सुषमा स्वराज की नसीहत और मदद के बाद शर्मसार कश्मीरी छात्र ने ट्वीटर छोड़ा
हाल में उन्होंने जिस अंदाज में एक कश्मीरी युवक को नसीहत देने के साथ उसकी मदद भी की उससे लोग एक बार फिर उनके कायल हो गए और दूसरी ओर उस युवक ने शर्मिंदा होकर अपना ट्वीटर एकाउंट ही डीलीट कर दिया।
नई दिल्ली, जेएनएनः विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ट्वीटर के जरिये लोगों की मदद करने के मामले में देश में ही नहीं दुनिया में विख्यात हैं। लोगों की मदद करने के इसी गुण के कारण उनकी गिनती दुनिया के लोकप्रिय विदेशमंत्रियों में से होती है। वह भारतीयों के साथ-साथ दूसरे देशों के लोगों की भी तत्परता के साथ मदद करने के लिए जानी जाती हैं। वह ट्वीटर के माध्यम से लोगों की मदद ही नहीं करतीं, अक्सर उन्हें नसीहत और हिदायत भी देती हैं। हाल में उन्होंने जिस अंदाज में एक कश्मीरी युवक को नसीहत देने के साथ उसकी मदद भी की उससे लोग एक बार फिर उनके कायल हो गए और दूसरी ओर उस युवक ने शर्मिंदा होकर अपना ट्वीटर एकाउंट ही डीलीट कर दिया।
किस्सा कुछ यूं हैः
फिलीपींस में मेडिकल की पढाई कर रहे जम्मू-कश्मीर के एक युवक शेख अतीक ने जब तबियत खराब होने के कारण वापस कश्मीर लौटने की सोची तो उसने पाया कि उसका पासपोर्ट खराब हो गया है। इस पर उसने सुषमा स्वराज को टैग करते हुए उनसे मदद मांगी और अपनी मजबूरी भी बयान की। सुषमा ने उसके ट्वीटर एकाउंट के प्रोफाइल को चेक किया तो पाया कि उसने खुद को भारत अधिकृत कश्मीर का बाशिंदा लिख रखा है।
इस पर सुषमा ने ट्वीट किया कि अगर आप जम्मू-कश्मीर के होते तो मैं आपकी मदद करती, लेकिन आप खुद को भारत अधिकृत कश्मीर का बता रहे और इस नाम की तो कोई जगह ही नहीं। शर्मसार युवक ने तुरंत अपना प्रोफाइल बदला और खुद को कश्मीरी बताया। इसके बाद सुषमा ने ट्वीट के जरिये फिलीपींस में भारतीय राजदूत से कहा कि अतीक एक भारतीय नागरिक है और वह इसकी मदद करें। सुषमा स्वराज के इन दो ट्वीट के बाद लोगों ने अतीक की ट्वीटर पर खिंचाई करनी शुरू कर दी। अपने को शर्मसार होता देख उसने अपना ट्वीटर एकाउंट ही डिलीट कर दिया।
यह पहली बार नहीं जब सुषमा स्वराज ने किसी को इस तरह नसीहत दी हो। जब वह किडनी की बीमारी का इलाज करा रही थीं और अस्पताल में भर्ती थीं तो कुछ मुस्लिमों ने उन्हें किडनी देने की पेशकश की। इनमें से कुछ ने इस तरह लिखा, “अगर आपको किसी मुस्लिम की किडनी लेने में आपत्ति न हो तो..।“ इस पर सुषमा ने उन्हें नसीहत देते हुए लिखा था, “भाई किडनी का कोई मजहब नहीं होता।“