फिर अपने घर जा सकेंगे कश्मीरी पंडित
गुरुवार को सुबह दस बजे जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा की पंडितों को कश्मीर छोड़े आज 27 साल हो गए हैं।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। अपना घर छोड़कर दरबदर हुए कश्मीरी पंडितों को आखिरकार न्याय मिल ही गया। 27 साल बाद उनके सूबे से निष्कासन के दिन ही घर वापसी की राह साफ हुई। सभी सियासी दलों ने पंडितों को फिर से कश्मीर में बसाने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया।
गुरुवार को सुबह दस बजे जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा की पंडितों को कश्मीर छोड़े आज 27 साल हो गए हैं। उनके जाने के बाद कई मुस्लिम व सिख परिवार भी पलायन कर गए। हमें चाहिए कि अब पंडितों की वापसी के लिए कश्मीर में उचित माहौल बने। इसके लिए सदन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पेश होना चाहिए। उनकी पेशकश पर स्पीकर कवींद्र गुप्ता की सहमति के बाद सरकार की तरफ से सदन में प्रस्ताव पेश किया गया। एक को छोड़ बाकी सारे विधायकों ने ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया। निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद ने विरोध जताया।
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गौरतलब है कि आज से ठीक 27 साल पहले 19 जनवरी 1990 के दिन पंडितों को कट्टरपंथी ताकतों के दबाव में कश्मीर छोड़ना पड़ा था। पंडित नेता टीका लाल टपलू समेत कई लोगों की कश्मीर में नृशंस हत्या कर दी गई थी। पंडित हर साल इस दिन को निष्कासन दिवस के रूप में मनाते हैं।
अलगाववादियों को नहीं मंजूर
श्रीनगर: विधानसभा में पारित प्रस्ताव का कश्मीरी अलगाववादियों ने विरोध किया है। कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी की तरफ से उनके प्रवक्ता एयाज अकबर ने कहा कि हम चाहते हैं कि वह यहां आएं। लेकिन जो प्रस्ताव विधानसभा में पारित हुआ है, हम उसके समर्थक नहीं है। आजादी के बाद से 15 लाख से ज्यादा मुसलमानों को राज्य से पाकिस्तान जाना पड़ा। इन लोगों को पहले वापस लाया जाए। उदारवादी हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए प्रस्ताव पारित करने की क्या जरूरत है। वे हमारे भाई हैं। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन मुहम्मद यासीन मलिक ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की आड़ में गैर रियासती बाशिंदों को यहां बसाया जाएगा, ये हमें मंजूर नहीं।
पंडितों का दर्द आया सामने
अपने गम व गुस्से की दास्तां को कश्मीरी पंडित समुदाय ने गुरुवार को सरकार के समक्ष धरने-प्रदर्शन के माध्यम से पेश किया। युवाओं ने काली पट्टियां बांधकर सरकार की अनदेखी के खिलाफ अपना विरोध जताया। कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों ने ऑल स्टेट कश्मीरी पंडित कांफ्रेंस (एएसकेपीसी) के बैनर तले राजभवन के बाहर धरना प्रदर्शन किया। एएसकेपीसी प्रधान आरके रैणा के नेतृत्व में एकत्र हुए समुदाय के लोगों ने इस दौरान इस्लामिक जेहाद, अलगाववादियों और पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। विदेशों में बसे कश्मीरी पंडितों ने भी निष्कासन दिवस के अवसर पर 27 वर्ष पहले की त्रासदी को याद करते हुए भारतीय सरकार से पंडितों के लिए इंसाफ मांगा। लंदन सहित अन्य देशों में बसे कश्मीरी पंडितों ने भी हाथों में तिरंगा और माथे पर सफेद पट्टियां बांधकर विश्व के लोगों के साथ अपना दुख साझा किए।