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जानिए, कौन है बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, जिसने पाकिस्‍तानी सरकार के नाक में किया दम

पाकिस्तान के सूबे बलूचिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी एक सक्रिय अलगाववादी छापामार संगठन है। यह बलूचिस्तान को अलग देश बनाने के लिए की मुहिम पर काम कर रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 08:51 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 12:05 AM (IST)
जानिए, कौन है बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, जिसने पाकिस्‍तानी सरकार के नाक में किया दम
जानिए, कौन है बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, जिसने पाकिस्‍तानी सरकार के नाक में किया दम

नई दिल्‍ली, जेएनएन। पाकिस्‍तान के कराची स्टॉक एक्सचेंज में सोमवार को हुए हमले को लेकर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को जिम्मेदार ठहराया गया है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले को प्रतिबंधित आतंकी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की मजीद ब्रिगेड ने अंजाम दिया है। जानकारी के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के साथ मुठभेड़ में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के चारों आतंकी समेत कुल 11 लोग मारे गए हैं, जिसमें तीन पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इस हमले से कुछ दिन पहले कराची, घोटकी और लरकाना में तीन हमले हो चुके हैं जिनमें दो रेंजरों समेत चार लोग मारे गए और एक दर्जन से अधिक घायल हुए हैं। कराची में इससे पहले नवंबर 2018 में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हमले का प्रयास किया गया था, जिसे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया था। आइये जानते हैं बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के बारे में 

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क्या है बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी

पाकिस्तान के पश्चिम इलाके में बलूचिस्तान राज्‍य में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए )एक सक्रिय अलगाववादी छापामार संगठन है। यह बलूचिस्तान को अलग देश बनाने के लिए की मुहिम पर काम कर रहा है। बलूचिस्तान में गैस लाइनें पावर लाइनें उड़ानें, सेना और पुलिस पर हमले और गैर स्थानीय लोगों की हत्या में यह संगठन शामिल रहा है। मीर बलूच मारी इसका पहला कमांडर था जो 2008 में अफगानिस्तान में गठबंधन वायुसेना के हमले में मारा गया था। 

1944 से कर रहे आजादी की मांग 

बलूचिस्तान के लोग 1944 से ही अपनी आजादी की मांग कर रहे हैं। 1947 में बलूचिस्तान को जबरन पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया, तभी से बलूच लोगों का पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना से संघर्ष चल रहा है। पाकिस्तानी सरकार और वहां की सेना इस विरोध को कुचलती रही। इसी के प्रतिरोध में 70 के दशक में बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी का गठन हुआ। जब वहां सैन्य तानाशाह जियाउल हक सत्ता में आए तो उन्होंने बलूच नेताओं से बातचीत कर इस संगठन के साथ अघोषित संघर्ष विराम कर लिया और बलूच लोगों का विद्रोह काफी हद तक शांत हो गया। इस संगठन में मुख्य रूप से पाकिस्तान के दो जनजातियां मिरी और बुगती लड़ाके शामिल हैं। 

बलूचिस्तान में क्या है विवाद 

पाकिस्तान में बलूचिस्तान प्राकृतिक तौर पर काफी संपन्न इलाका है। यहां खनिज संपदा से भरी पड़ी है। यहां तेल, गैस, तांबे और सोने जैसे कुदरती संपदा की भरमार है। पाकिस्तान यहां की खनिज संपदा का दोहन करता है लेकिन बलूचिस्तान के विकास की तरफ कभी ध्यान नहीं दिया। यहां के लोग अब भी बेहद गरीबी में जी रहे हैं। बलूच लोग सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से पाकिस्तान के बाकी हिस्सों से काफी अलग हैं। पाकिस्तान की सेना वहां के लोगों को अपना निशाना बनाती है, जिसका बलूच विरोध करते हैं। 

मुशर्रफ के शासनकाल में भड़क उठा था बलूचों का गुस्सा 

लंबे समय तक बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दिया। जब पाकिस्तान में जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्‍ता पलट कर सत्ता संभाली, तब साल 2000 के आसपास बलूचिस्तान हाईकोर्ट के जस्टिस नवाब मिरी की हत्या कर दी गई। पाकिस्तानी सेना ने इस केस में बलूच नेता खैर बक्श मिरी को गिरफ्तार किया। इसके बाद से बलूच लिबरेशन आर्मी ने एक के बाद घटनाओं को अंजाम देना शुरू किया।  

पाकिस्‍तान ने 2006 में घोषित किया आतंकी संगठन 

इसके बाद बलूचिस्तान के इलाके में पाकिस्तानी सेना और पुलिस पर हमलों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला। पाकिस्तान सरकार ने 2006 में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को आतंकी संगठन घोषित कर दिया। पाकिस्तानी सरकार ने कहा कि यह संगठन कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहा है और इसके नेता नवाबजादा बालाच मिरी के आदेश पर हमलों को अंजाम दिया। इसके बाद अमेरिका ने भी बीएलए को प्रतिबंधित आतंकी संगठन घोषित कर दिया। 2007 में नवाबजादा बालाच मिरी के मौत के बाद उसके भाई हीरबयार मिरी को बीएलए की कमान सौंपी गई। हालांकि, ब्रिटेन में रहने वाले हीरबयार मिरी ने कभी भी इस संगठन का मुखिया होने के दावे को स्वीकार नहीं किया, जिसके बाद असलम बलोच इस संगठन का सर्वेसर्वा बना। 

सीपीईसी के विरोध में किए कई हमले 

बीएलए ने चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध किया है। कई बार इस संगठन पर चीनी नागरिकों को निशाना बनाए जाने का आरोप भी लगे हैं। 2018 में इस संगठन पर कराची में चीन के वाणिज्यिक दूतावास पर हमले के आरोप भी लगे। आरोप हैं कि पाकिस्तान ने बलूच नेताओं से बिना राय मशविरा किए बगैर सीपीईसी से जुड़ा फैसला ले लिया। संगठन के मुखिया असलम बलोच ने चीन और पाकिस्‍तान दोनों पर बलूचिस्तान पर अत्‍याचार करने व यहां के प्राकृतिक संसाधनों को लूटने का आरोप लगाया।

परवेज मुशर्रफ के इशारे पर हुई बलूच नेता नवाब बुगती की हत्या 

पाकिस्तानी सेना ने साल 2006 में परवेज मुशर्रफ के इशारे पर बलूचिस्तान के प्रभावशाली नेता नवाब अकबर बुगती की हत्या कर दी थी। मुशर्रफ को उनकी हत्या के मामले में साल 2013 में गिरफ्तार भी किया गया था। मुशर्रफ ने उस समय अपने बचाव में कहा था कि ये नेता तेल और खनिज उत्पादन में होने वाली आय में हिस्सेदारी की मांग कर रहे थे। पिछले दिनों बीएलए के कमांडर असलम बलूच ने कहा था कि प्रतिदिन हमारे लोग लापता हो रहे हैं। उनकी हत्‍या की जा रही है, घरों को लूटा जा रहा है, जलाया जा रहा है। समूचे बलूचिस्‍तान की स्‍थिति चिंताजनक है। बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी के ज्यादातर नेता निर्वासित जीवन जी रहे हैं। उसके सभी नेता पाकिस्तान सरकार के निशाने पर हैं। 


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