सहकर्मियों के साथ शानदार रिश्ते रखने वालेे जस्टिस अरुण मिश्रा सुप्रीम कोर्ट से हुए सेवानिवृत्त
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जस्टिस मिश्रा अपने पीछे कठिन परिश्रम विद्वता साहस और धैर्य की विरासत छोड़कर जा रहे हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हो गए। वह सात जुलाई, 2014 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश बने थे।
जस्टिस मिश्रा अपने पीछे कठिन परिश्रम, विद्वता, साहस की विरासत छोड़कर जा रहे हैं: सीजेआई
सुप्रीम कोर्ट की परंपरा को कायम रखते हुए अपने कार्यकाल के आखिरी दिन जस्टिस मिश्रा प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ में बैठे। वीडियो कांफ्रेंसिंग से मामलों की सुनवाई करने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जस्टिस मिश्रा अपने पीछे कठिन परिश्रम, विद्वता, साहस और धैर्य की विरासत छोड़कर जा रहे हैं।
सीजेआई बोबडे ने कहा- जस्टिस मिश्रा के सहकर्मियों के साथ रहे शानदार रिश्ते
निजी मोर्चे पर जबर्दस्त कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन जारी रखा। उनके अपने सहकर्मियों के साथ शानदार रिश्ते रहे।
अटॉर्नी जनरल ने जस्टिस मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का 'लौह न्यायाधीश' करार दिया
इस मौके पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जस्टिस मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का 'लौह न्यायाधीश' (आयरन जज) करार दिया।
वेणुगोपाल ने कहा- मैंने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मिश्रा जैसा दृढ़ और अडिग न्यायाधीश नहीं देखा
वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इतना दृढ़ और अडिग न्यायाधीश नहीं देखा। भविष्य में भी उनकी बेहद उपयोगी भूमिका होगी।
जस्टिस मिश्रा ने कहा- अगर मैंने किसी को आहत किया हो तो कृपया मुझे क्षमा करें
वहीं, जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'कभी-कभी मेरा व्यवहार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर बेहद कठोर रहा है। इसके लिए किसी को आहत महसूस नहीं करना चाहिए। अगर मैंने किसी को आहत किया है तो कृपया मुझे क्षमा करें।'