रद्धालुओं ने एक अनूठा संकल्प लिया था, जो सावन में पूरा हो जाएगा। मध्य प्रदेश के युवाओं की यह पहल धार्मिक आस्था के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की सीख भी दे रही है। बुरहानपुर में गत महाशिवरात्रि श्रद्धालु युवाओं ने ताप्ती नदी की मिट्टी से अनेक शिवलिंग तैयार किए थे।
सतपुड़ा पहाड़ी पर रोपे जाएंगे बेल के पौधे
जिनमें बेलपत्र के बीज भी डाल दिए थे। पूजा के बाद शिवलिंगों का सांकेतिक विसर्जन कर इन्हें सहेज कर रख लिया गया था। कुछ दिनों बाद इनमें से कोपलें फूटीं और अनेक नन्हे पौधे तैयार हो गए। सावन माह में इन्हें कावड़ यात्र कर बंजर पड़ी सतपुड़ा पहाड़ी पर रोपा जाएगा।
युवाओं के संकल्प से हरे-भरे होंगे सतपुड़ा की पहाड़ियों
इन युवाओं का कहना है कि सावन की फुहारों के बीच पौधे बड़े होंगे और गर्मी में बंजर नजर आने वाली सतपुड़ा पहाड़ियों को हरा-भरा कर देंगे। हर पौधे में भगवान शिव नजर आएंगे, क्योंकि शिवलिंग से ही तो ये जन्मे हैं। पौधों को रोपने से पहले कावड़ यात्र निकाली जाएगी।
कावड़ में एक तरफ ताप्ती का जल कलश होगा, दूसरी ओर बेलपत्र के पवित्र पौधे। धार्मिक आस्था के साथ पौधरोपण और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए महाशिवरात्रि पर श्री बाल गजानन वृक्ष गंगा समिति और लालबाग गायत्री परिवार महिला मंडल ने इस अनूठी पहल की नींव रखी थी।
युवाओं द्वारा किया जा रहा है श्रमदान
समाजसेवी मनोज तिवारी और बसंत मोंढे ने बताया कि अब गजानन महाराज की पहाड़ी पर पौधरोपण और कावड़ यात्र की तैयारी के लिए युवाओं द्वारा श्रमदान किया जा रहा है। उन्हें उम्मीद है कि इनसे प्रेरणा लेकर दूसरे लोग भी अन्य प्रांतों में इस तरह की पहल करेंगे।
पर्यावरणविद् डॉ. सचिन पाटिल ने बताया कि भारतीय संस्कृति में सावन का विशेष महत्व है और यह पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा हुआ विषय है। युवाओं की पहल सराहनीय है। इससे सबको सीख लेनी चाहिए। अगर इसी तरह लोग पौधरोपण के लिए आगे आएं तो वायु प्रदूषण में काफी कमी देखने को मिलेगी।