पराली जलाने पर रोक के लिए गठित कमेटी की अगुवाई करेंगे पूर्व जज मदन बी लोकुर: सुप्रीम कोर्ट
stubble burning उत्तर प्रदेश हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने पर रोक के लिए गठित एक सदस्यीय कमेटी की अगुवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर जज मदन बी लोकुर को चुना है। वे सुप्रीम कोर्ट में जज थे।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने (stubble burning) मामले की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय कमेटी का नेतृत्व रिटायर जस्टिस मदन बी लोकुर (Madan B Lokur) के हाथों में सौंपा है। इसपर सॉलसीटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई। लोकुर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हैं।
दिल्ली और एनसीआर में पराली जलाए जाने के कारण प्रदूषण की जटिल समस्या से निपटने के लिए हर साल प्रयास किए जाते हैं। इस क्रम में इस बार सुप्रीम कोर्ट ने एक टीम का ही गठन कर दिया जो प्रदूषण स्तर को देखते हुए पराली जलाए जाने की प्रक्रिया की निगरानी करेगा। यह एक सदस्यीय कमेटी रिटायर्ड जस्टिस मदन बी लोकुर की देखरेख में काम करेगी। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के चीफ सेक्रेटरी इस काम में जस्टिस लोकुर को आवश्यक सहयोग देंगे। वहीं इसके लिए सहयोग में NCC/NSS और भारत स्काउट गाइड के लोग भी आगे बढ़े हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि संबंधित राज्य सरकारें जस्टिस लोकुर कमेटी को उचित सुविधा और पर्याप्त मदद मुहैया कराएंगी। इसमें सेक्रेट्रिएट, सुरक्षा और वित्तीय सुविधाएं शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि राज्यों के मुकरने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्य कह रहे हैं कि पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण नहीं हो रहा तो आखिर क्यों हो रहा है. यह जानना जरूरी है। हम चाहते हैं कि एनसीआर में लोगों को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा मुहैया हो।
पंजाब सरकार ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कोर्ट में कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की वजह उनका राज्य नहीं हैं क्योंकि वे कोर्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन करते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। याचिकाकर्ता ने ही पूर्व जज मदन बी लोकुर की नियुक्ति की गुजारिश की थी।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि संबंधित राज्य सरकारें इस कमेटी को उचित सुविधा उपलब्ध कराएंगी और 15 दिनों के भीतर यह कमेटी सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी। वहीं सॉलिसिटर जनरल ने रिटायर्ड जज लोकुर की नियुक्ति पर ऐतराज करते हुए कहा कि हम आवेदन दाखिल करेंगे। सॉलिसिटर जनरल ने आदेश जारी करने से पहले उन्हें सुने जाने की मांग की। हालांकि, कोर्ट ने सॉलिसिटर की मांग ठुकरा दी।