Move to Jagran APP

कर्नाटक के कालेजों में बच्चों को हिजाब पहनने पर रोक का मुद्दा फिर गर्माया

पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के राज्य महासचिव नासिर पाशा ने रविवार को आरोप लगाया कि यहां के कालेज हिजाब के मुद्दे पर अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं जो कि मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का भी उल्लंघन करना है।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:43 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 09:44 AM (IST)
कर्नाटक के कालेजों में बच्चों को हिजाब पहनने पर रोक का मुद्दा फिर गर्माया
कर्नाटक में बच्चों को कालेज में हिजाब पहनने पर नासिर पाशा का आया बयान। (फोटो-एएनआइ)

बेंगलुरु, एएनआइ। कर्नाटक के पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के राज्य महासचिव, नासिर पाशा ने रविवार को आरोप लगाया कि यहां के कालेज हिजाब (हेडस्कार्फ) के मुद्दे पर अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं जो कि मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का भी उल्लंघन करना है। पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कर्नाटक राज्य महासचिव नासिर पाशा ने राज्य के विभिन्न कालेजों में प्रचलित हिजाब विवादों के बारे में बयान जारी कर कहा कि कुछ कालेज हेडस्कार्फ के विषय पर अनुचित विवाद पैदा कर रहे हैं और मुसलमानों की मौलिक, धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कर रहे हैं।

loksabha election banner

छात्रों को कक्षाओं में प्रवेश पर रोक का आरोप

नासिर पाशा ने आरोप लगाते हुए कहा कि उडुपी के सरकारी पीयू कालेज में मुस्लिम समुदाय के 6 छात्रों को कक्षाओं में प्रवेश से वंचित किया गया और उन्हें बाहर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्होंने स्कार्फ पहन रखा था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मंगलुरु के ऐकला में पोम्पेई कालेज के कुछ छात्र भगवा शाल पहनकर कालेज आए और हेडस्कार्फ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। पाशा ने कहा कि इसी तरह का विवाद चिकमगलूर के कोप्पा के गवर्नमेंट फर्स्ट क्लास कालेज में गढ़ा गया था।

ड्रेस कोड केवल एसएसएलसी तक ही है लागू

पाशा ने आगे कहा कि वास्तव में, ड्रेस कोड अनिवार्य रूप से केवल एसएसएलसी तक ही लागू किए जाते हैं। जब पीयू या डिग्री कालेजों में ऐसा कोई अनिवार्य ड्रेस कोड लागू नहीं है, तो यह कहना कि हेडस्कार्फ की अनुमति नहीं है, एक गलत तर्क है। पाशा ने कहा कि कालेज के प्राचार्य द्वारा सिर पर स्कार्फ पहने छात्रों को कक्षाओं में प्रवेश से वंचित करना भी एक अत्यंत अनुचित कदम है।

छात्र कपड़ों पर मौजूदा नीति का कर रहे पालन

पाशा ने कहा कि विशेष रूप से, मुस्लिम समुदाय के कालेज के छात्र कालेज स्तर पर कपड़ों पर मौजूदा नीति का पालन करते हुए कक्षाओं में भाग ले रहे हैं। छात्राओं को निर्णय लेने, अपनी पसंद के मामूली कपड़े पहनने की पूरी स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों के माध्यम से समानता लाना असंभव है। पाशा ने कहा कि आंतरिक पूर्वाग्रह के कारण हेडस्कार्फ़ पर विवाद पैदा करने के बजाय, मूल्य-आधारित, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के विषय में चर्चा करना आज की आवश्यकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.