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और बढ़ी आलाकमान-येद्दयुरप्पा में रार

पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येद्दयुरप्पा ने एक बार फिर कर्नाटक मे जारी संकट के लिए पार्टी महासचिव अनत कुमार जिम्मे दार ठहराते हुए मुबई मे होने वाली पार्टी कार्यकारिणा की बैठक मे नही जाने का ऐलान किया है। साथ ही उन्होने भाजपा न छोड़ने के उनके फैसले को एक बार फिर दोहराया है।

By Edited By: Published: Sat, 19 May 2012 12:41 PM (IST)Updated: Sat, 19 May 2012 12:41 PM (IST)

बेंगलूर। भाजपा आलाकमान और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा के बीच रार और बढ़ गई है। शनिवार को पार्टी आलाकमान से नाराज येद्दयुरप्पा ने बताया कि वह 24 मई से मुंबई में होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल नहीं होंगे।

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येद्दयुरप्पा ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी दूसरे दल में शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह लोगों की भावनाओं को समझकर सही फैसले पर पहुंचने के लिए 30 मई के बाद राज्य के दौरे पर जाएंगे। नौ मंत्रियों और कुछ विधायकों के इस्तीफे से राज्य सरकार सहित पार्टी आलाकमान को हिला देने वाले येद्दयुरप्पा ने कुछ दिन पहले ही पार्टी छोड़ने के फैसले को टालने की घोषणा की थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह सीधा व सपाट बोलने वाले और लगातार सक्रिय रहने वाले मुख्यमंत्री हैं।

गौरतलब है कि कुछ समय से मोदी और भाजपा आलाकमान के बीच मतभेद भी खुलकर सामने आ रहे हैं। मोदी के भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नहीं पहुंचने की अटकलें लगाई जा रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात में पार्टी आलाकमान के खिलाफ असंतोष है। ऐसे में आलाकमान को पार्टी में मौजूद खामियों को ढूंढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक और गुजरात के कुछ प्रमुख नेताओं ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। ऐसे नेता चाहते हैं कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में गंभीर मुद्दों पर भी चर्चा कर समाधान ढूंढ़े जाएं।

अनंत कुमार पर सीधा आरोप लगाते हुए येद्दयुरप्पा ने कहा कि पार्टी में लालकृष्ण आडवाणी जैसे सशक्त नेता होने के बाद भी वह [अनंत कुमार] उन्हें निर्णय नहीं लेने दे रहे। येद्दयुरप्पा ने बताया कि उन्होंने राज्य के कई गंभीर मसलों को सुलझाने के लिए शुक्रवार को गडकरी और अरुण जेटली से फोन पर बात की।

संकट टला पर आशंकित है भाजपा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। समय-समय पर भाजपा को शीर्षासन करवाते रहने वाले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा फिलहाल मान तो गए हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व बहुत आश्वस्त नहीं है। येद्दयुरप्पा के बदलते रहे तेवरों से अवगत नेतृत्व को अब अगले माह से शुरू होने वाले उनके राज्य के दौरे ने और आशंकित कर दिया है।

वैसे कर्नाटक संकट फिलहाल टल गया है। प्रदेश प्रभारी धर्मेद्र प्रधान भी येद्दयुरप्पा समेत दूसरे सभी खेमों से मुलाकात के बाद दिल्ली लौट आए हैं। पार्टी के लिए बड़ी राहत की बात यह है कि बेंगलूर में खुद येद्दयुरप्पा ने घोषणा कर दी है कि वह भाजपा छोड़कर किसी पार्टी में नहीं जा रहे हैं। बहरहाल पार्टी से उनकी नाराजगी दूर नहीं हुई है। उन्होंने फिर से स्पष्ट कहा कि पार्टी ने उनके साथ उचित व्यवहार नहीं किया। अगले साल जून से पहले ही राज्य में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में येद्दयुरप्पा का राज्यव्यापी दौरा जाहिर तौर पर खुद को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया कदम है। दरअसल येद्दयुरप्पा को इसका अंदाजा है कि उनके साथ जुड़े विधायकों में अधिकतर वे हैं जो लंबे समय से भाजपा के सदस्य नहीं रहे हैं। लिहाजा चुनावी भ्रमण में उन्हें बल मिला तो उनका बगावती तेवर फिर से मुखर हो सकता है और समय से पहले ही चुनाव में उतरने की मजबूरी हो सकती है। खास तौर पर तब जबकि सीबीआइ की फांस रहते पार्टी उन्हें दोबारा अवसर नहीं देगी।

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