शिवराज के सामने ज्योतिरादित्य को उतारने की चर्चा गरम
ज्योतिरादित्य मध्यप्रदेश में कमान संभालने की चुनौती लेने को तैयार हैं मगर वे पूरी छूट चाहते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस अपनी राजनीतिक बदहाली को दूर करने के लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे उन बड़े राज्यों में पार्टी की वापसी के लिए जोर लगाने की कोशिश करेगी जहां बीते दस-बीस सालों से वह सत्ता से बाहर है।
गुजरात के बाद मध्यप्रदेश इस क्रम में पार्टी की प्राथमिकता सूची में है जहां एक बार फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को सूबे की कमान सौंपने की चर्चा गरमाने लगी है। पर सबसे बड़ा सवाल फिर से खड़ा है-क्या इस बार प्रदेश के बड़े चेहरे अपना प्रभुत्व छोड़कर पार्टी के हित के लिए तैयार होंगे? या फिर क्या नेतृत्व स्वतंत्र फैसला लेने की हिम्मत दिखा पाएगा?
पार्टी सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश के मौजूदा प्रदेश नेतृत्व के सहारे शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता को चुनौती नहीं दी जा सकती इस बात का हाईकमान को भी अहसास है। इसीलिए उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों और दिल्ली के निगम चुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस नेतृत्व मध्यप्रदेश की कमान दमदार चेहरे को सौंपने पर गंभीर है। मगर हाईकमान के सामने सबसे बड़ी चुनौती मध्यप्रदेश के कांग्रेसी दिग्गजों दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य के बीच आपसी अंदरुनी खींचतान है। समझा जाता है कि ज्योतिरादित्य मध्यप्रदेश में कमान संभालने की चुनौती लेने को तैयार हैं मगर वे पूरी छूट चाहते हैं।
प्रदेश के नेताओं की शिकायत है कि दिग्गी राजा और कमलनाथ दोनों इसके लिए ऊपर से भले हामी भरें मगर हकीकत में अपना-अपना वर्चस्व छोड़ने को तैयार नहीं होते। पिछले कई प्रदेश अध्यक्षों को इसी खींचतान के कारण पार्टी चलाने में मुश्किल तो आई ही है। साथ ही 2003 से मध्यप्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस अब तक उबर नहीं पायी है।
सूत्रों के अनुसार हालिया चुनाव नतीजों में पार्टी के और बिगड़ते हालात को भांपते हुए हाईकमान ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिवों से अगले चुनाव के लिए नेतृत्व से लेकर रोडमैप की रूपरेखा जल्द तैयार करने को कहा है। हाईकमान के इस रुख के बाद ही एक बार फिर ज्योतिरादित्य को मध्यप्रदेश भेजने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं।
समझा जाता है कि हाईकमान की इस मंशा को भांपते हुए ही सूबे में नेतृत्व के एक अन्य दावेदार वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रहे अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह ने मध्यप्रदेश में पार्टी के सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही। मगर पार्टी सूत्रों का कहना है कि अजय के इस बयान का ज्यादा औचित्य नहीं है क्योंकि शिवराज के सामने एक दमदार चेहरे को उतारने की हाईकमान को भी जरूरत महसूस हो रही है। इसीलिए अगर मध्यप्रदेश के तीनों दिग्गजों में सहमति बनी तो ज्योतिरादित्य को सूबे की कमान सौंपी जा सकती है।
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