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जस्टिस बोबडे बोले, मुझे नहीं लगता किसी कोर्ट ने अयोध्या जैसा मामला सुना होगा; जानिए और क्‍या कहा

जस्टिस एसए बोबडे का कहना है कि उनकी जानकारी में नहीं है कि दुनिया की किसी अदालत ने अयोध्‍या जैसा मुकदमा सुना होगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 04:28 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 05:24 PM (IST)
जस्टिस बोबडे बोले, मुझे नहीं लगता किसी कोर्ट ने अयोध्या जैसा मामला सुना होगा;  जानिए और क्‍या कहा
जस्टिस बोबडे बोले, मुझे नहीं लगता किसी कोर्ट ने अयोध्या जैसा मामला सुना होगा; जानिए और क्‍या कहा

नई दिल्ली, माला दीक्षित अयोध्या राम जन्मभूमि के जिस फैसले पर पूरे देश और दुनिया की निगाहें हैं उस मुकदमें को सुनने वाले न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे भी मानते हैं कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है। मुकदमें का महत्व बताते हुए वह कहते हैं कि उनकी जानकारी में नहीं है कि दुनिया की किसी अदालत ने इस तरह का मुकदमा सुना होगा। हालांकि, मामले में फैसला लंबित होने के कारण मुकदमे की मेरिट पर बोलने से परहेज कर गए भारत ने अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे इतना जरूर मानते हैं कि इस मुकदमे की व्यापकता उसका असर और अवधि आदि सब मिला कर देखा जाए तो यह बहुत महत्वपूर्ण मुकदमा है। भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होने के बाद दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में जस्टिस बोबडे ने आम जनता को संदेश देते हुए कहा कि न्यायपालिका पर भरोसा बनाएं रखें।

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भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए जस्टिस एसए बोबडे वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के सेवानिवृत होने के बाद 18 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे। जस्टिस बोबडे अयोध्या राम जन्मभूमि का मुकदमा सुनने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा हैं। इस मामले में 17 नवंबर से पहले फैसला आना है क्योंकि 17 नवंबर को जस्टिस गोगोई सेवानिवृत हो रहे हैं।

जानबूझकर नहीं लंबित रहा अयोध्या मामला

अयोध्या विवाद आठ वर्ष तक सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने के सवाल पर वह कहते हैं कि उन्हें नहीं लगता कि ऐसा जानबूझकर हुआ। इसके पीछे और कई कारण हो सकते हैं जैसे मुकदमें से जुड़े रिकार्ड के अनुवाद में बहुत वक्त लगना, सुनवाई करने वाली पीठ का गठन न हो सकना आदि। जब उनसे पूछा गया कि क्या फैसला लिखने में न्यायाधीशों की अपनी आस्था और विश्वास का प्रभाव होता है तो जस्टिस बोबडे ने कहा नहीं ऐसा नहीं है न्यायाधीश इस सबसे ऊपर उठ कर मुकदमें के तथ्यों और कानून को देखकर फैसला देते हैं। ये चीजें उनके आड़े नहीं आतीं।

चीफ जस्टिस नियुक्त होने की सूचना सबसे पहले मां को दी

जस्टिस एसए बोबडे ने उन्हें अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सूचना सबसे पहले अपनी माता जी को दी और उनसे आशीर्वाद लिया। जस्टिस बोबडे को मोटर साइकिल चलाना अच्छा लगता है और वह इनफील्ड बुलेट चलाते थे।

तीन पूर्व न्यायाधीश हैं रोल मॉडल

न्यायाधीश के रूप में लंबा सफर तय कर चुके जस्टिस बोबडे तीन पूर्व न्यायाधीशों को अपना रोल मॉडल मानते हैं और जूनियर जज के तौर पर उनके साथ पीठ साझा करने को अपना सौभाग्य समझते हैं। ये तीन न्यायाधीश हैं भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा, जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा और जस्टिस सीके ठक्कर। हालांकि वह मानते हैं कि इनके अलावा और भी बहुत से काबिल न्यायाधीश हुए हैं और हैं।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के सीधे प्रसारण पर करेंगे विचार

सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की सुनवाई के सीधे प्रसारण के मुद्दे पर उनका कहना है कि यह महत्वपूर्ण मामला है और अभी तक उन्होंने इस मामले को जांचा परखा नहीं है वे इसे देखेंगे। अयोध्या मुकदमें की सुनवाई के दौरान सुनवाई के सजीव प्रसारण की मांग उठी थी लेकिन बात नहीं बनी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इसे शुरू करने की व्यवस्था पर रजिस्ट्री से रिपोर्ट मांगी थी।

संतुलन कायम रखने की जरूरत

न्यायपालिका में पारदर्शिता के मुद्दे पर जस्टिस बोबडे का कहना है कि संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। सभी मामलों में एक समान मानदंड नहीं हो सकते। मामले के हिसाब से यह अलग अलग हो सकता है।

न्यायपालिका में भरोसा बनाए रखें

मुख्य न्यायाधीश पद संभालने जा रहे जस्टिस बोबडे का लोगों को संदेश है कि वे न्यायपालिका में अपना भरोसा बनाए रखें। तरह- तरह के उठ रहे सवालों के बीच 17 महीने के लिए अगले मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे जस्टिस बोबडे का लोगों को न्यायपालिका में भरोसा बनाए रखने का आश्वासन बड़ी बात है। लंबित मुकदमों के त्वरित निपटारे पर वह कहते हैं कि कमेटी इस पर विचार कर रही है उसकी सिफारिशें आने के बाद लागू की जाएंगी। उनका मानना कि न्यायपालिका पहले से मजबूत है इसे और मजबूत करने की जरूरत नहीं है। बहुत से सुधार हुए हैं और हो रहे हैं। कुछ नयी तकनीक जैसे आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस आदि का इस्तेमाल होगा। न्यायपालिका में पारदर्शिता के मुद्दे पर उनका मानना है कि संतुलन कायम होना चाहिए। एक समान मानक नहीं हो सकते। यह केस दर केस निर्भर करेगा। वह मानते हैं कि मुख्य न्यायाधीश के रूप में चुनौतियां है और वह उनसे निपटेंगे।

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